डूसू चुनाव में एबीवीपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार में से तीन पदों पर जीत हासिल की है. संयुक्त सचिव के तौर पर आपको जीत मिली है. चुनाव में मिली जीत के बाद आपकी प्राथमिकता क्या है?
दिल्ली यूनिवर्सिटी में देश के हर राज्यों के छात्र पढ़ने आते हैं. इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के बच्चों की संख्या काफी होती है. डीयू में हॉस्टल एक बड़ी समस्या है. हमारी कोशिश प्रवासी छात्रों के लिए हॉस्टल मुहैया कराने की है. काफी समय में एबीवीपी हॉस्टल की संख्या बढ़ाने की मांग करता रहा है और अब इस दिशा में कदम उठाया जाएगा. हमारी कोशिश छात्रों के संघर्ष को कम करने की होगी. बिहार, उत्तर प्रदेश और दूर-दराज के छात्र काफी संघर्ष कर पढ़ाई के लिए दिल्ली आते हैं. छात्रों की हर तरह की परेशानी को कम करना एबीवीपी की प्राथमिकता में शामिल है. दूसरा, हमारी कोशिश कैंपस में वुमेन सेफ्टी को सशक्त बनाने पर होगी. इसके लिए कैंपस में पीसीआर पेट्रोलिंग की व्यवस्था को सशक्त बनाने का काम होगा. हर कॉलेज में लड़कियों के लिए एसीसी की सुविधा शुरू करने पर फोकस होगा. एक साल में डीयू में बड़े पैमाने पर बदलाव दिखेगा.
चुनाव के दौरान एबीवीपी ने छात्रों से कई वादे किए हैं. य-स्पेशल बस की सुविधा, मेट्रो में रियायती किराए की सुविधा, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास जैसे वादे किए हैं. इन वादों को पूरा करने के लिए संगठन की क्या योजना है?
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार बनी है. छात्रों की वर्षों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यू-स्पेशल बस की सेवा फिर से शुरू की है. दिल्ली के किसी मुख्यमंत्री ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन रेखा गुप्ता की पहल पर 25 रूट पर यू-स्पेशल बस शुरू की गयी है और हमारी कोशिश रूट की संख्या बढ़ाने पर है. आने वाले समय में कई अन्य रूट पर भी यू-स्पेशल बस की सुविधा शुरू होगी. जहां तक मेट्रो में डीयू के छात्रों को रियायत देने की बात है तो मुख्यमंत्री ने छात्रों के सामने इस पर विचार करने की बात कही है. एबीवीपी इस मांग को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा और जरूरत पड़ी तो इसके लिए आंदोलन करने से पीछे नहीं रहेगी. छात्र हित में हर जरूरी कदम उठाया जाएगा. चुनाव के दौरान किए गए सभी वादों को पूरा करने का काम होगा.
बिहार से दिल्ली पढ़ाई करने आने वाले छात्र भविष्य में अच्छी नौकरी का सपना लेकर आते हैं. ऐसे में आप मधुबनी से जब डीयू में आयी तो अच्छी नौकरी पाने की चाहत की बजाय छात्र राजनीति से कैसे जुड़ गयी? भविष्य की क्या योजना है?
डीयू में जब मैंने ग्रेजुएशन में दाखिला लिया तो दिल्ली मेरे लिए नया था. डीयू में बिहार, उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में छात्र आते हैं और उन्हें यहां कई तरह की समस्या का सामना करना होता है. एक छात्र के तौर पर मुझे भी उन समस्याओं का सामना करना पड़ा. मैं एक सामान्य परिवार से आती हूं और आर्थिक तौर पर कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ा. खुद हुई परेशानी को देखकर मन में आया कि ऐसे छात्रों के लिए मुझे आवाज उठानी चाहिए, ताकि प्रवासी छात्र डीयू में खुद को बेहतर महसूस कर सके. इस सोच के साथ एबीवीपी से जुड़ने का फैसला लिया और छात्रों के लिए संगठन के साथ लगातार आवाज उठाती रही. फिर एबीवीपी की ओर से मुझे डूसू चुनाव में संयुक्त सचिव के पद पर चुनाव लड़ने का मौका मिला और छात्रों के लिए संगठन की ओर से किए गए काम को देखते हुए जीत हासिल हुई. भविष्य के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन संगठन की ओर से जो भी दायित्व मिलेगा, उसे पूरा करने की कोशिश करुंगी.
