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तेल बेचकर पानी खरीदेगा ईराक, तुर्की के साथ साइन की वाटर मैनेजमेंट डील, जानें कैसे काम करेगा यह समझौता


Iraq-Turkey link water deal to oil payments: इराक ने तुर्की के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत तुर्की कंपनियां इराक में जल अवसंरचना (वॉटर इंफ्रास्ट्रक्चर) परियोजनाओं को अंजाम देंगी. इन परियोजनाओं के लिए पैसे का इंतजाम तेल बिक्री से होने वाली आय से किया जाएगा. इस महत्वपूर्ण जल समझौते से जल संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण तथा सूखे के विनाशकारी प्रभावों को कम करने के लिए संयुक्त परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने बगदाद में आयोजित एक समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें यह समझौता इराक के विदेश मंत्री फुआद हुसैन और तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान द्वारा हस्ताक्षरित किया गया.

इराक के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, दोनों देशों ने जल सहयोग समझौते के लिए एक कार्यान्वयन तंत्र (इम्प्लीमेंटेशन मैकेनिज्म) को औपचारिक रूप दिया है, जो पिछले वर्ष हस्ताक्षरित हुआ था. हालांकि, नए तंत्र के विशिष्ट विवरणों का खुलासा नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री अल-सुदानी ने कहा कि यह समझौता “इराक में जल संकट के लिए एक सतत समाधान होगा, जो जल क्षेत्र में लागू की जाने वाली बड़ी संयुक्त परियोजनाओं के माध्यम से हासिल किया जाएगा.” उन्होंने कहा, “जल संकट एक वैश्विक संकट है, और इराक उन देशों में से एक है जो इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह समझौता तुर्की के साथ कई क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करेगा.

तुर्की 5 साल तक करेगा प्रणालियों का प्रबंधन

इस समझौते के तहत, इराक की सरकार एक समिति गठित करेगी जो जल अवसंरचना परियोजनाओं की निगरानी करेगी और तुर्की कंपनियों से बोलियां आमंत्रित करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन परियोजनाओं के भुगतान इराक के तेल निर्यात से होने वाली आय से किए जाएंगे. ईराकी मीडिया के अनुसार एक सूत्र ने इराक–तुर्की जल समझौते के नए विवरण साझा किए, जिसमें अंकारा की ओर से आने वाले दिनों में इराक को एक अरब घन मीटर पानी छोड़ने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया है. स्थानीय समाचार एजेंसी के अनुसार इस समझौते के तहत तुर्की अगले पांच वर्षों तक पानी की आपूर्ति और उससे जुड़ी सभी बुनियादी ढांचा व्यवस्थाओं जैसे बांधों और वितरण प्रणालियों का प्रबंधन करेगा. इस अवधि के बाद नियंत्रण वापस इराक को सौंप दिया जाएगा.

एर्दोआन की बगदाद यात्रा और नई दिशा

इस योजना का मूल ढांचा समझौता अप्रैल 2024 में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन की बगदाद यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित किया गया था. इसने वर्षों से तनावपूर्ण रहे द्विपक्षीय संबंधों के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग के एक नए दौर की शुरुआत की. इस दौरान इराक और तुर्की ने जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी, जिनमें 10-वर्षीय जल संसाधन प्रबंधन समझौता भी शामिल था, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि इराक को उसकी दोनों प्रमुख नदियों, टिगरिस और यूफ्रेट्स से बहने वाले पानी का उचित हिस्सा मिले. 

ताजा समझौते वाली इस पहल के पहले चरण में तीन जल-संग्रहण बांध (वॉटर हार्वेस्टिंग डैम्स) और तीन भूमि पुनर्वास (लैंड रिक्लेमेशन) परियोजनाएं शामिल होने की उम्मीद है. अब इस समझौते के तहत तुर्की का प्रबंधन जल अवसंरचना परियोजनाओं के सभी तकनीकी और लॉजिस्टिक पहलुओं को भी शामिल करेगा, जिससे इराक को नियमित और निगरानी के तहत जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके. हालांकि तुर्की ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पानी की आपूर्ति से उसके राष्ट्रीय जल भंडार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो वर्तमान में लगभग 90 अरब घन मीटर है. 

तेल राजस्व से बनाया जाएगा फंड

इस समझौते में आर्थिक पहलू भी शामिल हैं, जिनमें तुर्की के कुछ ऋणों को रद्द करना और द्विपक्षीय व्यापार को सालाना कम से कम 30 अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना शामिल है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे. इसमें यह भी प्रावधान है कि दोनों देश कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में विशेषज्ञता साझा करेंगे, और इराकी तेल राजस्व का उपयोग करके एक फंड स्थापित करेंगे, जिसके जरिए जल और कृषि परियोजनाएं तुर्की कंपनियों के सहयोग से चलाई जाएंगी.

जलवायु परिवर्तन और इराक का संकट

गर्मियों में लगातार लू और हीटवेव्स ने यह उजागर कर दिया है कि इराक जलवायु परिवर्तन के प्रति कितना संवेदनशील है. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इराक को दुनिया का पांचवां सबसे अधिक प्रभावित देश बताया है. इराक पिछले कई दशकों में सबसे भीषण सूखे का सामना कर रहा है. विशेष रूप से जुलाई और अगस्त के महीनों में तापमान 50°C से ऊपर पहुंच जाता है. इराक के जल संसाधन मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष देश के जल भंडार पिछले 80 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. इसका कारण कमजोर बारिश का मौसम और टिगरिस व यूफ्रेट्स नदियों से जल प्रवाह में भारी कमी है. इराकी अधिकारियों ने ईरान और तुर्की में बने ऊपरी बांधों को भी जिम्मेदार ठहराया है, जिनसे इन नदियों का प्रवाह घटा है. 

दशकों से समाधान की कोशिश

पानी की कमी दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रही है, क्योंकि इराक के लगभग 70% जल संसाधन पड़ोसी देशों से आते हैं मुख्य रूप से टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों के माध्यम से, जो तुर्की से होकर बहती हैं. कई दशकों से इराक इन दोनों पड़ोसी देशों को यह समझाने में असफल रहा कि जल का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए समझौते किए जाएं. तुर्की और ईरान का कहना है कि वे खुद भी जल की कमी से जूझ रहे हैं और इराक अब भी पुराने सिंचाई तरीकों का इस्तेमाल करता है. हालांकि अब इस नए समझौते से ईराक की परिस्थिति बदलने की उम्मीद है. 

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