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7000 बचाने के चक्कर में गंवाये चार लाख रुपये, जामताड़ा गैंग के आठ शातिर गिरफ्तार


दुर्गापुर.

बैंक का केवाइसी अपडेट करने के नाम पर पूर्व एलआइसी एजेंट के खाते से चार लाख रुपये की ठगी के मामले में दुर्गापुर साइबर सेल की पुलिस टीम ने जामताड़ा गैंग का मुख्य आरोपी खगेन दान व मिथुन दान समेत आठ साइबर ठगों को दबोच लिया. इनमें तीन आरोपियों को बुधवार को महकमा अदालत में पेश कर दोबारा रिमांड में लेकर ठगी के सारे रुपये बरामद करने की पुलिस कोशिश कर रही है. यह जानकारी देते हुए आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट(एडीपीसी) के पुलिस उपायुक्त (ईस्ट) अभिषेक गुप्ता ने बताया कि पकड़े गये सभी आरोपी पेशेवर साइबर अपराधी हैं. इनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में साइबर क्राइम से जुड़े रहने की खबर मिली है. जांच प्रक्रिया के दौरान ठगी की कुछ राशि बरामद की गयी है. जल्द ही बाकी राशि भी पुलिस ने बरामद कर लेने का भरोसा दिया है.

कैसे उड़ाये रुपये

दुर्गापुर निवासी मृणाल कांति तिवारी पूर्व एलआईसी के कर्मचारी रह चुके है,28 जून को उनके मोबाइल पर व्हाट्सअप कॉल आया, जिसमें आरोपी खुद को बैंक कर्मचारी बताकर उनके एक्सिस बैंक का केवाईसी फेल होने की बात कही, और केवाईसी अपडेट करने को कहा. इस दौरान आरोपी ने केवाईसी उसी दिन अपडेट न करने पर उनका एकाउंट बंद हो जाएगा एवं उन्हें सात हजार रुपया का फाइन लगने की बात कही. मृणाल कांति उसकी बातों के झांसे में आ गए. उसके बाद आरोपी स्क्रीन शेयरिंग करने को कहा एवं उनसे बातचीत कर उनका जरूरी नंबरों की मांग करते हुए उनके मोबाइल में आया हर ओटीपी देख उनके अकाउंट से चार लाख की रकम की निकासी कर ली.

फोन कटते ही मृणाल तिवारी मैसेज देख दंग रह गए. उन्होंने एक जुलाई को घटना की शिकायत दुर्गापुर साइबर सेल में कराई . शिकायत मिलते ही साइबर क्राइम की टीम मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की एवं मामले से जुड़े आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद सभी जामताड़ा साइबर क्राइम गैंग के सदस्य पाये गये. श्री गुप्ता ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में खगेन दान व मिथुन दान घटना के मास्टरमाइंड हैं. इनके खिलाफ पहले भी साइबर अपराध में जुड़े रहने के सबूत मिले हैं. अपराधियों ने ठगी के रुपयों से एक लाख 60 हजार की कीमत के मोबाइल फोन एवं 55 हजार का सोना खरीदा गया है, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है. जांच के बाद उनके पास से कई फर्जी सिम कार्ड और बैंक दस्तावेज बरामद किया गया है.

बैंक की गुप्त जानकारी कैसे पहुंची मुजरिमों तक, जांच रही पुलिस

श्री गुप्ता ने कहा कि बैंक संबंधित गोपनीय जानकारी इन अपराधियों के हाथों तक कैसे पहुँची? यह जांच का विषय है,जरूरत पड़ी तो बैंकिंग चैनलों की साइबर सुरक्षा की भी समीक्षा की जाएगी.

सबक : ओटीपी या बैंक संबंधी ब्योरा किसी को ना दें

ओटीपी या बैंक जानकारी कभी किसी को न दें, चाहे वह खुद को अधिकारी ही क्यों न कहे. श्री गुप्ता ने बताया कि यह एक संगठित साइबर अपराध गिरोह है, जो देशभर में भोले-भाले लोगों को निशाना बनाते है. दुर्गापुर की यह घटना पुलिस टीम के लिए एक चुनौती थी, जिसे सफलतापूर्वक सुलझाया गया है.

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