तीन आईसीसी ट्रॉफी और पांच आईपीएल खिताब जीतने वाले कप्तान ‘कैप्टन कूल’ महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) फिर एक बार चर्चा में आ गए है. यूं तो वह अक्सर चर्चा में बने रहते है लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है. धोनी कई लोगों को इंस्पायर (Inspire) करते हैं जिसमें कई युवा खिलाड़ी भी हैं. इस बार भी मामला कुछ ऐसा ही है, दरअसल IPL में सीएसके (CSK) के पूर्व और मौजूदा समय में गुजरात टाइटंस के खिलाड़ी साईं किशोर (Sai Kishore) ने एमएस धोनी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. जिसने धोनी की मानसिक मजबूती और अनुशासन के एक नए दृष्टिकोण से पेश किया. किशोर ने बताया कि धोनी मैचों के लिए होटल से निकलते समय अपना मोबाइल फोन कमरे में छोड़ देते थे. इसका अर्थ साफ है, वे पूरी तरह से खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे और बाहरी डिजिटल हस्तक्षेप से दूरी बनाए रखते थे.
धोनी का खेल पर पूरा ध्यान
धोनी का यह तरीका उनके मानसिक फोकस और खेल के प्रति समर्पण को दर्शाता है. फोन से दूरी बनाए रखना यह सुनिश्चित करता है कि खिलाड़ी किसी भी तरह के ध्यान भंग या तनाव से दूर रहे. क्रिकेट जैसे खेल में, जहां निर्णय लेने की गति और सटीकता महत्वपूर्ण होती है, इस तरह की मानसिक तैयारी खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है. धोनी ने हमेशा अपने खेल के साथ-साथ मानसिक तैयारी को भी बराबर महत्व दिया.
धोनी की जीवनशैली में अनुशासन
धोनी की यह आदत उनके अनुशासन और पेशेवर जीवनशैली का परिचायक है. सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि निजी जीवन में भी उन्होंने हमेशा अनुशासन को प्राथमिकता दी. मैच के दौरान फोन को कमरे में छोड़ना दर्शाता है कि उन्होंने व्यक्तिगत आराम और मनोरंजन से परे खेल की प्राथमिकता रखी. यह पेशेवर खिलाड़ी के दृष्टिकोण की मिसाल है, जो न केवल क्रिकेट के लिए बल्कि जीवन में भी अनुशासन का पालन करता है.
युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
साई किशोर ने अपने सीएसके अनुभव को साझा करते हुए कहा कि धोनी को देखकर उन्हें यह समझ आया कि सोशल मीडिया या बाहरी प्रभावों से खुद को विचलित नहीं होना चाहिए. धोनी का अनुशासन और मैदान पर फोकस युवा खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है. अक्सर युवा खिलाड़ी सोशल मीडिया, फोन और अन्य डिजिटल माध्यमों में उलझ जाते हैं, जो उनकी खेल तैयारी और मानसिक फोकस पर प्रभाव डाल सकता है. धोनी ने यह दिखाया कि व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और अनुशासन से कोई भी खिलाड़ी अपनी मानसिक तैयारी को बेहतर बना सकता है. यह आदत बताती है कि कैसे मानसिक मजबूती और समर्पण किसी खिलाड़ी की सफलता में बड़ा योगदान कर सकते हैं.
डिजिटल दुनिया से दूरी
आज के समय में सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया का प्रभाव लगभग हर पहलू में है. क्रिकेट जैसे मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल में, इनका ध्यान भंग करना आसान है. धोनी की यह आदत एक संदेश देती है कि समय-समय पर डिजिटल दुनिया से दूरी बनाना मानसिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन के लिए आवश्यक है. यह न केवल खिलाड़ियों के लिए, बल्कि हर पेशेवर व्यक्ति के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख है.
टीम भावना का उदाहरण
धोनी की स्थिर और शांत नेतृत्व शैली उन्हें क्रिकेट जगत में सबसे अलग बनाती है. उनका यह व्यवहार दिखाता है कि वे केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरी टीम के लिए मानसिक संतुलन और अनुशासन बनाए रखना चाहते हैं. जब कप्तान खुद अनुशासित और फोकस्ड होता है, तो टीम के अन्य खिलाड़ी भी उसी दिशा में प्रेरित होते हैं.
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