INS Udaygiri and INS Himgiri: भारतीय नौसेना की ताकत में मंगलवार को बड़ा इजाफा हुआ. आज भारतीय नौसेना के बेड़े को दो नए स्टेल्थ फ्रिगेट्स INS उदयगिरि और INS हिमगिरि को शामिल किया जाएगा. ये दोनों युद्धपोत दोपहर 2:45 बजे आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल होंगे. यह ऐतिहासिक अवसर होने वाला है, क्योंकि पहली बार देश के दो अलग-अलग शिपयार्ड में बने युद्धपोत एक साथ नौसेना का हिस्सा बन रहे हैं. इनके साथ भारत के पास तीन फ्रिगेट स्क्वाड्रन तैयार हो जाएंगे, जो स्वदेशी क्षमता और औद्योगिक तकनीक का प्रतीक होंगे.
नौसेना में शामिल होंगे दोनों युद्धपोत
उदयगिरि, नीलगिरी क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट, 1 जुलाई को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था, जबकि एडवांस स्टेल्थ फ्रिगेट हिमगिरि 31 जुलाई को प्रोजेक्ट-17A के तहत नेवी को मिला था. आज ये दोनों फ्रिगेट्स आधिकारिक तौर पर नौसेना की शक्ति में जुड़ जाएंगे.
रडार से बचकर भी काम करने में माहिर
दोनों पोत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के तहत तैयार किए गए हैं. यह परियोजना पहले के शिवालिक श्रेणी के जहाजों का उन्नत संस्करण मानी जाती है. इन पोतों में स्टील्थ डिजाइन, आधुनिक हथियार और उन्नत सेंसर सिस्टम शामिल हैं, जिससे ये दुश्मन की रडार की पकड़ से बचकर भी काम कर सकते हैं.
मुंबई और कोलकाता में किया गया निर्मित
INS उदयगिरि को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने तैयार किया है. यह प्रोजेक्ट 17A का दूसरा युद्धपोत है और इसे अब तक की अपनी श्रेणी का सबसे तेज जहाज माना जा रहा है. वहीं, INS हिमगिरि कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित पहला P17A युद्धपोत है.
इन स्वदेशी युद्धपोतों की खासियत
- INS उदयगिरि और INS हिमगिरि का वजन करीब 6,670 टन और लंबाई 149 मीटर, यानी लगभग 15 मंजिला इमारत के बराबर है.
- अधिकतम स्पीड 52 किमी प्रति घंटा, एक बार ईंधन भरने पर 10,000 किमी से ज्यादा दूरी तय करने में सक्षम है.
- हेलिकॉप्टर ऑपरेशन्स के लिए सी किंग हेलिकॉप्टर ले जा सकते हैं, जो पनडुब्बी और सतही जहाजों पर हमला करने में सक्षम है.
- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस, जो 290 किमी दूर समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.
- मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अत्याधुनिक सोनार से लैस, जो बेहद नजदीकी खतरों और पनडुब्बियों को भी पहचान सकता है.
- अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक, पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों पर निगरानी रखने में सक्षम है.
- निर्माण में 200 से अधिक MSME कंपनियों का योगदान, जिससे करीब 4,000 लोगों को रोजगार मिला है.