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वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर विवाद: LIC और अडाणी ने सामने रखी सच्चाई, विदेशी मीडिया पर उठे सवाल


Controversy Over Washington Post Investment Report: वॉशिंगटन पोस्ट ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि भारत सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अडाणी ग्रुप में करीब 33 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर कारोबारी गौतम अडाणी को फायदा पहुंचाया. रिपोर्ट में कहा गया कि यह फैसला सरकारी दबाव में लिया गया था. हालांकि, इस रिपोर्ट में किसी ठोस दस्तावेज या स्वतंत्र जांच का जिक्र नहीं था, सिर्फ अनाम सूत्रों का हवाला दिया गया.

LIC और अडाणी ग्रुप का जवाब

अडाणी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को झूठा और भ्रामक बताया. कंपनी ने कहा कि उसने जून 2025 में 45 करोड़ डॉलर का कर्ज समय से पहले चुका दिया, किसी रिफाइनेंसिंग की जरूरत नहीं पड़ी. वहीं LIC ने स्पष्ट कहा कि अडाणी कंपनियों में उसका निवेश पूरी तरह बोर्ड अप्रूवल और जांच के बाद हुआ है. इसके अलावा, अडाणी में उसका निवेश कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ 1% है, और इस निवेश पर उसे 120% से ज्यादा का लाभ मिला है.

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LIC में जनता का भरोसा अटूट क्यों है

LIC भारत की सबसे पुरानी और भरोसेमंद वित्तीय संस्थाओं में से एक है. 1956 में बनी यह कंपनी आज 30 करोड़ से ज्यादा पॉलिसियों के साथ हर भारतीय परिवार से जुड़ी हुई है. छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक, लोग LIC को अपनी मेहनत की कमाई का सबसे सुरक्षित ठिकाना मानते हैं. इसकी संपत्ति 2014 के 1.56 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2025 में 15.6 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है.

विदेशी मीडिया की मंशा पर सवाल

भारत सरकार, LIC और अडाणी तीनों के स्पष्टीकरण के बावजूद वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट को लेकर कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया. यही कारण है कि भारतीय सोशल मीडिया पर #FakeNewsWaPo और #StopTargetingIndia जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. आलोचकों का कहना है कि विधानसभा चुनावों से पहले ऐसी रिपोर्टें भारत की आर्थिक छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हैं.

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वॉशिंगटन पोस्ट पर आरोप

यह पहली बार नहीं है जब वॉशिंगटन पोस्ट पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप लगा हो. 2021 में अमेरिकी राजनीति पर गलत उद्धरण देने, 2023 में हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों को बिना सत्यापन प्रकाशित करने और 2025 में गाजा पर झूठी खबर छापने के बाद अखबार को माफी मांगनी पड़ी थी. ऐसे में भारत से जुड़ी इसकी रिपोर्टों पर शक होना स्वाभाविक है.