‘दिल्ली दंगे थे सत्ता पलटने की साजिश’, SC में पुलिस के हलफनामे में बड़ा खुलासा, कहा- बेल नहीं देनी चाहिए
Delhi Riots 2020 Update: साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट सबमिट करके दिल्ली दंगों को सत्ता पलटने की साजिश के तहत चलाए गए ‘रिजीम चेंज ऑपरेशन’ का हिस्सा बताया. हलफनामे के जरिए उमर खालिद और शरजील इमाम समेत अन्य की जमानत का विरोध किया. 177 पेजों का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दायर जमानत याचिकाओं के विरोध में दिया गया है.
सोची समझी साजिश का हिस्सा थे दंगे
दिल्ली पुलिस के हलफनामे में दावा किया गया है कि दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि राजनीतिक साजिश के तहत शांति और कानून व्यवस्था को अस्थिर करने की लिए रची गई सोची-समझी साजिश का हिस्सा थे. साजिश सांप्रदायिक भेदभाव को आधार बनाकर रची गई थी. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) का उल्लंघन करते हुए असहमति को हथियार बनाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने की कोशिश की गई थी.
दंगों के समय भारत में आए हुए थे ट्रंप
एफिडेविट में दावा किया गया है कि दंगे भड़काने का मकसद शांति को भंग करना और अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब करना था, क्योंकि दंगे ठीक उसी समय भड़काए गए थे, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आए थे. अब जमानत याचिकाएं दायर करके ट्रायल की कार्यवाही में जानबूझकर देरी कराने की कोशिश की जा रही है. कार्यवाही पूरी होने में देरी की वजह जांच एजेंसियां नहीं आरोपी खुद हैं.
UAPA एक्ट के तहत नहीं दी जाती बेल
एफिडेविट में दावा किया गया है कि आरोपी कार्यवाही पूरी करने में सहयोग नहीं कर रहे हैं. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवाद से जुड़े अपराधों के लिए बेल नहीं दी जाती है और आरोपी अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित करने में नाकाम साबित हुए हैं, इसलिए केस का फैसला आने तक बेल नहीं दी जानी चाहिए. आरोपी जेल से बाहर आकर कार्यवाही को प्रभावित कर सकते हैं.