QUAD?: करीब तीन साल पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भविष्यवाणी की थी कि क्वाड (QUAD) का कोई भविष्य नहीं है. उस वक्त यह बयान महज एक प्रोपेगेंडा समझा गया था, लेकिन आज की स्थिति ने इस दावे को सच साबित करने की दिशा में ला खड़ा किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआती 200 दिनों में लिए गए फैसलों ने यह संकेत दे दिया है कि क्वाड की मजबूती और एकजुटता खतरे में है.
ट्रंप ने पहले भारत-अमेरिका के रिश्तों को झटका दिया और अब जापान को भी कठोर आर्थिक नीतियों और अपमानजनक बयानबाजी का शिकार बनाया है. नतीजतन, सबसे ज्यादा खुश चीन दिख रहा है, जो क्वाड को कमजोर होते देखने का लंबे समय से इंतजार कर रहा था.
क्वाड का मकसद और वर्तमान संकट (QUAD)
क्वाड की स्थापना अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐसा मंच बनाने के लिए हुई थी, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती दे सके. ट्रंप के पहले कार्यकाल और बाद में बाइडेन प्रशासन ने इस गठबंधन को मजबूत करने का प्रयास किया था. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन की नई नीति ने सहयोगियों के बीच अविश्वास पैदा कर दिया है.भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ और उसके बाद जापान के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि अमेरिका अपने सहयोगियों की भावनाओं और आर्थिक हितों की परवाह नहीं कर रहा. यही कारण है कि क्वाड की एकजुटता दरकती नजर आ रही है.
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भारत को झटका: टैरिफ और रक्षा संबंधों पर असर
अप्रैल में ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत “रेसिप्रोकल टैरिफ” लगाया. इसके बाद रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर और 25 प्रतिशत टैरिफ थोप दिया गया. यानी भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ अब 50 प्रतिशत तक पहुंच गया. इस निर्णय ने भारत-अमेरिका के पिछले 25 वर्षों में बने संबंधों की बुनियाद को हिला दिया. नतीजतन, भारत ने अमेरिकी एफ-35 फाइटर जेट खरीदने से इनकार कर दिया और कई रक्षा परियोजनाओं पर भी रोक लगाने के संकेत दिए. साथ ही, भारत ने चीन के साथ रिश्तों को सामान्य करने की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया.
जापान का अपमान और आर्थिक झटका
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से जापान की सुरक्षा अमेरिका पर निर्भर रही है. लेकिन ट्रंप की नीति ने इस भरोसे को गहरी चोट पहुंचाई है. जुलाई में ट्रंप ने जापानी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी और 15 प्रतिशत टैरिफ लागू भी कर दिए. जापान की स्टील और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुई. जबकि 2023 में जापान ने अमेरिका में 780 अरब डॉलर का निवेश किया था. इसके बावजूद ट्रंप ने जापान पर 550 अरब डॉलर और निवेश करने का दबाव डाला.
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जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा पहले से ही चीन के प्रति “नरम” माने जाते हैं. अब उन्होंने भी चीन के साथ रिश्तों को सामान्य करने के संकेत दिए हैं. सर्वे बताते हैं कि जापानी जनता का अमेरिका पर भरोसा तेजी से घटा है. प्यू रिसर्च के मुताबिक केवल 55 प्रतिशत जापानी अमेरिका पर विश्वास करते हैं और ट्रंप पर विश्वास का स्तर तो मात्र 38 प्रतिशत है.
क्वाड शिखर सम्मेलन पर संकट
इस साल क्वाड शिखर सम्मेलन भारत में होना था, लेकिन अब तक इसकी तारीख घोषित नहीं हुई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि मौजूदा हालात में यह बैठक स्थगित हो सकती है, क्योंकि अगर बैठक होती है तो ट्रंप को दिल्ली आना होगा, जो परिस्थितियों को देखते हुए मुश्किल है.
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई साल बाद शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में चीन जा रहे हैं. जापान भी बीजिंग के साथ सीमित स्तर पर आर्थिक बातचीत बढ़ा रहा है. यह साफ है कि जब अमेरिका अपने सहयोगियों पर दबाव बना रहा है, तब चीन इस स्थिति का फायदा उठाकर खुद को एक वैकल्पिक साझेदार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है.
चीन की रणनीति और भविष्य की तस्वीर
चीन ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ भारत का समर्थन किया है और अमेरिका को चुनौती देने के लिए भारत को साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया है. इस कदम से स्पष्ट है कि बीजिंग अपने खिलाफ बने अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को तोड़ने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का खतरा वास्तविक है, जिसे भारत और जापान भी समझते हैं. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका को लेकर सहयोगियों का भरोसा तोड़ दिया है. यही वजह है कि अब क्वाड का भविष्य संदेह के घेरे में आ गया है. क्वाड को लेकर जो आशंकाएं तीन साल पहले उठाई गई थीं, आज वे सही साबित होती दिख रही हैं. अमेरिका की कठोर टैरिफ नीति और सहयोगियों के प्रति अपमानजनक रवैया न केवल इस गठबंधन को कमजोर कर रहा है बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के लिए एक रणनीतिक अवसर भी पैदा कर रहा है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में क्वाड की उपयोगिता और अस्तित्व पर बड़ा सवाल खड़ा हो जाएगा.