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मनुष्य में हुआ सुअर की किडनी का प्रत्यारोपण, पहली बार किया गया ऐसा क्लीनिकल ट्रायल


Pig kidney transplantation in human: मनुष्यों में इंसानों के अंगों के प्रत्यारोपण की दिशा में एक बड़ा प्रयोग किया गया है. रोग, उनकी पहचान, रोकथाम समेत तमाम प्रयोग जानवरों पर किए जाते हैं. इनमें चूहे, बंदर के साथ सुअरों पर बड़ी मात्रा में ट्रायल किए गए हैं. इसी सिलसिले में अब अमेरिका में यह पता लगाने के लिए पहला नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) किया गया कि क्या सुअर का गुर्दा (किडनी) मनुष्य में प्रतिरोपित करने से सचमुच किसी का जीवन बचाया जा सकता है. सुअर के गुर्दे को आनुवंशिक रूप से संशोधित करके उन्हें मनुष्यों में प्रतिरोपित करने के लिए अधिक अनुकूल बनाने वाली कंपनी ने सोमवार को घोषणा की कि शोध के तहत पहली बार ‘एनवाईयू लेंगोन हेल्थ’ चिकित्सा केंद्र में प्रारंभिक प्रतिरोपण किया जा चुका है.

पशु का अंग मनुष्य में प्रतिरोपित करने के प्रयासों की दिशा में यह सबसे नया कदम है. इसके अलावा अमेरिका की एक और कंपनी ‘ई-जेनेसिस’ आगामी महीनों में सुअर के गुर्दे पर नैदानिक परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल्स) करने की तैयारी कर रही है. इस संबंध में दुनिया में यह प्रारंभिक नैदानिक परीक्षण हैं. इन परीक्षण को ‘जेनो ट्रांसप्लांटेशन’ कहा जाता है.

रोगियों की पहचान रखी गई है गुप्त

शोधकर्ता इस परीक्षण में भाग लेने वालों की पहचान सुरक्षित रखने के लिए यह नहीं बता रहे हैं कि एनवाईयू में सर्जरी कब की गई. न ही उन्होंने रोगी के बारे में कोई जानकारी दी है. प्रत्यारोपण करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि उनके अस्पताल के पास इस परीक्षण में शामिल होने के इच्छुक अन्य रोगियों की एक सूची है, जिसमें शुरुआत में छह लोग शामिल होंगे.

पहले भी किए गए गुर्दा प्रत्यारोपण, लेकिन सफल नहीं रहे

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने इन कठोर शोध की अनुमति दी है. पहले दो बार मनुष्य में सुअर का गुर्दा प्रतिरोपित किया जा चुका है, लेकिन यह लंबे समय तक के लिए कारगर साबित नहीं हुआ है. उन दो प्रतिरोपणों के बाद चिकित्सकों ने उन मरीजों पर काम करना शुरू कर दिया जिन्हें गुर्दे की सख्त जरूरत थी, लेकिन वे पहले वाले मरीजों जितने बीमार नहीं थे.

कितने दिन जिंदा रहे पुराने रोगी, जिनका किडनी प्रत्यारोपण हुआ

न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में, अलबामा की एक महिला में प्रतिरोपित किया गया सुअर का गुर्दा 130 दिन तक काम कर पाया, जिसके बाद उसे फिर से डायलिसिस का सहारा लेना पड़ा. इसके अलावा मैसाच्युसेट्स जनरल अस्पताल में न्यू हैम्पशर के एक व्यक्ति में सुअर का गुर्दा प्रतिरोपित किया गया, जो 271 दिन तक काम कर सका. इसके बाद सुअर के गुर्दे ने पहले की तरह काम करना बंद कर दिया, जिसकी वजह से व्यक्ति को डायलिसिस कराना पड़ा. पिछले महीने उसमें प्रतिरोपित किया गया सुअर का गुर्दा निकाल दिया गया. इसके अलावा दो लोग सुअर के गुर्दे के सहारे जीवित हैं, जिनमें ‘मास जनरल’ में गुर्दा प्रतिरोपित कराने वाला एक व्यक्ति और चीन की एक महिला शामिल हैं.

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