क्रिस वोक्स ही नहीं शिवशंकर की कहानी भी सुनिए, एक हाथ से खेल जड़े हैं 24,000+ रन, बॉक्सिंग में भी नहीं किसी से कम
GS Shivashankara : इंग्लैंड के तेज गेंदबाज क्रिस वोक्स ने हाल ही में भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में जिस तरह साहस दिखाया, वह क्रिकेट जगत में मिसाल बना. एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के पांचवें टेस्ट में कंधे में चोट के बावजूद वे हाथ में स्लिंग बांधकर मैदान पर उतरे. मैदान पर मौजूद हर शख्स ने उनका हौसला बढ़ाया. केवल एक हाथ से बल्लेबाजी करना आसान नहीं होता, फिर भी उन्होंने रन दौड़कर पूरे किए. लेकिन क्या हो कि आपके पास केवल एक ही हाथ हो और उसी तरह बल्लेबाजी करते हुए 24,000 रन ठोक दें. जी हां, कुछ इसी तरह का जज्बा कर्नाटक से आने वाले शिवशंकर ने दिखाया है. सपने देखने के लिए दोनों आंखें चाहिए, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए एक मजबूत दिल और हौसला चाहिए. यही जज्बा है कर्नाटक के शिवशंकर सुब्बारायप्पा कि, उन्होंने न सिर्फ क्रिकेट में नाम कमाया, बल्कि किकबॉक्सिंग की दुनिया में भी अपना परचम लहरा रहे हैं.
एक सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक शिवशंकर ने स्थानीय बेंगलुरु सर्किट में खेलते हुए अब तक 24,000 से अधिक रन बना लिए हैं, जिनमें 29 शतक भी शामिल हैं. सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, शिवशंकर 2023 तक स्थानीय क्रिकेट में कुल 265 विकेट भी ले चुके थे. वह फील्डिंग में भी किसी से कम नहीं, उनके नाम 258 कैच और 47 रन-आउट दर्ज हैं. शिवशंकर को राष्ट्रीय स्तर पर भी कई सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें चौथी नेशनल फिजिकल डिसेबिलिटी टी20 चैंपियनशिप में ‘सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज’ का अवॉर्ड और कर्नाटक बनाम महाराष्ट्र बाइलेटरल सीरीज में भी बेस्ट बैट्समैन का खिताब शामिल है. वह ‘इंडिया ए’ स्पेशल एबिलिटी टीम का हिस्सा रहे हैं. उनका सपना है कि वे भारतीय टीम का सदस्य बन सकें.
India’s 🇮🇳 Differently Abled Cricketer Shivashankara Batting Video 👏🏻
– He has scored over 24,000 runs and 29 centuries in his career, playing in local Bangalore circuits 🥶
Truly Inspirational 🙌🏻 pic.twitter.com/6Q5jGnhcur
— Richard Kettleborough (@RichKettle07) August 6, 2025
कैसे खो बैठे हाथ?
इन सभी उपलब्धियों पर शिवशंकर ने खुद भी कमेंट करते हुए पुष्टि की है. वे एक्स पर कम लेकिन इंस्टाग्राम पर जरूर काफी ऐक्टिव रहते हैं. अपने खेल के वीडियोज वे लगातार सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं. शिवशंकर जन्जात एक हाथ वाले नहीं थे. शिवशंकर जब केवल छह साल के थे, तब एक दर्दनाक हादसे में उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया. गुट्टिगनपल्ली गांव की सड़कों पर खेलते हुए जब एक बस ने उनके हाथ को कुचल दिया, तो शायद किस्मत ने तय कर लिया था कि अब उनका जीवन आसान नहीं होगा. लेकिन शायद किस्मत को यह नहीं पता था कि यह लड़का अपने हौसले से किस्मत को भी झुका देगा. जब उनका हाथ कुचल गया था, लेकिन उनके माता पिता ने कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया.
बंगलुरु में हुई क्रिकेट से पहचान
2016 में मात्र 17 साल की उम्र में शिवशंकर ने अपने सपनों को पंख देने के लिए बेंगलुरु का रुख किया. बागेपल्ली के नेशनल पीयू कॉलेज में उन्होंने बी. कॉम में एडमिशन लिया. वहीं जाकर उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से लेने का फैसला किया. एक हाथ से खेलते हुए क्रिकेट की दुनिया में कदम रखना, जहां हर चीज प्रतिस्पर्धा से भरी हो, आसान नहीं था. लेकिन कठिनाइयों को मात देना शिवशंकर की आदत में शामिल हो गया था.
