अक्टूबर में हुई वाहनों की रिकॉर्ड बिक्री, ऑल-टाइम हाई पर पहुंची सेल; 42 दिन में बिकीं 52 लाख गाड़ियां
डीलरों के संगठन FADA ने शुक्रवार को कहा कि 42 दिनों के त्योहारी सीजन में घरेलू बाजार में ऑटोमोबाइल खुदरा बिक्री में साल-दर-साल 21 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसकी मुख्य वजह यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों का रिकॉर्ड रजिस्ट्रेशन और जीएसटी में बदलाव के कारण विभिन्न खंडों में कीमतों में गिरावट रही.
इस साल त्योहारी अवधि में कुल रिटेल सेल बढ़कर 52,38,401 इकाई हो गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 43,25,632 इकाई थी, जो 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) के अध्यक्ष सी एस विग्नेश्वर ने एक बयान में कहा कि 2025 की 42-दिवसीय त्यौहारी अवधि भारत के ऑटो रिटेल के लिए एक निर्णायक मील का पत्थर साबित होगी, जिसमें सभी श्रेणियों में अब तक की सबसे अधिक बिक्री और वृद्धि होगी.
इस अवधि के दौरान यात्री वाहनों का पंजीकरण बढ़कर 7,66,918 इकाई हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 6,21,539 इकाई था, यानी 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
विग्नेश्वर ने कहा कि किफायतीपन को सशक्त बनाने और मध्यम वर्ग की खपत को बढ़ावा देने के जीएसटी 2.0 के दृष्टिकोण का डीलरशिप पर वास्तविक प्रभाव देखने को मिला. टैक्स रेट्स में कमी के कारण खरीद आधार का विस्तार होने से कॉम्पैक्ट और सब-4-मीटर कारों में जोरदार उछाल आया. डीलरों ने यह भी बताया कि कई मॉडलों में खुदरा बिक्री की गति आपूर्ति से अधिक रही.
दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री 22 प्रतिशत बढ़कर 40,52,503 इकाई हो गई, जबकि 2024 में यह 33,27,198 इकाई थी. विग्नेश्वर ने बताया कि इस क्षेत्र को बेहतर ग्रामीण माहौल, बेहतर तरलता और जीएसटी युक्तिकरण के कारण सामर्थ्य में सुधार का लाभ मिला.
डीलरों ने इसे हाल के दिनों का सबसे अच्छा त्योहारी सीजन बताया, जिसमें कम्यूटर बाइक और स्कूटरों की मांग में अच्छी वृद्धि के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों में भी लोगों की रुचि बढ़ी.
इसी तरह, 42 दिनों की अवधि के दौरान तिपहिया और वाणिज्यिक वाहनों के पंजीकरण में क्रमशः 9 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
विग्नेश्वर ने कहा कि इस सीजन की सफलता ने इस बात की पुष्टि की है कि जीएसटी 2.0 सुधार केवल कर सरलीकरण नहीं है, बल्कि उपभोक्ता-केंद्रित विकास और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए उत्प्रेरक है. इसने स्वामित्व लागत को कम किया है, भारत की अर्थव्यवस्था को ऊर्जा प्रदान की है और समाज के हर वर्ग में आकांक्षाओं को फिर से जगाया है.
अक्टूबर महीने में, ऑटोमोबाइल खुदरा बिक्री साल-दर-साल 41 प्रतिशत बढ़कर 40,23,923 इकाई हो गई, जो यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों दोनों की सर्वकालिक उच्च मासिक बिक्री के कारण संभव हुई.
पिछले महीने यात्री वाहनों का पंजीकरण बढ़कर 5,57,373 इकाई हो गया, जो अक्टूबर 2024 में बेची गई 5,00,578 इकाइयों की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है.
इसी तरह, अक्टूबर में दोपहिया वाहनों की बिक्री साल-दर-साल 52 प्रतिशत बढ़कर 31,49,846 इकाई हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने यह 20,75,578 इकाई थी.
विग्नेश्वर ने कहा कि यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों, दोनों ने अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर को छुआ, जिससे कुल खुदरा बिक्री में ज़बरदस्त वृद्धि हुई, जो नए उपभोक्ता विश्वास और मज़बूत आर्थिक अंतर्धारा का संकेत है. जीएसटी 2.0 के कारण पहले 21 दिनों तक लगभग शांत सितंबर के बाद, अक्टूबर में तेजी से उछाल आया – लगभग एक बाधा दौड़ की तरह, जहां दबी हुई मांग ने त्योहारी माहौल और कर कटौती के उत्साह को आगे बढ़ाया, जिससे बिक्री ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई.
अक्टूबर में तिपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री साल-दर-साल 5 प्रतिशत बढ़कर 1,29,517 इकाई हो गई, जबकि वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में पिछले महीने की इसी अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
FADA ने कहा कि अगले तीन महीनों में भारत के ऑटो रिटेल का परिदृश्य निर्णायक रूप से सकारात्मक बना हुआ है, जिसे GST 2.0 के निरंतर प्रभाव, स्थिर ग्रामीण आय और शादियों व फसलों की मौसमी मांग का सपोर्ट प्राप्त है.
इसमें आगे कहा गया है कि त्योहारों के दौरान होने वाली बुकिंग, बेहतर स्टॉक उपलब्धता और नए मॉडलों के लॉन्च से रिटेल की गति बनी रहने की उम्मीद है, जिसे साल के अंत में मिलने वाले ऑफर और नए साल के पंजीकरण से भी मदद मिलेगी.