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इधर मोदी–पुतिन–जिनपिंग की बड़ी बैठक, उधर ट्रंप ने वेनेजुएला के खिलाफ भेज दिए युद्धपोत और परमाणु पनडुब्बी! क्या होने वाला है महासंग्राम?


Trump Sends Warships To Caribbean: दक्षिण कैरिबियन में अमेरिकी नौसैनिक ताकतों की अचानक और असामान्य तैनाती ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है. सात युद्धपोत, एक परमाणु पनडुब्बी और 4,500 से अधिक सैनिकों की मौजूदगी ने सवाल खड़े कर दिये हैं कि क्या अमेरिका सचमुच मादक पदार्थों के कार्टेलों पर नकेल कसने आया है, या फिर इसका निशाना वेनेजुएला की मादुरो सरकार है. अमेरिका ने दक्षिण अमेरिका के पानी में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है. ड्रग कार्टेल्स पर कार्रवाई के लिए कई युद्धपोत वेनेजुएला के पास तैनात किए गए हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान सिर्फ नशा तस्करी रोकने के लिए है, लेकिन वेनेजुएला में इसे लेकर अटकलें तेज हो गई हैं और मदुरो सरकार नाराज है. ये कारवाई तब हुई जब तियानजिन में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात चर्चा में रही. त्रीय स्थिरता पर मिलकर काम करने का आह्वान किया है.

Trump Sends Warships To Caribbean in Hindi: बड़ी सैन्य मौजूदगी

इस समय अमेरिकी नौसेना के सात युद्धपोत और एक परमाणु-संचालित फास्ट अटैक पनडुब्बी इस क्षेत्र में मौजूद हैं. इनके साथ 4,500 से अधिक नाविक और मरीन भी तैनात हैं. इनमें USS San Antonio, USS Iwo Jima और USS Fort Lauderdale जैसे जहाज शामिल हैं. कुछ जहाज हेलीकॉप्टर और टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से लैस हैं. साथ ही, अमेरिकी सेना ने P-8 जासूसी विमान भी तैनात किए हैं जो अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में उड़ान भरकर खुफिया जानकारी जुटा रहे हैं.

मादक पदार्थों के खिलाफ या कुछ और?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपनी सरकार का “केंद्रीय अभियान” बताते हुए कहा कि नौसैनिक तैनाती ड्रग कार्टेल और आपराधिक गिरोहों को तोड़ने के लिए है. व्हाइट हाउस के अधिकारी भी इसे विदेशी आतंकी संगठनों तक कार्रवाई से जोड़ रहे हैं. हालांकि सवाल यह है कि जब संयुक्त राष्ट्र की 2023 की कोकीन रिपोर्ट बताती है कि 74% कोकीन की तस्करी प्रशांत महासागर के जरिये होती है, तो अटलांटिक और कैरिबियन में यह भारी-भरकम तैनाती क्यों? रिपोर्ट यह भी कहती है कि कैरिबियन मार्ग से आने वाला अधिकतर नशा हवाई जहाजों के जरिये आता है.

असली उद्देश्य वेनेजुएला को घेरना है

वेनेजुएला सरकार का मानना है कि अमेरिका का असली उद्देश्य उसकी सरकार को घेरना है. हाल ही में अमेरिका ने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने पर इनाम बढ़ाकर 50 मिलियन डॉलर कर दिया. रक्षा मंत्री जनरल व्लादिमिर पाद्रिनो ने कहा, “हम मादक पदार्थों के कारोबारी नहीं, बल्कि मेहनतकश और ईमानदार लोग हैं.” वहीं, संयुक्त राष्ट्र में वेनेजुएला के राजदूत सैमुअल मोंकाडा ने आरोप लगाया कि यह “वैध सरकार के खिलाफ हस्तक्षेप का बहाना” है.

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पुरानी रणनीति: ‘गनबोट डिप्लोमेसी’

ट्यूलन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ डेविड स्मिल्डे ने इसे “गनबोट डिप्लोमेसी” बताया. उनके अनुसार, “अमेरिका पुरानी रणनीति अपना रहा है और मादुरो सरकार पर वास्तविक सैन्य दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है.” हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह तैनाती इतनी बड़ी नहीं है कि पूर्ण सैन्य अभियान चलाया जा सके. उदाहरण के लिए, 1989 में पनामा पर आक्रमण के दौरान अमेरिका ने लगभग 28,000 सैनिक उतारे थे.

वाशिंगटन स्थित सीएसआईएस थिंक टैंक के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर हर्नांडेज-रॉय कहते हैं, “यह तैनाती केवल ड्रग्स की लड़ाई के लिए बहुत बड़ी है, लेकिन आक्रमण के लिए बहुत छोटी. हालांकि यह इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे किसी खास उद्देश्य से जोड़ा जा सकता है.” दक्षिण कैरिबियन में अमेरिकी नौसैनिक ताकत की तैनाती ने अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव को एक बार फिर से गहरा कर दिया है. अमेरिकी दावे मादक पदार्थों के खिलाफ युद्ध की ओर इशारा करते हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे वेनेजुएला की मादुरो सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं. सवाल यही है कि यह महज शक्ति-प्रदर्शन है या किसी बड़े कदम की तैयारी. 

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