क्या होती आदर्श आचार संहिता जो चुनाव की तारीख का एलान होते ही हो जायेगी लागू? ऐसा करने पर रहेगी रोक, उल्लंघन पर कार्रवाई भी
Bihar Election 2025: दिल्ली में आज शाम 4 बजे भारत निर्वाचन आयोग का प्रेस कांफ्रेंस होगा. संभावना जताई जा रही है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान किया जा सकता है. अगर तारीख की घोषणा होती है तो उसके बाद आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जायेगी. इसका मतलब यह है कि कोई भी राजनीतिक दल हो या फिर प्रशासन, उन्हें निर्वाचन आयोग के कड़े नियमों के मुताबिक ही काम करना होगा.
आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद क्या-क्या रहेगी पाबंदी?
- आदर्श आचार संहिता लागू होते ही कोई भी राजनीतिक नेता धर्म, जाति या फिर भाषा के नाम पर वोट नहीं मांग सकते. भड़काऊ भाषण के साथ-साथ वोटर्स को लुभाने के मकसद से उपहार देने या फिर पैसे देने पर रोक रहेगी.
- प्रशासनिक स्तर पर बात करें तो, सभी जिलों के डीएम, एसडीओ, बीडीओ, एसपी के साथ ब्लॉक अधिकारी निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में आ जायेंगे. इसके साथ बिना आयोग के परमिशन के किसी भी अधिकारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो सकेगी.
- आचार संहिता लागू होने पर सरकार की तरफ से नई घोषणाएं नहीं की जा सकेगी. कोई भी नई परियोजना या फिर परियोजनाओं का उद्घाटन करने पर रोक रहेगी. कोई भी बजट आवंटित नहीं किया जायेगा. इसके साथ ही राजनीतिक दलों की बैठक पर भी रोक रहेगी.
- राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव प्रचार और किसी तरह के विज्ञापन जारी किये जाने पर भी रोक रहेगी. सरकारी भवन, गाड़ियां, विमान या बंगले का इस्तेमाल चुनावी प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा. खासकर सोशल साइट पर भी राजनीतिक मैसेज या फिर पार्टी प्रतीक हटाने होते हैं. सरकार की उपलब्धियों वाले होर्डिंग्स-पोस्टर नहीं लगेंगे
क्या है आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य?
आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य यह है कि कोई भी राजनीतिक दल या फिर नेता अपने पद का दुरुपयोग ना करें. इसके साथ ही वोटर्स को प्रभावित ना कर सकें और मतदाता बिना किसी दबाव के वोट दे सकें. तारीख का एलान होते ही राज्य की बागडोर निर्वाचन आयोग के हाथ में चली जायेगी.
कब तक जारी रहती है आदर्श आचार संहिता?
निर्वाचन आयोग की तरफ से चुनाव की तारीख का एलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जायेगी. मतदान प्रक्रिया पूरी होने और रिजल्ट जारी होने तक लागू रहती है. यानी कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह खत्म होने के बाद ही राज्य सरकार के सामान्य अधिकार बहाल हो सकेंगे.
क्या हो सकती है कार्रवाई?
चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े और घृणा फैले. आदर्श आचार संहिता को लेकर नियम तोड़े जाने पर निर्वाचन आयोग उसे नोटिस देकर जवाब तलब कर सकता है. इतना ही नहीं, निर्वाचन आयोग एफआईआर भी दर्ज करवा सकता है. जानकारी के मुताबिक, जुर्माना और नामांकन रद्द तक हो सकता है.
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