5940 करोड़ के संशोधित झरिया मास्टर प्लान की निगरानी के लिए बनेगी कमेटी, कोयला सचिव ने झारखंड को लिखी चिट्ठी
 
Revised Jharia Master Plan: झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र में लगी आग से निपटने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए 5,940 करोड़ रुपए के संशोधित ‘मास्टर प्लान’ के क्रियान्वयन की प्रगति की निगरानी के लिए एक कमेटी का गठन किया जायेगा. कोयला सचिव विक्रम देव दत्त ने इस संबंध में झारखंड सरकार को एक चिट्ठी लिखी है.
मास्टर प्लान कार्यान्वयन की प्रगति की नियमित होगी निगरानी
चिट्ठी में कहा गया है कि झारखंड सरकार, कोयला सचिव और झारखंड सरकार के मुख्य सचिव की सह-अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित करेगी, जो संशोधित जेएमपी (झरिया मास्टर प्लान) के कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी के लिए नियमित आधार पर बैठक करेगी. इसमें कहा गया है कि झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण (जेआरडीए) को मजबूत करना तत्काल प्राथमिकता है.
Revised Jharia Master Plan: 2009 में बनी योजना नहीं हो पायी पूरी
झारखंड के धनबाद जिले में आग, भू-स्खलन और पुनर्वास से निपटने के लिए संयुक्त परियोजना प्रबंधन परियोजना को केंद्र सरकार ने अगस्त 2009 में मंजूरी दी थी. इसकी कार्यान्वयन अवधि 10 वर्ष और कार्यान्वयन-पूर्व अवधि 2 वर्ष थी. अनुमानित निवेश 7,112.11 करोड़ रुपए था. इस योजना की अवधि वर्ष 2021 में समाप्त हो गयी.
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केंद्र ने 5,940.47 करोड़ के संशोधित मास्टर प्लान को दी मंजूरी
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस वर्ष जून में 5,940.47 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ संशोधित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) को मंजूरी दी थी. झरिया कोयला क्षेत्र की कोयला खदानों में वर्ष 1916 में आग लगने की पहली घटना सामने आयी और तब से ‘ओवरबर्डन’ यानी खान के आसपास रखे मलबे (मिट्टी, पत्थर आदि) में कई बार आग लग चुकी है.
कोयला सचिव ने झारखंड सरकार से मांगा सहयोग
कोयला सचिव ने कहा कि संशोधित संयुक्त परियोजना कार्यान्वयन केंद्र सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है, क्योंकि इससे झरिया के निवासियों को अत्यधिक लाभ होगा. सचिव ने पत्र में लिखा है, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस योजना को यथाशीघ्र लागू करने में पूर्ण सहयोग प्रदान करें.’
संशोधित मास्टर प्लान में पुनर्वासित परिवारों के लिए आजीविका सृजन पर जोर
संशोधित योजना में पुनर्वासित परिवारों के लिए स्थायी आजीविका सृजन पर जोर दिया गया है. इसके तहत लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम चलाये जायेंगे और पुनर्वासित परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए आय-सृजन के अवसर सृजित किये जायेंगे.
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