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World War-3 की गिनती शुरू? फ्रांस से ब्रिटेन और स्कैंडिनेविया तक हड़कंप, अस्पतालों को मिला ‘कॉम्बैट-रेडी’ आदेश


Europe Third World War Preparations: रूस और नाटो देशों के बीच बढ़ते तनाव ने यूरोप को अभूतपूर्व संघर्ष की आशंका में डाल दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि हालात अगर काबू में नहीं रहे तो यह तीसरे विश्वयुद्ध जैसी स्थिति में बदल सकता है. इसी परिप्रेक्ष्य में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और स्कैंडिनेवियाई देशों ने बड़े पैमाने पर युद्धकालीन तैयारी शुरू कर दी है.

Europe Third World War Preparations: अस्पतालों से ‘सर्वाइवल गाइड’ तक

मेट्रो के अनुसार, फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 जुलाई को एक पत्र जारी कर सभी क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि 2026 तक वे हजारों सैनिकों के इलाज के लिए तैयार रहें. अस्पतालों को फ्रांसीसी और विदेशी सैनिकों दोनों की देखभाल करनी होगी. फ्रांसीसी व्यंग्य समाचार पत्र ले कैनार्ड एनचाइने के अनुसार, 10 से 180 दिनों में बड़े पैमाने पर घायल सैनिकों को संभालने की योजना. रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे और बंदरगाहों पर अस्थायी मेडिकल सेंटर बनाने की तैयारी. स्वास्थ्य मंत्री कैथरीन वॉत्रिन ने कहा कि यह कदम किसी विशेष खतरे से जुड़ा नहीं, बल्कि कोविड जैसी स्थिति से सीख लेकर की गई पूर्व तैयारी है.

इसी कड़ी में फ्रांस ने नागरिकों के लिए 20 पन्नों की सर्वाइवल गाइड जारी की है. इसमें 63 उपाय बताए गए हैं जिसमें पानी, कैन फूड, बैटरियां और फर्स्ट एड किट जैसे सामान रखने से लेकर परमाणु हमले और स्थानीय रक्षा बलों में शामिल होने तक.

नाटो अनुच्छेद-5 और युद्ध की संभावना

विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर रूस नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला करता है तो अनुच्छेद-5 लागू होगा, जिसके तहत सभी नाटो देश युद्ध में उतरेंगे. इसका मतलब ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की सीधी भागीदारी होगी. जर्मनी के शीर्ष जनरल कार्स्टन ब्रेउर ने भी आशंका जताई है कि रूस का Zapad 2025 युद्धाभ्यास आक्रामकता का बहाना बन सकता है.

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जर्मनी, पोलैंड और स्कैंडिनेवियाई देशों की रणनीति

जर्मनी ने ‘ऑपरेशन डॉएचलैंड’ नाम से 1000 पन्नों का दस्तावेज तैयार किया है. इसमें सुरक्षित इलाके, बंकर और नाटो सैनिकों की तैनाती की विस्तृत योजना शामिल है. पोलैंड और बाल्टिक देशों ने रक्षा लाइनों को मजबूत किया है, जिनमें टैंक, माइनफील्ड और रॉकेट सिस्टम लगाए गए हैं. स्कैंडिनेवियाई देशों में नागरिकों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें निकासी, शरणस्थल और आपातकालीन कौशल शामिल हैं. यूरोपीय देश परमाणु हमले की स्थिति से निपटने के लिए भी तैयारी कर रहे हैं. लीक दस्तावेजों से पता चला है कि ब्रिटेन और फ्रांस ने जुलाई में समझौता किया है कि संभावित तीसरे विश्वयुद्ध की स्थिति में वे समन्वित कार्रवाई करेंगे.

UK Companies Government War Preparations: कंपनियों से लेकर सरकार तक तैयारी

वैश्विक तनाव बढ़ने के बीच ब्रिटेन केवल सरकारी स्तर पर ही नहीं, बल्कि निजी कंपनियों में भी युद्ध और आपातकालीन स्थिति के लिए रणनीति बना रहा है.  द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, देश की बड़ी कंपनियां “कंटिजेंसी प्लान” तैयार कर रही हैं, ताकि संकट के समय भी कामकाज निर्बाध जारी रह सके. द टेलीग्राफ में ही प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेषज्ञ जस्टिन क्रम्प के अनुसार, 2027 worst-case scenario का साल हो सकता है. चीन का ताइवान पर हमला या रूस की ईस्ट यूरोप में सैन्य हरकतों की संभावनाएं कंपनियों को अपने बिजनेस मॉडल और आपूर्ति श्रृंखला की समीक्षा करने पर मजबूर कर रही हैं. सुपरमार्केट और टेक कंपनियों को डिजिटल हमलों और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है.

युद्ध की स्थिति में कार्यबल पर भी प्रभाव पड़ेगा. रिजर्व फोर्स और पूर्व सैनिकों की तैनाती से कर्मचारियों की कमी हो सकती है और मेडिकल सेवाओं में व्यवधान संभव है. सरकार ने नागरिकों को भी आपातकालीन तैयारी के लिए चेतावनी दी है. क्रम्प कहते हैं कि अब व्यवसायों को “अनसोचे हालात” के लिए तैयार रहना होगा. अभ्यास में असफलता का डर नहीं होना चाहिए, क्योंकि यही तैयारी वास्तविक संकट में कंपनियों को बचा सकती है.

युद्धकालीन परामर्श देने वाले विशेषज्ञों की मांग बढ़ गई है.

ब्रिटेन सरकार ने दो अहम घोषणाएं की हैं, Strategic Defence Review (SDR) और National Security Strategy 2025 (NSS 2025). SDR के प्रमुख बिंदु है AUKUS साझेदारी के तहत 12 नए अटैक सबमरीन का निर्माण जिसमें आर्टिलरी और म्यूनिशन फैक्ट्रियों का विस्तार, £1 बिलियन का AI-आधारित डिजिटल टार्गेटिंग नेटवर्क, Cyber-EM Command की स्थापना और हथियार और ड्रोन उत्पादन पर फोकस करना. वहीं NSS 2025 का लक्ष्य है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को पूरे समाज की जिम्मेदारी बनाना और 2035 तक GDP का 5% रक्षा पर खर्च करना. 

साइबर और ऊर्जा सुरक्षा को भी रक्षा रणनीति में शामिल करना

BAE Systems और Sheffield Forgemasters जैसी कंपनियां हथियार और आर्टिलरी उत्पादन के लिए नए कारखाने खोल रही हैं. इससे सुरक्षा के साथ स्थानीय रोजगार पर भी असर पड़ेगा. यूरोप का बढ़ता सतर्क रुख बताता है कि अब युद्ध की संभावना केवल सैद्धांतिक चर्चा नहीं रही. फ्रांस से लेकर ब्रिटेन तक की तैयारी इस ओर इशारा करती है कि महाद्वीप खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम जहां सतर्कता का प्रतीक है, वहीं यह दुनिया के लिए एक खतरनाक संकेत भी है कि हम किसी बड़े संघर्ष की दहलीज पर खड़े हैं.

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