US President Trump Claims: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अपनी कथित भूमिका को लेकर सुर्खियां बटोरी हैं. व्हाइट हाउस में कैबिनेट बैठक के दौरान ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु तनाव को रोकने में अहम भूमिका निभाई और व्यापारिक दबाव का इस्तेमाल किया. ट्रंप के इस बयान ने भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक दृष्टिकोण और मीडिया की नजरों में अलग ही बहस छेड़ दी है.
US President Trump Claims: मोदी से बात, ‘बहुत शानदार इंसान‘
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई. उनका कहना था कि दोनों देशों के बीच नफरत और तनाव बहुत लंबे समय से चल रहा है. ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने मोदी को चेतावनी दी कि अगर स्थिति बिगड़ी तो अमेरिका कोई व्यापारिक समझौता नहीं करेगा व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप ने पाकिस्तान को भी स्पष्ट चेतावनी दी.
उन्होंने कहा कि अगर दोनों देश युद्ध की ओर बढ़े तो अमेरिका इतना ऊंचा टैरिफ लगाएगा कि सिर चकरा जाएगा. ट्रंप के मुताबिक, इस चेतावनी के पांच घंटे के भीतर तनाव कम हो गया. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि इस दौरान सात या उससे ज्यादा लड़ाकू विमान गिराए गए, जिनकी कीमत लगभग 15 करोड़ डॉलर थी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ये विमान किस देश के थे और कोई सबूत भी पेश नहीं किया. इससे पहले उन्होंने पांच विमान गिरने की बात कही थी.
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भारत का पक्ष (US President Trump Claims Key Role In India Pakistan Conflict)
भारत ने ट्रंप के दावों को खारिज किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम भारत की रणनीति का परिणाम था और इसमें किसी बाहरी दबाव की कोई भूमिका नहीं थी. विदेश मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से युद्ध रोकने का अनुरोध किया था.
#WATCH | “…I am talking to a very terrific man, Prime Minister of India, Narendra Modi. I said what’s going on with you and Pakistan. Then I am talking to Pakistan about trade. I said what’s going on with you and India? The hatred was tremendous. This has been going on for a… pic.twitter.com/gJVOTmKjXN
— ANI (@ANI) August 27, 2025
ट्रंप की कूटनीति या बयानबाजी?
विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप के बयान से अमेरिका की विदेश नीति में हाइपरबोलिक यानी अतिशयोक्ति वाले बयान सामने आते हैं, जबकि वास्तविक घटनाओं का विवरण इससे अलग हो सकता है. भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी.
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