Jeevika Didi: बिहार विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं पर इस बार चुनाव आयोग की विशेष नजर है. बूथ तक न पहुंच पाने वाली 40% महिला मतदाताओं को सक्रिय करने का जिम्मा जीविका दीदियों और महिला कार्यकर्ताओं को सौंपा गया है.
2020 में जहां 59.69% महिलाओं ने मतदान किया था, वहीं आयोग चाहता है कि इस बार यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दे.
जीविका दीदियों को मिली जिम्मेदारी
राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने मिलकर इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जीविका दीदियों की भूमिका अहम बना दी है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये महिलाएं गांव-गांव जाकर मतदाताओं को मतदान के प्रति प्रेरित करेंगी. इनके साथ आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका भी घर-घर जाकर महिला मतदाताओं को जागरूक करेंगी.
2020 के विधानसभा चुनाव में लगभग 40% महिलाएं मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाई थीं. इस बार आयोग का लक्ष्य है कि घर से बाहर न निकलने वाली इन महिलाओं को बूथ तक लाया जाए. इसके लिए जीविका दीदियां सामाजिक जुड़ाव और भरोसे का सहारा बनेंगी.
महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक समझ
बिहार में मतदाता सूची में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम है, लेकिन वोटिंग के दिन उनकी भागीदारी हमेशा अधिक रही है. 2015 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 60.48 था, जबकि पुरुषों का 53.32 रहा. यही स्थिति 2020 और 2024 में भी बनी रही. पंचायतों में प्रतिनिधित्व, शिक्षा का विस्तार और स्वयं सहायता समूहों में सक्रियता ने महिलाओं की राजनीतिक समझ को गहराई दी है.
सुरक्षित माहौल ने बढ़ाया आत्मविश्वास
निर्वाचन आयोग ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लगातार सुरक्षित और सुविधाजनक माहौल बनाने की कोशिश की है. बूथों पर महिला पुलिसकर्मी, अलग कतारें, पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाओं ने महिला मतदाताओं को और सहज बनाया. यही वजह है कि पिछले चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से लगातार आगे रहा.
आंकड़ों की गवाही
2019 लोकसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.58 था, जबकि पुरुषों का 54.09.
2020 विधानसभा चुनाव में पुरुषों ने 54.45% और महिलाओं ने 56.69% वोट डाले.
2024 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 59.45 और पुरुषों का 53.00 दर्ज हुआ.
ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बिहार में लोकतंत्र की असली ताकत महिलाएं बन चुकी हैं.
जागरूकता अभियान का व्यापक दायरा
महिला वोटिंग को और बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विकास मित्र अनुसूचित जाति टोलों में जाएंगे. वहीं शहरी क्षेत्रों में नगर निगम और निकाय कर्मी मतदाताओं को जागरूक करेंगे.
कॉलेजों में विशेष अभियान चलाकर युवा वोटरों को प्रेरित किया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी महिला पर्यवेक्षिका और सीडीपीओ करेंगे.
करोड़ों महिलाओं की ताकत
बिहार में 10 लाख 63 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह गठित हैं, जिनसे 1 करोड़ 34 लाख महिलाएं जुड़ी हैं. यह नेटवर्क चुनाव आयोग के लिए सबसे बड़ी ताकत साबित होगा.
जीविका दीदियां अपने अनुभव और पहुंच के दम पर हर घर तक संदेश पहुंचाएंगी कि लोकतंत्र की असली शक्ति मतदान में छिपी है.
Also Read: Bihar Election : आज प्रभात खबर के संवाद में शामिल होंगे देश के दिग्गज नेता, होगी बिहार के सपनों की बात