राजद अपने कैडर वोट बैंक को बचाने के लिए मजबूत कवच तैयार कर रहा है. एनडीए और महागठबंधन के बीच पिछले बिहार चुनाव में कई सीटों पर हार-जीत के बीच बेहद नजदीकी अंतर रहा था. एनडीए को एक करोड़ 56 लाख 12 हजार मत मिले थे. महागठबंधन को एक करोड़ 56 लाख वोट मिले थे. इस तरह दोनों गठबंधनों के बीच केवल करीब 12 हजार मतों का अंतर रह गया था.
राजद ने शुरू की ‘पॉलिटिकल ऑपरेशन’
इतने कम अंतर से पिछड़ कर राजद ने करीब आठ से दस सीट गंवा दी थी. जिस वजह से उसे सत्ता के राजपथ से उतरकर विपक्ष में बैठना पड़ गया था. ऐसे में राजद ने उन लोगों या वर्ग की निगेहबानी शुरू कर दी है, जो कुछ सैंकड़ा/हजार वोट भी काट सकते हैं. इस तरह उन विधानसभा सीटों पर जहां उसे कोई गच्चा दे सकता है, वह उनका सियासी पूर्वानुमान लगाकर ‘पॉलिटिकल ऑपरेशन’ शुरू करने जा रहा है.
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कैडर वोट बैंक पर मंडरा रहा खतरा, दो फैक्टर हैं वजह
सियासी जानकारों के अनुसार इस बार के विधानसभा चुनाव में पिछली बार से अधिक कांटे की लड़ाई होनी तय है. राजद को सबसे अधिक कांटे की लड़ाई झेलनी पड़ सकती है. क्योंकि उसके कोर वोटर पर तमाम लोगों की नजरें हैं. दरअसल उसके कैडर वोट बैंक (यादव और मुस्लिम) को प्रभावित करने वाले दो बड़े फैक्टर सामने आये हैं. एक फैक्टर टीम तेज प्रताप और उसके समर्थित प्रत्याशी होंगे. अगर टीम तेज प्रताप कुछ सीटों पर कुछ हजार वोट भी हासिल कर लेती हैं, तो इसका सीधा नुकसान राजद का माना जायेगा. हालांकि यह कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी कि टीम तेज प्रताप के निर्दलीय प्रत्याशी कितने असरदार होंगे. राजद ने इसके मामले में सुनियोजित तौर पर चुप्पी साध रखी है.
टीम तेज प्रताप के खिलाफ राजद की तैयारी
टीम तेज प्रताप पर टिप्पणी का मतलब उसे तवज्जो देना होगा. जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है. हालांकि पार्टी ने अंदरूनी तौर पर तय कर लिया है कि वह टीम तेज प्रताप और तेज प्रताप के खिलाफ दमदार प्रत्याशी उतारेगी. तेजस्वी यादव अपने मुख्य चुनाव अभियान में उसे शामिल भी करेंगे. जानकारों के अनुसार पार्टी यादव मतदाताओं के बीच पूरी तरह संदेश दे रही है कि सीएम तेजस्वी यादव बनेंगे. इसलिए एकजुट होकर राजद को वोट करने की जरूरत है. और किसी को वोट देने का मतलब तेजस्वी के सीएम बनने की राह में बाधा बनना है.
ओवैसी की रणनीति पर भी रहेगी राजद की नजर
राजद के मूल कैडर को प्रभावित करने वाला दूसरा फैक्टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) होगी. पिछली बार उसने 25 सीटों पर राजद को प्रभावित किया था. उसके पांच विधायक भी चुने गये थे. महागठबंधन में शामिल करने पर राजद की रजामंदी न मिलने से एआइएमआइएम बौखलायी हुई है. वह सीमांचल में कुछ नये प्रयोग कर रही है. हालांकि राजद ने उसे अप्रभावी करने मुस्लिमों के अंदर से आवाज उठाने के लिए कह दिया है. कुल मिलाकर इन दोनों फैक्टर के असर को आकलन करने पार्टी ने अपने स्तर पर सोशल इंजीनियरिंग शुरू की है. राजद के ‘थिंक टैंक ‘सक्रिय हैं. दिलचस्प बात यह है कि सीट बंटने से पहले राजद को दृश्य और अदृश्य सियासी दुश्मनों और ”अपनों ” से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.