Global Innovation Index 2024: ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में स्विट्जरलैंड ने एक बार फिर दुनिया में पहला स्थान हासिल कर अपनी बादशाहत बरकरार रखी है. यह लगातार 13वां साल है जब स्विट्जरलैंड ने इस प्रतिष्ठित सूची में शीर्ष पर कब्जा किया है. इस बीच, भारत भी नवाचार के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है और अपनी रैंकिंग में सुधार कर रहा है, जिससे वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती अहमियत साफ दिखाई देती है. यह रिपोर्ट दिखाती है कि कैसे देश नई सोच और तकनीक को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहे हैं.
Global Innovation Index 2024: नवाचार में स्विट्जरलैंड का लगातार दबदबा
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा जारी नवीनतम ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) 2024 में स्विट्जरलैंड ने एक बार फिर अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है. यह लगातार 14वां वर्ष है, जब स्विट्जरलैंड दुनिया की सबसे नवीन अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से पहले स्थान पर रहते हुए, स्विट्जरलैंड ने नवाचार क्षमताओं में अपनी अद्वितीय श्रेष्ठता साबित की है. 2024 के सूचकांक में स्विट्जरलैंड ने 67. 5 अंक हासिल किए हैं, जो उसकी मजबूत नवाचार प्रणाली का प्रमाण है. इस सूची में स्विट्जरलैंड के बाद दूसरे स्थान पर स्वीडन (64. 5 अंक) और तीसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका (62. 4 अंक) रहे हैं. सिंगापुर चौथे स्थान पर रहा, जो एशिया में नवाचार का नेतृत्व कर रहा है, जबकि यूनाइटेड किंगडम पांचवें स्थान के साथ शीर्ष यूरोपीय देशों में से एक है. ये देश प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, जो उनकी आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण आधार है.
स्विट्जरलैंड की सफलता के मुख्य कारण
स्विट्जरलैंड की नवाचार में लगातार सफलता के पीछे कई मजबूत कारक हैं. देश विशेष रूप से नवाचार आउटपुट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है, जिसमें ज्ञान और प्रौद्योगिकी आउटपुट के साथ-साथ रचनात्मक आउटपुट भी शामिल हैं. स्विट्जरलैंड सरकार की प्रभावशीलता में दूसरे, व्यापार करने की नीतियों में पहले और विश्वविद्यालय-उद्योग अनुसंधान एवं विकास (R&D) सहयोग में भी पहले स्थान पर है. इसके पेटेंट संबंधी संकेतक और उच्च-प्रौद्योगिकी विनिर्माण क्षमताएं भी बेजोड़ हैं. स्विट्जरलैंड में एक मजबूत संस्थागत ढांचा मौजूद है, जो अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है. यहां उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान में भारी निवेश किया जाता है, जिससे नए विचारों और प्रौद्योगिकियों का विकास होता है. विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच गहरा तालमेल नवाचार को जमीनी स्तर पर लागू करने में मदद करता है. इसके अतिरिक्त, देश में एक अनुकूल कारोबारी माहौल है, जो स्टार्टअप और नई कंपनियों को पनपने के लिए प्रोत्साहित करता है. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश है, जैसे कि उद्यम पूंजी निवेश और आईसीटी सेवाओं का निर्यात.
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भारत की नवाचार यात्रा में शानदार प्रगति
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत ने भी लगातार प्रगति की एक शानदार कहानी गढ़ी है. 2024 के सूचकांक में भारत ने 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से 39वां स्थान हासिल किया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. यह पिछले वर्ष के 40वें स्थान से एक पायदान ऊपर है. भारत की नवाचार यात्रा विशेष रूप से पिछले एक दशक में प्रभावशाली रही है. 2015 में भारत 81वें स्थान पर था, और तब से उसने 42 पायदान का सुधार दर्ज किया है, जो उसकी तीव्र प्रगति को दर्शाता है. यह प्रगति भारत को केंद्रीय और दक्षिणी एशिया क्षेत्र में पहले स्थान पर रखती है, और निम्न-मध्यम आय वर्ग की अर्थव्यवस्थाओं में भी यह शीर्ष पर है. भारत ने 2024 में 38. 3 अंक प्राप्त किए हैं, जो उसकी बढ़ती नवाचार क्षमता को रेखांकित करता है. देश के चार प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) क्लस्टर – मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई – दुनिया के शीर्ष 100 S&T क्लस्टरों में शामिल हैं. यह दर्शाता है कि भारत में प्रौद्योगिकी और नवाचार केवल कुछ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में फैल रहा है.
