Rakshabandhan Special: रक्षाबंधन के धागे में बंधा भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ प्यार और वादों तक सीमित नहीं होता, कभी-कभी यह जिंदगी बचाने का हौसला भी बन जाता है.
बिहार के खगड़िया में एक भाई ने अपनी बहन को मौत के मुंह से खींच लाने के लिए अपनी किडनी दान कर दी. यह कहानी सिर्फ रिश्तों की मिठास नहीं, बल्कि बलिदान और अटूट विश्वास की मिसाल है.
15 साल पुरानी शादी और अचानक मौत का साया
खगड़िया जिले के कन्हैयाचक गांव की खुशबू कुमारी की शादी 15 साल पहले बेगूसराय में हुई थी. तीन बच्चों की मां खुशबू को 2017 में अचानक पेट दर्द और पाचन की समस्या शुरू हुई. दिल्ली एम्स में जांच के बाद पता चला — दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. डॉक्टरों ने एक महीने के भीतर ट्रांसप्लांट की सलाह दी.
ससुराल से मिली निराशा, मायके में उठा तूफान
ससुराल वालों ने किडनी देने से इनकार कर दिया. मायके में पांच भाइयों में सबसे छोटी बहन खुशबू की जिंदगी बचाने का सवाल उठा तो घर में बहस छिड़ गई. सभी को डर था कि किडनी देने वाला भाई कमजोर हो जाएगा.
‘राखी का हक अदा करने का वक्त आ गया था’
इसी बीच, एक भाई—राजेश कुमार उर्फ गनी—बिना हिचक किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हो गए। राजेश कहते हैं—
“बचपन से बहन राखी बांधती आई है. अगर वह नहीं रहेगी तो मुझे राखी कौन बांधेगा? यही वक्त था कि मैं राखी का हक अदा करूं.”

अब हर रक्षाबंधन पर भेजती है राखी
ऑपरेशन के बाद खुशबू कुमारी की जिंदगी बच गई. अब वह धनबाद में रहती हैं और हर साल भाई को राखी भेजती हैं. राजेश एक किडनी के साथ पूरी तरह स्वस्थ हैं और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि उन्होंने बहन की जान बचाई.
गांव में मिसाल बना भाई-बहन का रिश्ता
गांव के लोग कहते हैं कि यह भाई-बहन के प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण है. खगड़िया में यह कहानी आज भी चर्चा में रहती है, जो बताती है कि राखी सिर्फ धागा नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने का संकल्प भी है.
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