What is Artifical Rain: ठंड बढ़ने के साथ दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. आज 24 अक्टूबर दिन शुक्रवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 292 है और दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 से 500 के बीच रिकॉर्ड हुआ है. इसलिए बढ़ते वायु प्रदूषण और जहरीली होती हवा को देखते हुए सरकार ने राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने का ऐलान किया है, जो 29 अक्टूबर को हो सकती है.
इसके लिए बुराड़ी में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया गया था, जो सफल रहा. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) 28-29 और 30 को आसमान में बादल छाए रहने का अनुमान लगाया है, जिसके चलते दिल्ली सरकार ने 29 को कृत्रिम बारिश कराने का फैसला किया है. दिल्ली में BJP सरकार की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर पोस्ट करके कृत्रिम बारिश होने का ऐलान किया है.
दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आज विशेषज्ञों द्वारा बुराड़ी क्षेत्र में इसका सफल परीक्षण किया गया है।
मौसम विभाग ने 28, 29 और 30 अक्टूबर को बादलों की उपस्थिति की संभावना जताई है। यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो…
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) October 23, 2025
क्या होती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश को ही क्लाउड सीडिंग कहते हैं. वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करके कृत्रिम बारिश या बर्फबारी कराई जाती है. जो बादल छाए होते हैं और वे गरजते तो हैं, लेकिन बरसते नहीं है तो उन बादलों में क्लाउड सीडिंग करके बारिश कराई जाती है. क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाइड, पोटैसियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड को मिक्स करके बीज बनाए जाते हैं, जिनका छिड़काव हवाई जहाज से छाए हुए बादलों पर किया जाता है. यह बीज बादलों के पानी को बर्फ बना देते हैं, जो एक दूसरे से चिपककर जमीन पर गिरकर फूटते हैं, जिनसे पानी निकलता है.
#WATCH | Delhi | The AQI at the India Gate and the surrounding areas was recorded at 254 in the ‘Poor’ category as per the CPCB pic.twitter.com/RvzGNzFVLK
— ANI (@ANI) October 24, 2025
कैसे कराई जाएगी कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश पाइरोटेक्निक नामक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कराई जाती है. 3 रासायनिक पदार्थों के मिश्रण से बने बीजों को हवाई जहाज, रॉकेट या जमीन पर लगे जनरेटर के जरिए छाए हुए बादलों तक पहुंचाया जाता है. इसके लिए हवाई जहाज या एयरक्राफ्ट की दोनों पंखों के नीचे 8 से 10 पॉकेट वाले पाइरोटेक्निक फ्लेयर्स लगाए जाते हैं. इन फ्लेयर्स में बीज रखते जाते हैं, जिन्हें बदलन दबाकर बादलों के अंदर ब्लास्ट किया जाएगा. बता दें कि कृत्रिम बारिश का 100 किलोमीटर तक के दायरे में महसूस होती है, लेकिन यह तभी कारगर है, जब बादल छाए हुए हैं और उनके अंदर पर्याप्त नमी हो.
Rain making. How Dubai creates artificial rain.
[🎞️ Interesting Engineering]pic.twitter.com/yaiI9fjYmr
— Massimo (@Rainmaker1973) October 2, 2025
क्यों कराई जाती कृत्रिम बारिश?
बता दें कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश वायु प्रदूषण को कम करने और हवा में फैले प्रदूषकों को खत्म करने के लिए कराई जाती है, लेकिन आमतौर पर कृत्रिम बारिश सूखाग्रस्त इलाकों में कराई जाती है, ताकि किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिले. जलाशयों और नदियों में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए भी कृत्रिम बारिश कराई जाती है. वहीं कृत्रिम बारिश बर्फबारी बढ़ाने के लिए भी की जाती है, ताकि टूरिस्टों को स्कीइंग करने का मौका मिलेगा.
सफलता की संभावना और नुकसान
कृत्रिम बारिश की सफलता हर बार संभव हो, पॉसिबल नहीं है, क्योंकि कृत्रिम बारिश मौसम की स्थिति पर निर्भर करती है. कृत्रिम बारिश के लिए पहले तो आसमान में बादल छाने जरूरी हैं, फिर छाए हुए बादलों में बारिश की बूंदें यानी नमी होनी जरूरी है. वहीं कृत्रिम बारिश से पर्यावरण को नुकसान हो सकते हैं. क्लाउड सीडिंग के लिए बीज बनाने हेतु इस्तेमाल किए जाने वाले सिल्वर आयोडाइड का असर पर्यावरण पर पड़ सकता है. एक जगह कृत्रिम बारिश कराने से दूसरी जगह का मौसम प्रभावित हो सकता है.
This is Dubai’s artificial rain which happens because of cloud seeding pic.twitter.com/IDefL0BOLi
— Abhishek Singhania (@TradeNinvesting) June 29, 2025
पहली बार कब हुई कृत्रिम बारिश?
बता दें कि दुनिया में पहली कृत्रिम बारिश 1946 में अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टेट के स्केनेक्टैडी शहर में कराई गई थी. विन्सेंट शेफर नामक वैज्ञानिक ने कृत्रिम बारिश का आइडिया दिया था. जनरल इलेक्ट्रिक लैब में काम करने वाले विन्सेंट ने एक छोटे विमान से बादलों में ठोस कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का छिड़काव किया, जिससे बादलों में मौजूद नमी बर्फ बन गई और फिर हल्की बर्फबारी हुई. वहीं भारत में क्लाउड सीडिंग पहली बार 1957 में मुंबई में हुई थी, जिसे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मिलकर की थी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराई थी.
भारत में कृत्रिम बारिश महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात में कराई जा चुकी है.