maa movie :काजोल स्टारर फिल्म मां आज से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर रही है.इस फिल्म का अहम हिस्सा अभिनेत्री सूरजासिखा दास हैं. फिल्म मां , काजोल के साथ काम करने के अनुभव के अलावा अभिनेत्री के तौर पर असम से मुंबई की जर्नी और उतार -चढ़ाव पर भी सूरजाशिखा ने उर्मिला कोरी से बात की है. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
एक्टिंग बचपन का ड्रीम था
अब तक की जर्नी मेंबहुत सारे अच्छे बुरे अनुभव रहे हैं. उनसे बहुत कुछ सीखा है इसलिए कोई रिग्रेट नहीं रहा है. मुझे बचपन से अभिनेत्री ही बनना था. मुझे जब टीवी का मतलब भी नहीं पता था. मुझे लगता था कि लोग उसके पीछे जाकर एक्टिंग कर रहे हैं. उस वक़्त से मुझे अभिनय की विधा लुभाती थी. स्कूल कॉलेज में कल्चरल एक्टिविटीज का मैं लगातार हिस्सा बनती गयी.उम्र बढ़ने के साथ विश्वास बढ़ता गया कि मुझे अभिनेत्री ही बनना है.
फॅमिली एक्टिंग के खिलाफ थी
आजकल के पेरेंट्स अपने बच्चों को एक्टिंग में आने के लिए मोटिवेट करते हैं,लेकिन जब मैं स्कूल में थी.उस वक़्त वैसा माहौल नहीं था.घर में दूर दूर तक फिल्मों से कोई लेना देना देना था. मेरे पापा स्ट्रिक्ट थे. उनके लिए बस तीन ही करियर ऑप्शन थे. डॉक्टर , इंजीनियर या फिर बैंकिंग. मेरी दीदी डॉक्टर थी.यही वजह है कि मैं जानती थी कि कॉलेज खत्म होने के बाद मैं फैसला नहीं कर सकती हूं. हां इंडिपेंडेंट होने के बाद मैं अपने सपनों का पीछा कर सकती हूं. मैंने एमबीए किया. उसके बाद जॉब करने लगी.
फिर अभिनय की राह चुन ली
2019 में मैं जॉब छोड़कर मुंबई आ गयी.घरवाले निश्चित तौर पर खुश नहीं थे.मैं लड़ झगड़कर मुंबई आ गयी. सिर्फ मां से बात होती थी और घर में किसी से भी बात नहीं होती थी.थोड़ा बहुत यहाँ के काम काज को समझ ही रही थी कि उसी साल कोविड आ गया.सच कहूं तो अब पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है कि मैंने कैसे किया, लेकिन उस वक़्त एक अलग सी शक्ति आ गयी थी.मन में यह विश्वास था कि कोविड जब भी खत्म होगा. अपना रास्ता मैं बना ही लूंगी. वैसे मैं बताना चाहूंगी कि मुझे पहला मौका 2019 के अप्रैल में इंडस बैंक की एक एड फिल्म में मिल गयी थी.उस विज्ञापन फिल्म की हर जगह होर्डिंग लग गयी थी. मेरी मां ने भी एयरपोर्ट पर वो होर्डिंग देखी थी और होर्डिंग के साथ पिक्चर क्लिक करके मुझे भेजा था. मेरी वो एड मिलना मेरे लिए एक होप की तरह था. जैसे ये प्रोजेक्ट मिला.आगे भी चीजें ऐसी ही होती जाएगी, कोविड के दौरान भी उस वजह से हिम्मत थी.वैसे कोविड के बाद मैंने पैसो अस्सिटेंट डायरेक्टर के अर्ध्य
काजोल पर चिलाना आसान नहीं था
अपने अब तक के करियर में मैं तीन प्रोजेक्ट्स का नाम लेना चाहूंगी. इन प्रोजेक्ट्स ने अलग -अलग तरीके से मुझे मोटीवेट किया. मैंने बड़े अच्छे लगते हैं किया था. उसमें मैंने राम कपूर की बहन का नेगेटिव किरदार निभाया था.उसने मुझे बहुत पहचान दी थी. उसके बाद कॉल मी बेब.यह मेरा पहला वेब शो था. धर्मा प्रोडक्शन इसका हिस्सा था.उसकी वजह से लोग मुझे जानने लगे थे ,क्योंकि उस शो को हुत लोगों ने देखा था. माँ फिल्म मेरे लिए बहुत स्पेशल क्यूंकि काजोल मैम को देखकर हम बड़े हुए हैं. उनके सामने एक्टिंग करना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात थी. काजोल मेरी मां की भी पसंदीदा अभिनेत्री हैं. मैंने थिएटर में जो सबसे पहली फिल्म देखी थी. वह भी उनकी ही थी.एक सीन में मुझे उनके ऊपर चिल्लाना था.वह आसान नहीं था. मैंने सीन के बाद उन्हें सॉरी भी बोला. उन्हें लगा क्यों. सेट पर मैं उनको बहुत ऑब्ज़र्व करती थी.
इस तरह से मिली फिल्म मां
आराम नगर में जैसे सभी स्ट्रगलर भटकते हैं. मैं भी भटकती रहती हूं. चार से पांच घंटे दिन के जाते ही हैं. कई बार तो बस वो कास्टिंग का बंदा कई घंटों बाद आता है और देखकर ही बोल देता है कि नॉट फिट. ऐसे ही भटकती हुए मुझे इस ऑडिशन के बारे में मालूम पड़ा. ऑडिशन देने गयी तो मालूम पड़ा कि एक माँ का किरदार है. जिसकी एक दो साल की नहीं बल्कि ग्यारह साल की बेटी है. एक डर भी था कि कहीं टाइपकास्ट हो गयी और इस फिल्म के बाद माँ की भूमिका ही मिलने लगे तो क्या. फिर मेरी मां की बात याद आयी. मेरी माँ हमेशा एक बात कहती है कि भगवान ने जो कुछ भेजा है.उसे ठोकर मत मारो. मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा.मुझे फिल्म के लिए शार्ट लिस्ट कर लिया गया. मीटिंग के लिए निर्देशक विशाल सर ने बुलाया. उन्होंने मुझे पूछा कि मदरली इंस्टिंक्ट कैसे दिखा पाओगी क्योंकि तुम बहुत यंग हो.मैंने कुछ महीने पहले एक म्यूजिक वीडियो में युवा मां की भूमिका निभाई थी.वह उन्हें दिखाई तो उन्होंने मुझे फिल्म के लिए सेलेक्ट कर लिया.
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