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‘वायु प्रदूषण का निकाले उपाय, तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें ब्यौरा’, दिल्ली पॉल्यूशन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त


SC on Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को आज यानी बुधवार (17 सितंबर) को निर्देश दिया कि वे सर्दियों की शुरुआत से पहले वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों का ब्यौरा तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें. दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट CAQM, CPCB और राज्य प्रदूषण बोर्डों में रिक्त पदों को भरने से संबंधित एक स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रहा था और उसने रिक्तियों को भरने में देरी पर नाखुशी जाहिर की.

खाली पदों को जल्द भरने का निर्देश

सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन के अगुवाई वाली पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को लेकर राज्यों पर नाखुशी जाहिर की और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को तीन माह के भीतर इन्हें भरने का आदेश दिया. पीठ ने सीएक्यूएम और सीपीसीबी को भी इसी तरह के निर्देश दिए हैं. वहीं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग में पदोन्नति वाले पदों को भरने के लिए छह माह का समय दिया है. पीठ ने राज्यों और प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए प्रतिनियुक्ति या संविदा के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति करें.

सुप्रीम कोर्ट ने जाहिर की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में लंबित रिक्तियों को भरने में विफल रहने पर राज्यों पर गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि प्रदूषण के चरम मौसम में अपर्याप्त मानव संसाधन पर्यावरणीय संकट को और बढ़ा देते हैं. फिलहाल हरियाणा में 44, पंजाब में 43, उत्तर प्रदेश में 166 और राजस्थान में 259 रिक्तियां हैं. सर्दियों में हर साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर बार-बार आ रही समस्या पर सीजेआई ने कहा कि पिछले कई सालों से कोर्ट इस पर आदेश जारी कर रही है, जिसके कारण चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (GRAP) लागू होता है और निर्माण कार्य जैसी कई गतिविधियां रोक दी जाती हैं.

बेरोजगार हो जाते हैं मजदूर- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जीआरएपी के कारण कई वाहनों को दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश करने से रोका जाता है क्योंकि वे ज्यादा वायु प्रदूषण फैलाते हैं. इसके अलावा निर्माण कार्य रोक दिया जाता है. कोर्ट ने कहा “निर्माण कार्य रोकने का असर होता है और देश के अलग-अलग हिस्सों से आए मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं.” इसके बाद पीठ ने सीएक्यूएम से कहा कि वह सीपीसीबी, संबंधित राज्यों और उनके प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करे और ‘‘प्रदूषण रोकने के लिए एक ठोस योजना तैयार करे… और यह तीन सप्ताह के भीतर किया जाए.’’

आठ अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

पीठ ने सीएक्यूएम से रिपोर्ट मांगी और मामले की सुनवाई आठ अक्टूबर के लिए तय की. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) में रिक्तियों को लेकर दिल्ली सरकार पर असंतोष जाहिर किया और उसे इस साल सितंबर तक सभी पदों को भरने का निर्देश दिया. डीपीसीसी में कुल 204 रिक्तियों में से अब तक केवल 83 ही भरी गई हैं. (इनपुट भाषा)

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