MS Dhoni Wicket Keeping Practice: भारतीय क्रिकेट इतिहास में महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को सबसे महान विकेटकीपर और कप्तानों में गिना जाता है. उनकी बिजली जैसी तेज स्टंपिंग और बेमिसाल ग्लववर्क ने कई बार मैच का रुख पलट दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धोनी ने अपने करियर के आखिरी दस से बारह सालों तक विकेटकीपिंग की पारंपरिक प्रैक्टिस करना लगभग छोड़ दिया था? टीम इंडिया के पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर ने इस बड़े राज से पर्दा उठाया है.
धोनी ने क्यों छोड़ी विकेटकीपिंग की प्रैक्टिस?
आर. श्रीधर, जो अगस्त 2014 से नवंबर 2021 तक भारत के फील्डिंग कोच रहे, ने बताया कि धोनी ने 2007 के बाद विकेटकीपिंग की अलग से प्रैक्टिस करना लगभग बंद कर दिया था. वजह थी लगातार तीनों फॉर्मेट खेलने का जबरदस्त दबाव. धोनी के हाथ और खासकर उंगलियां पहले से ही काफी चोट खा चुकी थीं. ऐसे में उन्होंने समझदारी दिखाते हुए अतिरिक्त प्रैक्टिस से परहेज़ करना शुरू कर दिया ताकि उनके हाथ लंबे समय तक फिट रह सकें.
धोनी की अनोखी तकनीक और आत्मविश्वास
धोनी ने बचपन और करियर की शुरुआती अवस्था में विकेटकीपिंग पर जमकर मेहनत की थी. उनकी तकनीक परंपरागत नहीं थी, लेकिन बेहद असरदार थी. श्रीधर के अनुसार, “धोनी ने खुद कहा था कि जब वह तीनों फॉर्मेट में खेलने लगे तो उन्हें समझ आया कि ज्यादा प्रैक्टिस करने की जरूरत नहीं है. उनके पास अपनी तकनीक थी और उसी पर भरोसा करते हुए उन्होंने आगे बढ़ना चुना.” यही आत्मविश्वास उन्हें दूसरों से अलग बनाता था.

प्रैक्टिस की जगह रिएक्शन ड्रिल्स
धोनी ने विकेटकीपिंग की प्रैक्टिस पूरी तरह नहीं छोड़ी थी. इसके बजाय उन्होंने रिएक्शन ड्रिल्स पर फोकस किया. इन ड्रिल्स से उनके रिफ्लेक्स तेज बने रहते थे, खासकर स्पिनरों के सामने. यही वजह थी कि उनके ग्लव्स हमेशा बिजली जैसी तेज़ नज़र आते थे. चाहे गेंदबाज हरभजन सिंह हों, अनिल कुंबले हों या फिर आर. अश्विन धोनी की स्टंपिंग स्पीड हर बार बल्लेबाजों को चौंका देती थी.
IPL में क्यों दिखते हैं उतने ही फिट?
2020 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी धोनी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में नियमित रूप से खेल रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि वह अब भी इतने चुस्त-दुरुस्त कैसे हैं? रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब धोनी ने फिर से विकेटकीपिंग की नियमित प्रैक्टिस शुरू कर दी है ताकि वह टूर्नामेंट के दौरान पूरी तरह फिट रहें. यही कारण है कि आज भी उनकी फिटनेस और विकेटकीपिंग क्वालिटी किसी युवा खिलाड़ी से कम नहीं दिखती.
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