Waqf Amendment Act: ऑल इंडिया मज्लिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर केवल एक अंतरिम आदेश दिया है और उम्मीद है कि SC जल्द ही पूरे कानून पर अपना फैसला सुनाएगी. सांसद ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा “इस अधिनियम पर अंतिम निर्णय अभी नहीं आया है. यह केवल एक अंतरिम आदेश है. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस अधिनियम के पूरे मुद्दे पर जल्द ही फैसला सुनाएगी.”
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस विवादास्पद मुद्दे पर अपने 128 पन्नों के अंतरिम आदेश में कहा ‘‘किसी कानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा एक धारणा होती है और इसमें हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही किया जा सकता है. पीठ ने कहा ‘‘हमें ऐसा नहीं लगता कि पूरे कानून के प्रावधानों पर रोक का कोई मामला बनता है. इसलिए अधिनियम पर रोक के अनुरोध को खारिज किया जाता है.’’
पीठ ने केंद्रीय वक्फ परिषद को निर्देश दिया कि कुल 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए. आदेश में कहा गया है ‘‘संशोधित वक्फ अधिनियम की धारा 3 के खंड (आर) का वह भाग जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो यह दर्शाता या प्रदर्शित करता है कि वह कम से कम पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहा है, उस वक्त तक स्थगित रहेगा जब तक कि राज्य सरकार की ओर से यह निर्धारित करने की प्रक्रिया के लिए नियम नहीं बनाए जाते कि व्यक्ति कम से कम पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहा है या नहीं.’’ शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जिसमें कहा गया है कि किसी संपत्ति को ‘‘उस वक्त तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाए जब तक कि नामित अधिकारी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देता.’’
विपक्षी दलों ने किया SC के फैसले का स्वागत
विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का स्वागत किया है. विपक्षी नेताओं ने कहा कि इसने संशोधित कानून के पीछे छिपी विकृति मंशा को काफी हद तक नाकाम कर दिया है. कई मुस्लिम संगठनों ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक पर लिखा ‘‘माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अंतरिम आदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के अपने संकल्प की पुष्टि की है. यही वह मुद्दा है जिसके लिए विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट खड़ा हुआ है.’’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लिखा ‘‘वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है ,जिन्होंने संसद में इस मनमाने क़ानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट प्रस्तुत किए थे. उन नोट को तब नज़रअंदाज़ कर दिया गया था लेकिन अब वे सही साबित हुए हैं.’’