Land Scam: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. उन पर जमीन घोटाले का गंभीर आरोप लगा है. पार्थ पवार की कंपनी पर महाराष्ट्र में दो अलग-अलग जगहों पर करोड़ों की जमीन कम कीमत में खरीदने का आरोप है. इस मामले पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उनके बेटे पार्थ पवार से जुड़े पुणे भूमि सौदे की जांच कर रही सरकारी समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस मामले में पार्थ पवार के व्यावसायिक साझेदार और निलंबित राजस्व अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. हालांकि पार्थ पवार का नाम FIR में दर्ज नहीं है.
मैं गलत काम का समर्थन नहीं करूंगा- अजित पवार
अपने बेटे से जुड़े पुणे जमीन सौदे पर महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा “मैंने अपने 35 साल के राजनीतिक जीवन में कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है. अगर मेरे परिवार या मेरे किसी करीबी ने कुछ गलत करने की कोशिश की, तो मैं उसका कभी समर्थन नहीं करूंगा. मैंने मामले की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ली है. मैंने मुख्यमंत्री फडणवीस को फोन किया और उन्हें बताया कि वे जांच के आदेश दे सकते हैं. सभी दस्तावेज और लेन-देन अब रद्द कर दिए गए हैं. संबंधित मामले में आरोपों की जांच के लिए आज एक समिति गठित की गई है. रिपोर्ट एक महीने में सौंप दी जाएगी. मामले में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. अधिकारियों पर किसने दबाव डाला, कौन शामिल था, किसने लेन-देन किया, सबकी जांच की जाएगी.”
रद्द कर दिया गया है पंजीकरण- अजित पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख ने कहा कि सौदे से संबंधित दस्तावेजों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और एक एफिडेविट अधिकारियों को सौंप दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि इस सौदे में एक भी रुपये का लेन-देन नहीं हुआ है. पवार ने कहा ‘‘संबंधित जमीन सरकारी है जिसे बेचा नहीं जा सकता. पार्थ और उनके सहयोगी दिग्विजय पाटिल को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी. पंजीकरण कैसे हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खरगे की अगुवाई में हो रही जांच में पता चलेगा और वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे.’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार अधिकारियों पर पार्थ पवार की कंपनी (अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी) को जमीन हस्तांतरित करने का कोई दबाव नहीं था.
लेनदेन में हमारी कोई भूमिका नही- अजित पवार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह भी कहा, “न तो मैंने और न ही मेरे कार्यालय ने कोई फोन किया, कोई मदद की, या किसी भी स्तर पर इस लेनदेन के बारे में हमारी कोई भूमिका या जानकारी थी. अब उपलब्ध जानकारी से यह स्पष्ट है कि यह केवल जमीन खरीदने का एक समझौता था. पार्थ, उनकी कंपनी अमीडिया या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा विक्रेता को कोई भुगतान नहीं किया गया है और जमीन को कब्जे में नहीं लिया गया है. इसलिए, लेनदेन पूरा नहीं हुआ है.”
मामले में दो प्राथमिकी दर्ज
महाराष्ट्र में 300 करोड़ रुपये के भूमि सौदे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे के व्यावसायिक साझेदार दिग्विजय पाटिल समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के एक दिन बाद शुक्रवार को पाटिल, शीतल तेजवानी और निलंबित राजस्व अधिकारी सूर्यकांत येवाले के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई. जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी ने बताया कि कथित गबन, धोखाधड़ी और जालसाजी को लेकर एक नायब तहसीलदार की शिकायत पर पुणे शहर के खड़क पुलिस स्टेशन में नयी प्राथमिकी दर्ज की गई. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह मामला आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दिया गया है. डूडी ने कहा ‘‘गुरुवार को, रजिस्ट्रार ऑफिस के महानिरीक्षक ने पाटिल, तेजवानी और उप-पंजीयक आरबी तारू के खिलाफ गबन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. हमारी शिकायत के आधार पर आज तहसीलदार येवाले, पाटिल और तेजवानी के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया. प्रारंभिक जांच के दौरान, अवैध रूप से जमीन के हस्तांतरण की अनुमति देने में निलंबित तहसीलदार की भूमिका का पता लगा, जबकि वह जमीन सरकारी थी. (इनपुट भाषा)