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महागठबंधन और बिहार की राजनीति में कितना असर डालेगी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ?


Voter Adhikar Yatra Congress: बिहार में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को कांग्रेस अपनी राजनीतिक कमबैक का अहम कदम मान रही है. लंबे समय से राज्य की राजनीति में हाशिए पर रही कांग्रेस इस यात्रा के जरिए न केवल अपना खोया जनाधार तलाशना चाहती है बल्कि महागठबंधन के भीतर अपनी राजनीतिक अहमियत भी मजबूत करना चाहती है. पिछले 20 सालों से बिहार की राजनीति मूलतः JDU, RJD और BJP के इर्द-गिर्द घूमती रही है और कांग्रेस, जो 80 और 90 के दशक तक मजबूत खिलाड़ी थी, अब सीटों और वोट शेयर दोनों में पिछड़ चुकी है. 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 19 सीटें जीत पाई.

क्या नैरेटिव सेट करना चाहती है कांग्रेस ? 

इस बैकग्राउंड में राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान तीन नैरेटिव पर फोकस किया है संविधान और वोट बचाने की लड़ाई, युवाओं और किसानों के लिए रोजगार का मुद्दा और सामाजिक न्याय के नाम पर विपक्षी एकजुटता. यात्रा के दौरान ग्रामीण इलाकों में किसानों, मजदूरों और महिलाओं से सीधा संवाद कर कांग्रेस फिर से “ग्राउंड कनेक्ट” बनाने की कोशिश कर रही है. यह कदम महागठबंधन में कांग्रेस की पोजिशनिंग को भी मजबूत करने की रणनीति है. अब तक RJD और JDU गठबंधन में कांग्रेस हमेशा “छोटा भाई” की भूमिका में रही है, लेकिन इस यात्रा से वह सीट बंटवारे में अपनी नेगोशिएशन पावर बढ़ाना चाहती है.

कितना पड़ेगा इस यात्रा का असर ? 

सवाल यह है कि इस यात्रा का असर जनता पर कितना पड़ेगा. युवाओं और किसानों में कांग्रेस का संदेश गूंज जरूर रहा है लेकिन क्या यह वोट में तब्दील होगा, यह अभी साफ नहीं है. बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक रहे हैं. कांग्रेस को मुस्लिम–यादव वोट बैंक में पैठ बनानी होगी, जो फिलहाल RJD के साथ है. साथ ही शहरी मध्यवर्ग और पहली बार वोट डालने वाले युवाओं तक पहुंचना भी उसके लिए चुनौती है.

क्या है कांग्रेस की कमजोरी ? 

कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी उसका संगठन है. मौजूदा समय में बूथ स्तर पर उसका नेटवर्क बेहद कमजोर है, और उसके पास कोई करिश्माई राज्यस्तरीय चेहरा भी नहीं है. संसाधनों और चुनावी मैनेजमेंट के मामले में वह बीजेपी और आरजेडी–जेडीयू से काफी पीछे है. यही कारण है कि राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस को सिर्फ “महागठबंधन का हिस्सा” नहीं, बल्कि “संघर्ष का प्रतीक” बनाना चाहते हैं. अगर कांग्रेस 2025 विधानसभा चुनाव से पहले अपने वोट शेयर में सुधार करती है, तो वह भविष्य में निर्णायक भूमिका निभा सकती है.

कांग्रेस प्रवक्ता ने क्या कहा ? 

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (BPCC) के प्रवक्ता डॉ स्नेहाशीष वर्धन पांडेय ने कहा, “राहुल गांधी की बिहार में वोटर अधिकार यात्रा ने कांग्रेस और लोकतंत्र के समर्थकों को जागृत करने का काम किया है. इस यात्रा ने देश में चुनाव आयोग के भाजपा के इशारे पर किए जा रहे लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या के खिलाफ जनजागरण अभियान छेड़ दिया है. बिहार में कांग्रेस मजबूती के साथ सभी सीटों पर इंडिया गठबंधन को जिताने का काम करेगी और हमारे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू और अध्यक्ष राजेश राम ने राहुल गांधी जी के संघर्ष को जमीन पर उतारने का काम किया है.”

BJP ने क्या कहा ? 

भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने कांग्रेस और राजद पर आरोप लगते हुए कहा कि चुनाव आयोग के साथ-साथ देश के संवैधानिक संस्थाओं पर राजनीति करने वाले दलों RJD और कांग्रेस से मैं जानना और पूछना चाहता हूं आज यात्रा करके आप आरोप लगा रहे हैं कि वोट की चोरी हुई है तो आप प्रमाण क्यों नहीं देते ? आपने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में वोट की चोरी होती है तो उस समय वहां के आपके BLO ने फॉर्म 617c पर क्यों साइन किया ? उस समय आपलोग कोर्ट क्यों नहीं गए चुनाव आयोग के खिलाफ में ? यदि आपके BLA को लग रहा है कि गड़बड़ी हुई है तो आपत्ति करना चाहिए लेकिन आप वो भी नहीं कर रहे हैं. 

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साइलेंट पार्टनर की भूमिका में नहीं रहना चाहती है कांग्रेस 

कुल मिलाकर, राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ कांग्रेस के लिए एक पॉलिटिकल कमबैक कैंपेन है. यह यात्रा कितना असर छोड़ेगी, यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन इतना साफ है कि कांग्रेस अब बिहार में सिर्फ साइलेंट पार्टनर की भूमिका में रहना नहीं चाहती.