भारत की उन्नति के पीछे के कारक
भारत की नवाचार यात्रा में इस प्रभावशाली बढ़त के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक काम कर रहे हैं. देश के मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम ने नवाचार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. सरकार की नीतियां, जैसे ‘डिजिटल इंडिया’, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), और अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL), ने नवाचार और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए एक सहायक वातावरण तैयार किया है. इन पहलों ने देश में अनुसंधान, विकास और उद्यमिता को प्रोत्साहित किया है, जिससे नवाचार संस्कृति को बल मिला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जीवंत नवाचार इकोसिस्टम सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है, जो युवाओं के जीवन को बदल सकता है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की बढ़त पर खुशी जाहिर की है, और कहा है कि भारत अमूर्त संपत्ति तीव्रता में वैश्विक स्तर पर 7वें स्थान पर है और नवाचार आउटपुट में 33वें स्थान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत न केवल नए विचारों को जन्म दे रहा है, बल्कि उन्हें सफल उत्पादों और सेवाओं में भी बदल रहा है. भारत ने विशेष रूप से ज्ञान पूंजी और एक जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है, जिसके परिणामस्वरूप यह नवाचार प्रदर्शन में लगातार वृद्धि कर रहा है.
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वैश्विक नवाचार सूचकांक का महत्व
वैश्विक नवाचार सूचकांक दुनिया भर की सरकारों और व्यापारिक नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क संसाधन के रूप में कार्य करता है. यह देशों की नवाचार क्षमताओं और परिणामों का आकलन करता है, और नीति निर्माताओं को नवाचार-समर्थक नीतियां बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करता है. सूचकांक लगभग 80 संकेतकों का उपयोग करता है, जिन्हें नवाचार इनपुट और आउटपुट में वर्गीकृत किया गया है, ताकि नवाचार के बहु-आयामी पहलुओं को समझा जा सके. यह सूचकांक वैश्विक नवाचार प्रवृत्तियों को भी दर्शाता है. 2023 में वैश्विक नवाचार में थोड़ी मंदी देखी गई, जिसमें वैज्ञानिक प्रकाशनों में कमी, अनुसंधान और विकास खर्च में स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट दाखिल करने में गिरावट शामिल है. उद्यम पूंजी निवेश में भी महत्वपूर्ण गिरावट आई. हालांकि, स्वास्थ्य सेवा और कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति मजबूत बनी रही. ये रुझान दर्शाते हैं कि नवाचार का परिदृश्य गतिशील है और देशों को बदलते समय के साथ अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करने की आवश्यकता है.
आगे की राह और भविष्य की चुनौतियां
नवाचार के क्षेत्र में लगातार प्रगति के लिए देशों को निरंतर प्रयास करने होंगे. स्विट्जरलैंड जैसे शीर्ष देशों को अपने मजबूत नवाचार इकोसिस्टम को बनाए रखने और उन क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है जहां वे थोड़े कमजोर हैं, जैसे उद्यम पूंजी निवेश. भारत जैसे तेजी से आगे बढ़ रहे देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी प्रगति की गति को बनाए रखें. इसके लिए अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना, शिक्षा प्रणाली को मजबूत करना और उद्यमिता को और अधिक बढ़ावा देना आवश्यक है. जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. ग्रीन टेक्नोलॉजीज का विकास और सुपर कंप्यूटरों के ऊर्जा पदचिह्न को कम करना भविष्य की कुछ प्रमुख चुनौतियां होंगी, जिन पर नवाचार के माध्यम से ध्यान देने की आवश्यकता है. वैश्विक नवाचार सूचकांक भविष्य में नवाचार के माध्यम से आर्थिक विकास और सामाजिक उन्नति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बना रहेगा.