आप समाज सेवा के काम से भी जुड़ी रही है. झुग्गी बस्तियों में गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम करती है. पढ़ाई के साथ समाज सेवा का काम कैसे करती है?
हर किसी को सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए. कोरोना के दौरान स्कूल बंद हो गए तो फैसला लिया कि झुग्गी के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए. इस सोच के साथ झुग्गी में पढ़ाने का काम किया. ताकि बच्चे कोरोना के कारण पढ़ाई से दूर नहीं हो सके. इसके बाद से जब भी मौका मिलता है बच्चों को पढ़ाने का काम करती हूं. साथ ही गरीब परिवार के लड़कियों के बीच एबीवीपी की ओर से सैनिटरी पैड बांटने का काम किया. समाज सेवा का काम सभी को करना चाहिए क्योंकि जब समाज सशक्त होगा तो देश भी सशक्त होगा.
नयी शिक्षा नीति का विरोध विपक्ष और कई शिक्षाविद करते रहे हैं. क्या नयी शिक्षा नीति छात्रों के लिए भविष्य के लिए सही है? बिहार में भी डीयू जैसे संस्थान हो इस पर आपकी क्या राय है?
नयी शिक्षा नीति के कई फायदे हैं. यह नीति व्यापक विचार-विमर्श के बाद छात्रों के बेहतर भविष्य को ध्यान में रखकर बनायी गयी है. इसके तहत छात्रों को कई तरह की सुविधा दी गयी है. छात्रों के पास कई तरह के विकल्प मौजूद हैं और साथ ही एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज को महत्व दिया गया है. आने वाले समय में इस नीति के कारण शिक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी. बिहार हमेशा शिक्षा के मामले में आगे रहा है. लेकिन कुछ कारणों से राज्य के शिक्षण संस्थानों की स्थिति खराब हुई. लेकिन इसे बेहतर करने का काम किया जा रहा है. नालांदा विश्वविद्यालय इसका उदाहरण है. राज्य में दो केंद्रीय विश्वविद्यालय खोले गए हैं. आने वाले समय में बिहार में शिक्षा की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है. बिहार को एक बार फिर ज्ञान का केंद्र बनाने के लिए काम करना होगा.
समय के साथ खेल के प्रति आम लोगों की सोच में बदलाव आया है. अब छात्र खेल को भी कैरियर के तौर पर आजमा रहे है. लेकिन अभी भी डीयू में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. डीयू में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए एबीवीपी क्या कदम उठाएगा?
खेलों के प्रति रुझान बढ़ा है. डीयू में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जरूरी कदम उठाया जाएगा. हमारी कोशिश डीयू के सभी कॉलेज में खेल की सुविधा मुहैया कराने पर होगा. अध्यक्ष पद पर जीते आर्यन मान का खेल से जुड़ाव रहा है और फुटबॉलर हैं. ऐसे में एबीवीपी खेल के महत्व को समझता है और आने वाले समय में डीयू में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने का काम जरूर होगा. इसके लिए सरकार और डीयू प्रशासन के साथ मिलकर काम किया जाएगा.
आखिर क्या कारण है कि पिछले कुछ साल से डूसू चुनाव में एबीवीपी अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रखने में सफल रहा है?
पिछले साल एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीता तो डीयू में माहौल को खराब करने की कोशिश की गयी. शिक्षकों के साथ मारपीट के मामले सामने आए. हमारी कोशिश डीयू के माहौल को बेहतर करने की होगी. छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी ऐसे छात्रों को मौका देता है जो छात्र हित के लिए काम करते हैं. किसी परिवार से जुड़ाव का कोई महत्व नहीं है. एबीवीपी की कोशिश ऐसे छात्रों को मौका देने की होती है, जो व्यापक सोच के साथ छात्र हित के लिए काम करे. देश हित में काम करने वाले हर युवा को एबीवीपी में मौका मिल सकता है. साथ ही छात्रों की वाजिब मांग के लिए एबीवीपी हमेशा संघर्ष करता है. छात्रों से जुड़ाव के कारण ही डीयू में संगठन लगातार मजबूत हो रहा है.