कोचों ने शिखर तक पहुंचाया
KIOC क्रिकेट अकादमी के कोच इरफान सैत ने न केवल उन्हें मुफ्त कोचिंग दी, बल्कि उन्हें प्रोफेशनल क्रिकेट की दुनिया से परिचित भी कराया. कोच नदीम ने उनकी आर्थिक मदद की और उन्हें जहीर खान की अकादमी से जुड़वाया. जब उनके पास बल्ला नहीं था, तब रणजी खिलाड़ी कौनेन अब्बास ने उन्हें बैट दिलवाया और उसी बल्ले से शिवशंकर ने 96 रनों की शानदार पारी खेली.
भारतीय टीम में एंट्री का इंतजार हुआ पूरा
शिवशंकर ने क्रिकेट में सिर्फ रन ही नहीं बनाए, उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई. वे कर्नाटक की डिसेबल्ड क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर हैं. उन्होंने RCB के नेट्स में गेंदबाजी की, जहां अशिष नेहरा जैसे दिग्गजों ने उनके खेल की सराहना की. उन्होंने राहुल द्रविड़ की तकनीक और विराट कोहली की आक्रामकता को अपने खेल में आत्मसात किया, और जैक्स कैलिस से ड्राइविंग की कला सीखी. आखिरकार उनका सपना पूरा हुआ, जब उन्हें इस साल भारत की दिव्यांग टीम में मौका मिला और उन्होंने श्रीलंका में अपनी बल्लेबाजी से खुद को साबित किया. शिवा क्रिकेट से अन्य दिनों में अपनी फिटनेस का ख्याल रखते हैं और हर दिन खुद को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
किकबॉक्सिंग में कैसे हुई एंट्री?
भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के जुनून में शिवशंकर ने शायद कोई कमजोरी महसूस की. शिवशंकर का किकबॉक्सिंग में आना भी एक दिलचस्प मोड़ था. क्रिकेट में बेहतर हाथ गति (हैंड स्पीड) के लिए उन्होंने किकबॉक्सिंग शुरू की, लेकिन यह शौक जल्द ही जुनून बन गया. कोच विशाल सिगेल ने न केवल उन्हें मौका दिया, बल्कि उनके फिटनेस और ताकत को देखकर पहले हफ्ते में ही मुकाबले के लिए तैयार कर दिया.
स्पोर्ट्स्टार की एक रिपोर्ट के मुुताबिक 2023 में नवी मुंबई में आयोजित Warriors Dream Series में, शिवशंकर ने अपने विरोधी को एक दमदार क्रॉस बॉडी किक से नॉकआउट कर दिया था. यह उनकी लगातार दूसरी फाइट थी जिसे उन्होंने नॉकआउट से जीता. गौर करने वाली बात यह है कि शिवशंकर संभवतः भारत के इकलौते दिव्यांग किकबॉक्सर हैं जो नियमित मुक्केबाजों के खिलाफ रिंग में उतरते हैं. हालांकि उनकी सीमाएं स्पष्ट हैं, वे दाहिनी ओर से ना तो वार कर सकते हैं और ना ही बचाव, लेकिन शिवशंकर ने अपनी रणनीति में फुटवर्क और दमदार बाएं हाथ से इसकी भरपाई कर दी. उनके कोच के मुताबिक, उनकी आक्रामकता और आत्मविश्वास उन्हें औसत फाइटर से कहीं आगे ले जाते हैं.
निक न्यूवेल ने भी की थी प्रशंसा
अब तक के दोनों मुकाबलों में जीत दर्ज करने वाले शिवशंकर का आत्मविश्वास साफ झलकता है. एक हाथ से खेलने के बावजूद उन्होंने दिखाया कि न तो तकनीक की कमी उन्हें रोक सकती है, न ही विरोधियों की ताकत. उनकी जीत को देखकर Bellator फाइटर निक न्यूवेल तक ने सोशल मीडिया पर समर्थन जताया था. हालांकि, कई विरोधियों ने उनके खिलाफ लड़ने से इनकार भी किया है, कुछ ने कहा कि हारने पर ‘एक हाथ वाले से हार’ का ठप्पा लगेगा, तो कुछ ने मुकाबले को असंतुलित माना. लेकिन शिवशंकर और उनके कोच ने साफ कहा है कि वह किसी रियायत के मोहताज नहीं हैं, और मैदान में पूरी टक्कर देने के लिए तैयार रहते हैं.
शिवशंकर अब प्रोफेशनल फाइट्स की ओर बढ़ना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल वह अपने कॉर्पोरेट जॉब के साथ ट्रेनिंग को संतुलित कर रहे हैं. उनके कोच का मानना है कि उन्हें अभी कुछ और शौकिया मुकाबलों की जरूरत है, लेकिन अगर वह इसी जज्बे से आगे बढ़ते रहे, तो भविष्य में अंतरराष्ट्रीय रिंग में उनका नाम जरूर गूंजेगा. लेकिन उनका क्रिकेट का सपना अभी भी समाप्त नहीं हुआ है.
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