Bihar News: पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है. परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार अब राजद का दामन थामने जा रहे हैं. तीन अक्टूबर को तेजस्वी यादव की मौजूदगी में संजीव राजद की सदस्यता ग्रहण करेंगे. गोगरी भगवान हाई स्कूल मैदान में एक बड़ी सभा का आयोजन किया जा रहा है. तेजस्वी यादव खुद डॉ. संजीव को पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे. परबत्ता क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के कारण उनका राजद में जाना जदयू की बड़ी क्षति मानी जा रही है.
महज 951 वोट से जीते थे चुनाव
भूमिहार समाज से आने वाले डॉ. संजीव कुमार की जाति और क्षेत्र दोनों में अच्छी पकड़ है. उन्होंने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में ब्रह्मर्षि समाज की बैठक बुलाई थी, जिसे भूमिहार वोटरों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा गया. डॉ संजीव के राजद में जाने से जदयू की परबत्ता सीट कमजोर पड़ सकती है, जबकि राजद को भूमिहार समुदाय में बड़ा फायदा मिल सकता है. वैसे 2020 के विधानसभा चुनावों में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार डा. संजीव कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के दिगंबर प्रसाद तिवारी को महज 951 वोटों के अंतर से हराया था.
क्या रहा था परिणाम
डॉ संजीव, जदयू
77,226 वोट
41.61% वोट शेयर
दिगंबर प्रसाद तिवारी,राजद
76,275 वोट
वोट शेयर 41.10%
क्या है नाराजगी की वजह
डॉ संजीव पिछले कुछ समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. जदयू नेतृत्व के खिलाफ उनके बयान मीडिया में आ रहे थे. जब जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में वापसी की थी, तब भी उनके रुख को लेकर चर्चा तेज थी. डॉ संजीव पर पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की साजिश के मामले में EOU ने पूछताछ भी की थी. डॉ संजीव का आरोप है कि पार्टी के कुछ नेता उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में कुछ लोग खुद को बड़ा नेता समझते हैं, लेकिन वे वास्तव में कुछ नहीं हैं.
पार्टी के लोगों पर ही साजिश का आरोप
जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने डॉ संजीव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे पार्टी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. डॉ संजीव इसे फर्जी मामला बताते हैं और कहते हैं कि यह उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है. डॉ संजीव और अशोक चौधरी के बीच मतभेद की भी खबरें हैं. अशोक चौधरी को राष्ट्रीय महासचिव का पद दिए जाने पर डॉ संजीव ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों किया गया. डॉ संजीव की नाराजगी पार्टी नेतृत्व के साथ संवादहीनता के कारण भी है.
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