अब अमेरिका में एक साल में केवल 7500 रिफ्यूजी को मिलेगी एंट्री, इनमें अधिकतम अफ्रीकानर, जानें कौन है यह व्हाइट ग्रुप?
 
Donald Trump slashes annual Refugee entering in US: ट्रंप प्रशासन पूरी तरह से मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ रहा है. इमिग्रेशन पॉलिसी के अपने सख्त रुख को और आगे बढ़ाते हुए इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के अधिकारी अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखे हुए हैं. इसी बीच ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि वह अमेरिका में हर साल प्रवेश करने वाले शरणार्थियों की संख्या को घटाकर केवल 7,500 कर देगा. इनमें से ज्यादातर शरणार्थी श्वेत दक्षिण अफ्रीकी होंगे, जिन्हें अमेरिका में एंट्री की इजाजत दी जाएगी. ट्रंप का यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में तय की गई सीमा 1,25,000 से बहुत कम है.
जनवरी 2025 में, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम (USRAP) को निलंबित कर दिया गया था, ताकि अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे सकें. 20 जनवरी को ट्रंप ने कहा था कि वह USRAP को इस आधार पर निलंबित करेंगे कि अमेरिका के पास “अधिक संख्या में प्रवासियों, विशेष रूप से शरणार्थियों को इस तरह समायोजित करने की क्षमता नहीं है, जिससे अमेरिकी नागरिकों के संसाधनों की उपलब्धता प्रभावित न हो” और यह निर्णय उनकी सुरक्षा और संरक्षा की रक्षा के लिए लिया जा रहा है.
ट्रंप का ध्यान अफ्रीकानर्स पर क्यों है?
इस नीति के केंद्र में ट्रंप का यह दावा है कि श्वेत दक्षिण अफ्रीकी विशेष रूप से अफ्रीकानर किसान अश्वेत-बहुल राष्ट्र में उत्पीड़न और नस्लीय भेदभाव के शिकार हैं. दक्षिण अफ्रीका की सरकार बार-बार इन दावों का खंडन कर चुकी है. फरवरी में, ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सहायता निलंबित करने और अफ्रीकानर परिवारों के लिए एक नया पुनर्वास कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी.
ट्रंप ने सिरिल रामाफोसा की आलोचना उनके सामने ही की थी
मई में, ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा की आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि उनके देश में श्वेत किसानों की हत्या की जा रही है और उनका उत्पीड़न हो रहा है. व्हाइट हाउस ने एक वीडियो भी चलाया था, जिसमें कथित तौर पर “मारे गए श्वेत किसानों के दफन स्थलों” को दिखाया गया था. बाद में यह पाया गया कि वह फुटेज वास्तव में 2020 के एक विरोध प्रदर्शन की थी, जिसमें प्रतीकात्मक क्रॉस का उपयोग किया गया था. राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने संयम बनाए रखते हुए बाद में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इस मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीकियों की बात सुनेंगे. बाद में उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि “ट्रंप के दिमाग में इस पूरे मामले को लेकर संदेह और अविश्वास है.”
कौन हैं दक्षिण अफ्रीका के अफ्रीकानर्स
ट्रंप के निर्णय के तहत अफ्रीकानरों के लगभग 70 लोगों का पहला समूह मई और जून में अमेरिका पहुंचा, जिसे अधिकारियों ने व्यापक पुनर्वास प्रयास की शुरुआत बताया. रिपोर्टों के अनुसार, अब तक लगभग 400 श्वेत दक्षिण अफ्रीकी इस पहल के तहत अमेरिका आ चुके हैं. अफ्रीकानर दक्षिण अफ्रीका की 6.2 करोड़ आबादी में लगभग 27 लाख हैं. वे 17वीं सदी में आए डच और फ्रेंच की संतानें हैं, जिन्होंने उस समय साउथ अफ्रीका को अपनी कॉलोनी बनाया था. उनकी भाषा, अफ्रीकान्स, डच भाषा से विकसित हुई है और यह दक्षिण अफ्रीका की 11 आधिकारिक भाषाओं में से एक है.
दक्षिण अफ्रीकी समाज में घुले मिले हैं अफ्रीकानर
हालांकि वे ऐतिहासिक रूप से 1994 में समाप्त हुए अपार्थाइड शासन (नस्लीय भेदभाव की व्यवस्था) के केंद्र में थे, लेकिन आज अफ्रीकानर बहु-नस्लीय लोकतंत्र में सरकार, व्यापार, खेल और संस्कृति जैसे सभी क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इस एकीकरण के बावजूद, कुछ दक्षिणपंथी समूहों का दावा है कि आरक्षण (affirmative action) और भूमि पुनर्वितरण (land redistribution) जैसी नीतियाँ श्वेत लोगों के खिलाफ भेदभाव करती हैं. ट्रंप प्रशासन ने इन्हीं शिकायतों और किसानों पर होने वाली छिटपुट हिंसा की घटनाओं को उत्पीड़न के सबूत के रूप में प्रस्तुत किया है. यह नैरेटिव अमेरिकी टिप्पणीकारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा और भी फैलाया गया है, जो अफ्रीकानर समर्थक समूहों के प्रति सहानुभूति रखते हैं. एलन मस्क जैसे प्रमुख व्यक्तित्व, जो खुद दक्षिण अफ्रीका में जन्मे हैं, उन्होंने भी दक्षिण अफ्रीकी सरकार श्वेतों के प्रति नस्लवादी होने का आरोप लगाया है.
1980 के शरणार्थी अधिनियम (Refugee Act of 1980) के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को हर साल शरणार्थियों की सीमा तय करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए कांग्रेस और पुनर्वास एजेंसियों से परामर्श आवश्यक होता है. ट्रंप की राजनीति का आधार वर्ग लंबे समय से यह तर्क देता रहा है कि पश्चिमी देशों को उल्टा भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले कई अफ्रीकानर इस उत्पीड़न वाले नैरेटिव को खारिज करते हैं. उनका कहना है कि देश में अपराध और असमानता जैसी गंभीर समस्याएँ हैं, लेकिन ये मुद्दे नस्ल की सीमाओं से परे हैं और सभी को प्रभावित करते हैं.
ट्रंप का फोकस मानवीय चिंता और राष्ट्रीय हित में
फेडरल रजिस्टर में गुरुवार को प्रकाशित एक बयान के मुताबिक, शरणार्थी प्रवेश की संख्या को घटाकर 7,500 करने का यह कदम अगले वित्तीय वर्ष के लिए लागू रहेगा. हालांकि इस कटौती का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, लेकिन नोटिस में कहा गया है कि यह कदम मानवीय चिंताओं के कारण या फिर राष्ट्रीय हित में उचित है. ट्रंप प्रशासन के नोटिस में यह भी कहा गया कि 7,500 शरणार्थियों की यह संख्या मुख्य रूप से अफ्रीकानर दक्षिण अफ्रीकियों और अपने-अपने देशों में अवैध या अनुचित भेदभाव के शिकार अन्य लोगों के लिए आरक्षित होगी.
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