Bihar: पीरपैंती में अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना स्थापित करने के लिए निर्माण कार्य शुरू होना है. इसे शुरू करने से पहले अडानी पावर लिमिटेड के गुजरात स्थित कार्यालय ने पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के लिए गत तीन सितंबर को आवेदन किया था. मंत्रालय ने इसे पांच से 11 सितंबर तक अंडर एग्जामिनेशन रखा था. आवेदन के परीक्षण की प्रक्रिया गुरुवार को पूरी होते ही मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट से संबंधित विभागों से आवश्यक विवरणी की मांग की है. अडानी पावर लिमिटेड को भागलपुर जिले के पीरपैंती के सिरमतपुर और आसपास के गांवों में प्रस्तावित 2400 मेगावाट कोयला आधारित अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना स्थापित करने की जिम्मेदारी मिली है.
67 हेक्टेयर में होगा प्लांट एरिया
थर्मल पावर प्रोजेक्ट का प्लांट एरिया 67 हेक्टेयर में होगा. जलाशय 75 हेक्टेयर में, कोल स्टॉक यार्ड (रेलवे यार्ड सहित) 57 हेक्टेयर में, ऐश डाइक 46 हेक्टेयर में, टाउनशिप पांच हेक्टेयर में, प्रोजेक्ट एरिया 374 हेक्टेयर में, भविष्य में विस्तार के लिए भूमि 105 हेक्टेयर में होगा.
अडानी की आठवीं बिजली परियोजना है पीरपैंती
अडानी पावर लिमिटेड की गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, झारखंड, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में बिजली परियोजनाएं चल रही हैं. अडानी की आठवीं बिजली परियोजना पीरपैंती में शुरू होगी. यहां हर यूनिट के लिए अलग स्टील की चिमनी बनायी जायेगी. इसमें इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर लगाया जायेगा, जो हवा में से धूल और राख के कणों को 99.95 प्रतिशत तक पकड़ लेगा. प्लांट में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिस्टम होगा. यानी प्लांट से कोई गंदा पानी बाहर नहीं निकलेगा.
क्या होता है अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर?
सभी तरह के थर्मल पावर प्लांट का सिद्धांत एक ही होता है. कोयला या गैस या तेल जला कर पानी को भाप में बदलना और उससे टरबाइन घुमा कर बिजली बनाना सभी का काम होता है. फर्क सिर्फ उनकी तकनीक और दक्षता में होता है. अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट अन्य थर्मल पावर प्रोजेक्ट के मुकाबले और भी आधुनिक तकनीक पर काम करता है. भाप का तापमान और दबाव अधिक होता है. सबसे कम कोयला खर्च होता है. प्रदूषण अपेक्षाकृत कम और कार्बन उत्सर्जन घटता है.
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थर्मल पावर की स्थापना से होंगे चार फायदे
1. निवेश : पावर प्लांट बनाने में हजारों करोड़ रुपये लगेंगे. इतना बड़ा निवेश देश की निवेश-हितैषी छवि को मजबूत करेगा.
2. सहायक कारोबार में बढ़ोतरी : ट्रांसपोर्ट (ढुलाई), होटल और रेस्टोरेंट, छोटे-छोटे कॉन्ट्रैक्टर, मजदूर, कंस्ट्रक्शन उपकरण किराये पर देने से आसपास के दूसरे कारोबार भी बढ़ेंगे.
3. रोजगार सृजन : पावर प्लांट बनाने (निर्माण चरण) और चलाने (संचालन चरण) दोनों में काफी मजदूरों और कर्मचारियों की जरूरत होगी.
4. राजस्व : बिजली शुल्क, पर्यावरण विकास सेस, उपकरण व सामान पर लगने वाले टैक्स व ड्यूटी और कोयला खरीदने व इस्तेमाल करने पर टैक्स से सरकार को कई तरीकों से आमदनी होगी.
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