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रूस की ‘टैंडम स्ट्रैटजी’ से ढेर हुए F-16 और मिराज, यूक्रेन का आसमान बना जाल


Russia Tandem Strategy: अमेरिका और उसके सहयोगी देश भले ही आधुनिक लड़ाकू विमानों जैसे F-16 और मिराज-2000 पर भरोसा कर रहे हों, लेकिन यूक्रेन युद्ध में रूस ने एक अलग रणनीति अपनाकर इन विमानों की शक्ति को सीमित कर दिया है. रूसी वायुसेना अब ‘टैंडम ऑपरेशन’ नामक नई रणनीति का इस्तेमाल कर रही है, जिसने यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों से मिले विमानों को हवा में निष्क्रिय कर दिया है.

‘टैंडम ऑपरेशन’ में Su-34 और Su-35S की घातक जोड़ी

रूसी सरकारी हथियार समूह रोस्टेक ने 18 अगस्त को एक टेलीग्राम पोस्ट में जानकारी दी थी कि रूस ने अपने Su-34 फुलबैक फाइटर-बॉम्बर और Su-35S फ्लैंकर-ई फाइटर जेट को जोड़ी बनाकर इस्तेमाल करना शुरू किया है. इस रणनीति में Su-34 मुख्य हमले का जिम्मा संभालता है, जबकि Su-35S उसे सुरक्षा कवच देता है और दुश्मन के खतरों पर नजर रखता है.

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रोस्टेक के मुताबिक, Su-35S एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो एक साथ कई लक्ष्यों की पहचान करने में सक्षम है. इसमें कई आधुनिक रडार सिस्टम लगे हैं, जिससे यह न केवल हवाई खतरे नियंत्रित करता है बल्कि टोही और सर्विलांस मिशन भी सफलतापूर्वक अंजाम देता है.

लंबी दूरी की मिसाइलों से बना हवाई शिकंजा

Su-35S की सबसे बड़ी ताकत इसकी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. इसमें R-77 और R-37M एयर-टू-एयर मिसाइलें लगी हैं, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती हैं. इन मिसाइलों की वजह से दुश्मन के लड़ाकू विमान रूसी सीमा तक पहुंचने से पहले ही खतरे में आ जाते हैं.

इसके अलावा, Su-35S पर लगे खिबनी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पॉड्स दुश्मन के रडार सिस्टम को जाम करने का काम करते हैं. यह क्षमता Su-34 के लिए बेहद उपयोगी साबित होती है, क्योंकि इससे उसे गहराई तक जाकर सटीक हमले करने का मौका मिलता है.

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यूक्रेन के विमानों पर दबाव

रूसी दावे के अनुसार, इस रणनीति ने यूक्रेन के लड़ाकू विमानों की ताकत को काफी हद तक सीमित कर दिया है. अब तक यूक्रेन ने अपने चार F-16 फाइटर जेट और एक मिराज-2000 खोने की बात स्वीकार की है. हालांकि, उसने इन हादसों की वजह तकनीकी खराबी बताई है, लेकिन रूस का दावा है कि उसकी नई रणनीति के चलते यूक्रेन के पायलट सीधे टकराव से बचने लगे हैं.

रूस का हवाई दबदबा

स्पष्ट है कि रूस की यह ‘टैंडम रणनीति’ केवल हमले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने का एक तरीका है. Su-34 और Su-35S की जोड़ी ने मिलकर यूक्रेन के पायलटों पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना दिया है. यही वजह है कि यूक्रेन के लिए पश्चिमी सहयोगियों से मिले लड़ाकू विमानों का युद्ध में पूरी तरह इस्तेमाल करना अब और कठिन हो गया है.

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