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अमेरिका का बड़ा ऐलान, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को घोषित किया आतंकी संगठन


Us Designates BLA Terrorist: अमेरिका ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाते हुए बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) को आधिकारिक तौर पर एक वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. यह घोषणा पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय इस अलगाववादी समूह के लिए एक बड़ा झटका है, जो लंबे समय से हमलों और हिंसा में शामिल रहा है. वाशिंगटन का यह फैसला क्षेत्र में सुरक्षा समीकरणों को बदल सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है.

Us Designates BLA Terrorist: अमेरिकी घोषणा का महत्व

अमेरिका के विदेश विभाग ने हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और इसके सहयोगी संगठन मजीद ब्रिगेड को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित किया है. यह घोषणा 11 अगस्त 2025 को की गई. इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने और उसके वित्तीय व अन्य समर्थन को रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है. अमेरिका ने यह फैसला संशोधित आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और संशोधित कार्यकारी आदेश 13224 के तहत लिया है. इस घोषणा के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की अमेरिका में सभी संपत्ति जब्त हो जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों तथा संस्थाओं को इनके साथ किसी भी तरह का लेनदेन करने से मना किया जाएगा. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि BLA को पहले से ही 2019 में “विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी” (SDGT) संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. अब इसे FTO का दर्जा दिया गया है, जो आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की अमेरिका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई है, जिसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से BLA को एक आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग कर रहा था.

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और उसकी गतिविधियां

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी एक बलूच राष्ट्रवादी उग्रवादी समूह है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय है. इस संगठन का मुख्य लक्ष्य पाकिस्तान से बलूचिस्तान को अलग कर एक स्वतंत्र देश स्थापित करना है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है, लेकिन यह सबसे गरीब और उपेक्षित इलाकों में से एक है. बलूच लोगों का मानना है कि उनके क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि गैस और खनिज, का पाकिस्तान सरकार द्वारा शोषण किया जाता है और उन्हें इसका उचित लाभ नहीं मिलता. इसी असंतोष के कारण BLA और अन्य बलूच संगठन पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लंबे समय से सशस्त्र आंदोलन चला रहे हैं. BLA की स्थापना 1970 के दशक में हुई मानी जाती है, लेकिन इसने 2000 के दशक की शुरुआत में विशेष रूप से जोर पकड़ा. यह संगठन पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और चीन के निवेश वाली परियोजनाओं को निशाना बनाता रहा है, विशेषकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़ी परियोजनाओं को. BLA का मानना है कि ये परियोजनाएं बलूच संसाधनों का दोहन कर रही हैं. पिछले कुछ सालों में BLA ने कई बड़े आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ली है.

  • 2024 में, BLA ने कराची हवाई अड्डे और ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स के पास आत्मघाती हमलों को अंजाम देने का दावा किया. इन हमलों ने क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पैदा की थी.
  • 2025 में, BLA ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन के अपहरण की जिम्मेदारी ली. इस घटना में 31 नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, और 300 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया गया था. यह हमला न केवल आतंक का प्रदर्शन था, बल्कि क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को भी दर्शाता था.

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और बलूचिस्तान का संघर्ष

बलूचिस्तान का संघर्ष पाकिस्तान के गठन से भी पुराना है. 11 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था, भारत और पाकिस्तान की आजादी से भी तीन दिन पहले. हालांकि, बाद में पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. बलूच राष्ट्रवादी आंदोलन 1666 में स्थापित कलात की खानत को अपना आधार मानता है. बलूचिस्तान के लोग खुद को पाकिस्तान के अन्य लोगों से अलग मानते हैं और लंबे समय से एक अलग देश की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तान सरकार ने बलूच अलगाववादी आंदोलनों को दबाने के लिए अक्सर सैन्य कार्रवाई का सहारा लिया है. 1970 के दशक में भी एक बड़ा सैन्य अभियान चला था, जिसमें कई बलूच नेताओं और समुदायों का उत्पीड़न किया गया. 2006 में बलूच आंदोलनकारी नवाब अकबर बुग्ती की हत्या के बाद भी क्षेत्र में विरोध और हिंसा बढ़ गई थी. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से अब तक पाकिस्तान में 10,000 से अधिक बलूच लोग गायब हो चुके हैं. बलूचिस्तान में उग्रवाद के कई कारण बताए जाते हैं.

  • आर्थिक असमानता: यह प्रांत प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, लेकिन इसकी आबादी गरीबी और पिछड़ेपन का शिकार है. बलूच लोगों का आरोप है कि उनके संसाधनों का उपयोग पाकिस्तान के अन्य हिस्सों के विकास के लिए किया जाता है, जबकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलतीं.
  • सांस्कृतिक उपेक्षा: बलूच लोग अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन वे पाकिस्तानी सरकार पर अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हैं.
  • सैन्य दमन: पाकिस्तान की सेना द्वारा अलगाववादी आंदोलनों को दबाने के लिए की गई बर्बर कार्रवाई ने भी बलूच लोगों में असंतोष बढ़ाया है.

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घोषणा के प्रभाव और संभावित परिणाम

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा BLA को आतंकवादी संगठन घोषित करने के कई महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे:

  • वित्तीय सहायता पर रोक: इस घोषणा से BLA के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन जुटाना और वित्तीय सहायता प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: यह कदम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के दावों को मजबूत करेगा और अन्य देशों को BLA के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है.
  • बलूच आंदोलन पर दबाव: यह घोषणा बलूच अलगाववादी आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाएगी, जिससे BLA जैसी संस्थाओं के लिए अपनी गतिविधियों को अंजाम देना कठिन हो जाएगा.
  • क्षेत्रीय सुरक्षा: ग्वादर बंदरगाह और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) जैसी रणनीतिक परियोजनाओं पर BLA के हमलों को देखते हुए, यह घोषणा क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती है. चीन पहले ही BLA को आतंकवादी संगठन मानता है और इस अमेरिकी कदम का स्वागत करेगा.

पाकिस्तान के लिए, यह घोषणा एक बड़ी कूटनीतिक जीत है क्योंकि यह बलूचिस्तान में जारी अलगाववादी हिंसा को “आतंकवाद” के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाती है. पाकिस्तानी अधिकारी लंबे समय से दावा करते रहे हैं कि BLA जैसे समूह आतंकवादी संगठन हैं और उन्हें बाहरी समर्थन मिलता है. हालांकि, भारत ने बलूचिस्तान के मामलों में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और बलूच आतंकवादियों को समर्थन देने के पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा. कुल मिलाकर, अमेरिकी घोषणा बलूचिस्तान संघर्ष की जटिलता को बढ़ाती है और आतंकवाद विरोधी वैश्विक प्रयासों में एक नया आयाम जोड़ती है. यह देखना बाकी है कि इस घोषणा का बलूचिस्तान में जमीनी हालात और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा.

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