EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

Ek Chatur Naar review:बचकानी है एक चतुर नार 


फिल्म – एक चतुर नार 

निर्माता – टी सीरीज और गो ग्राउंड स्टूडियो 

निर्देशक – उमेश शुक्ला 

कलाकार – दिव्या खोंसला कुमार,नील नितिन मुकेश, सुशांत सिंह, छाया कदम,जाकिर हुसैन, यशपाल शर्मा, हेली दारुवाला और अन्य 

प्लेटफार्म – सिनेमाघर 

रेटिंग -डेढ़

ek chatur naar review :हिंदी सिनेमा की क्लासिक कॉमेडी में शुमार फिल्म पड़ोसन का बेहद लोकप्रिय गीत एक चतुर नार रहा है. आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई दिव्या खोंसला कुमार और नील नितिन मुकेश की  फिल्म का शीर्षक भी यही है. यह फिल्म डार्क कॉमेडी थ्रिलर है ,लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले ने इसके विषय और फिल्म के शीर्षक दोनों के साथ न्याय नहीं कर पाता है. फिल्म पड़ोसन के चतुर नार गीत में जितना एंटरटेनमेंट है.उसका आधा भी यह पूरी फिल्म नहीं दे पाती है. कुल मिलाकर चतुर नार एंटरटेन नहीं बल्कि निराश करती है. 

बचकानी है चतुर नार की कहानी 

फिल्म की कहानी ममता (दिव्या खोंसला कुमार )की है, जो अपने बेटे और मां ( छाया कदम )के साथ लखनऊ की एक झोपड़पट्टी में रहती है. वे कर्ज के बोझ तले दबी हुई है. आये दिन लोग वसूली के लिए आते रहते हैं. वह वेट्रेस सहित छोटे मोटे काम करती है. एक दिन  एक बहुत बड़े बिजनेसमैन अभिषेक ( नितिन मुकेश )का मोबाइल फोन उसके हाथ आ जाता है, जिसमें बहुत  राज छिपे हैं. जो अभिषेक ही जिंदगी में तूफान ला सकता है.पर्सनल से प्रोफेशनल लाइफ सब खत्म हो सकता है. ममता फोन को हथियार बनाकर अभिषेक को ब्लैकमेल करने लगती है.वह दो करोड़ मांगती है, लेकिन अभिषेक भी सिर्फ बिजनेसमैन नहीं है बल्कि व्हाइट कॉलर क्रिमिनल है. वह ममता को खत्म करने का फैसला करता है, लेकिन चतुर नार ममता का खात्मा इतना आसान नहीं है. वह अभिषेक को किस तरह से फंसाती है. यही आगे की कहानी है. ममता यह सिर्फ पैसों के लिए कर रही है या बात कुछ और है. फिल्म इन सवालों के भी जवाब देती है.

फिल्म की खूबियां और खामियां 

फिल्म की कहानी बेहद कमजोर है. जिस तरह से कहानी में ड्रामा , ट्विस्ट एंड टर्न जोड़ा गया है. वह किसी टीवी सीरियल की याद दिलाता है. शुरुआत में ब्लैकमेलिंग वाली यह कहानी आगे बढ़ते बढ़ते बढ़ते चिट फण्ड घोटाला ,किसानों के आत्महत्या के संवेदनशील मुद्दे पर पहुँचते हुए रिवेंज ड्रामा में बदल जाती है।  इसके बावजूद यह परदे पर असर नहीं छोड़ पायी है. कहानी और स्क्रीनप्ले दोनों सतही हैं. जिस वजह से फिल्म का इमोशन कनेक्ट नहीं करता है तो कॉमेडी एंटरटेनमेंट से नहीं जुड़ पायी है. फिल्म में अच्छे कलाकारों की मौजूदगी है लेकिन फोकस सिर्फ दिव्या खोंसला कुमार के किरदार में है.जिस वजह से छाया कदम, यशपाल शर्मा और जाहिर हुसैन जैसे किरदारों को कहानी में वह  तवज्जो नहीं मिली है. जो मिलनी चाहिए थी. फिल्म का शीर्षक चतुर नार है.बैकग्राउंड में भी बजता रहता है लेकिन ममता का किरदार खुद को चतुर बताने के बजाय नागिन बताता रहता है. फिल्म में टीवी सीरियल के जरिए इस बात को पुख्ता भी करने की कोशिश की गयी है. यह थोड़ा अटपटा सा लगता है, अमर मोहिले का संगीत फिल्म के विषय के साथ न्याय करता है. बाकी के तकनीकी पहलू ठीक ठाक हैं.

दिव्या की कोशिश नहीं हुई कामयाब

अभिनय की बात करें तो दिव्या खोंसला कुमार की यह फिल्म है.फिल्म की शुरुआत से अंत तक पूरे फ्रेम में उनकी ही मौजूदगी है.उन्होंने कोशिश तो की है,लेकिन परदे पर वह पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पायी है. छोटे शहर की लड़की के एक्सेंट को वह उस तरह से पकड़ नहीं पायी है. जैसे कहानी की ज़रूरत थी.खासकर अंग्रेजी शब्दों को बोलने में वह बनावटी ज्यादा लगती है.फिल्म में कुछ जगहों को छोड़ दे तो वह ज्यादातर दृश्यों में हंसाने में नाकामयाब ही रही हैं. नील नितिन मुकेश और छाया कदम अपनी भूमिका में जमे हैं. यशपाल शर्मा,जाकिर हुसैन सहित बाकी के किरदारों ने अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.–