ट्रंप के ASEAN सम्मेलन के बीच रुबियो का बड़ा बयान, पाकिस्तान से रिश्तों के बावजूद भारत रहेगा अमेरिका का भरोसेमंद साथी
Rubio Statement India US Trust: दक्षिण एशिया में अमेरिका की विदेश नीति फिर से सुर्खियों में है. अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है, लेकिन साथ ही भारत के साथ अपने पुराने और गहरे रिश्तों को भी कमजोर नहीं करना चाहता. यही बात अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कही. रुबियो ने दोहा से मलेशिया जा रहे विमान में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को बढ़ाना चाहता है, लेकिन यह भारत के साथ उसके “गहरे, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण” दोस्ती को कमजोर नहीं करेगा.
उन्होंने इसे “परिपक्व और व्यावहारिक विदेश नीति” का हिस्सा बताया. “हम पाकिस्तान के साथ अपने रणनीतिक रिश्ते बढ़ाने का अवसर देखते हैं. मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के साथ हमारी कोई पहल भारत के साथ हमारे रिश्तों की कीमत पर है.” रुबियो ने यह भी कहा कि भारत के पास भी ऐसे दोस्त हैं जिनसे अमेरिका के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, और अमेरिका के लिए भी वैसा ही है.
Rubio Statement India US Trust: करीबी दोस्ती का ताना-बाना
रुबियो के बयान ऐसे समय आए हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ASEAN सम्मेलन के दौरे पर हैं. ट्रंप पाकिस्तान के साथ अपने करीबी रिश्ते को बार-बार उजागर कर रहे हैं. ASEAN सम्मेलन में ट्रंप ने प्रधानमंत्री शेहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर को “महान लोग” बताया और कहा कि वह पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष का जल्दी समाधान करेंगे.
भारत-अमेरिका संबंधों में चुनौतियां
रुबियो ने यह भी माना कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में कुछ चुनौतियां हैं. इनमें शामिल हैं ट्रंप के तहत भारत पर लगाए गए टैरिफ और भारत की रूस से तेल खरीदना. उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ चुनौतियों से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन हमारा काम यह है कि जहां अवसर हो, साझेदारी के रास्ते बनाएं.
ट्रंप के दावों का भारत ने किया खंडन
रुबियो के बयान उस समय आए हैं जब ट्रंप बार-बार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराया. यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पाहलगाम हमले के जवाब में भारत ने शुरू किया था. भारत ने कई बार ट्रंप के दावे को खारिज किया है और बताया कि DGMO पाकिस्तान की ओर से भारत से संपर्क किया गया था, जबकि पाकिस्तान ने इस स्थिति का फायदा अमेरिकी समर्थन पाने के लिए उठाया और ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया.
अमेरिका की रणनीति- दोनों देशों के साथ मजबूत दोस्ती
रुबियो ने दोहराया कि अमेरिका दोनों देशों के साथ अपने रणनीतिक साझेदारियों को फिर से मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि ASEAN सम्मेलन में वह भारत के विदेश मंत्री S. जयशंकर से व्यापार और रणनीतिक सहयोग पर बातचीत करेंगे. रुबियो के मुताबिक, अमेरिका और भारत निकट सहयोगी बने रहेंगे, और पाकिस्तान के साथ बढ़ते रिश्ते का मतलब भारत के साथ संबंधों की कमजोरी नहीं है. यह कदम अमेरिका की दक्षिण एशिया में संतुलित विदेश नीति की दिशा को दर्शाता है, जिसमें दोनों परमाणु-शक्ति देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए जा रहे हैं.
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