Agriculture: अंतरिक्ष विज्ञान ने भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसरो द्वारा विकसित उपग्रह तकनीक, रिमोट सेंसिंग और जियो पोर्टल जैसे साधनों ने खेती को अधिक सटीक, सुरक्षित और लाभकारी बनाया है. मौसम पूर्वानुमान, मिट्टी की नमी, फसल स्वास्थ्य और उत्पादन आकलन से लेकर बीमा योजनाओं में पारदर्शिता तक, हर क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी किसानों की मदद कर रही है. पहले जहां किसान मान्यताओं पर निर्भर थे, आज विज्ञान आधारित जानकारी उन्हें सही निर्णय लेने और अधिक उत्पादन हासिल करने में सक्षम बना रही है. यही तकनीक कृषि क्रांति की नयी आधारशिला है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय कृषि में अंतरिक्ष विज्ञान ने चमत्कारिक परिवर्तन किए हैं. इसरो की प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिकों के परिश्रम की वजह से खेती अधिक आधुनिक, सटीक और लाभकारी बनी है. उन्होंने वैज्ञानिकों को “आधुनिक महर्षि” बताते हुए कहा कि उनकी मेहनत से खेती की दिशा बदली है और किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष यात्रा की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि भारत की उपलब्धियां आज दुनिया को चकित कर रही हैं.
नयी तकनीकों से बढ़ रही किसानों की ताकत
खाद्यान्न उत्पादन के नये रिकॉर्ड बनाने में अंतरिक्ष विज्ञान का योगदान अतुलनीय है. इसरो द्वारा विकसित ‘जियो पोर्टल’ किसानों को मौसम, सूखा, वर्षा, मिट्टी की नमी और फसल के स्वास्थ्य से जुड़ी सटीक जानकारी देता है. इससे किसान पहले से बेहतर योजना बनाकर खेती कर पा रहे हैं.पहले मौसम का अनुमान कहावतों और मान्यताओं पर आधारित होता था, लेकिन आज विज्ञान हमें वास्तविक और विश्वसनीय सूचना उपलब्ध करा रहा है. रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से अब गेहूं, धान, सरसों, कपास, गन्ना आदि फसलों की उत्पादन क्षमता और क्षेत्रफल का सटीक आकलन किया जा सकता है. यही नहीं, फसल के नुकसान का अनुमान लगाना भी आसान हुआ है, जिससे किसानों को बीमा योजना के अंतर्गत सही मुआवजा मिलना संभव हुआ है.
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में नयी-नयी तकनीक का प्रयोग कर कई अभिनव प्रयोग भी हो रहे हैं, जिससे किसानों के आय और उपज में बढ़ोतरी संभव हुई है. किसान द्वारा खींची गई फोटो से कीट की पहचान, रीयल टाइम गेहूं मॉनिटरिंग, फसल की बुवाई और कटाई के क्षेत्रफल का आकलन, नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन (निसार मिशन) से मिट्टी की नमी, बायोमास और फसल की सेहत की सटीक जानकारी मिलती है और ये तकनीक विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए आने वाले दिनों में और अधिक मददगार साबित होंगी.