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यात्री सुरक्षा पर फोकस के कारण ट्रेन हादसों की संख्या में आयी है व्यापक कमी


Railway: आम लोगों के परिवहन का सबसे सहज और सुगम माध्यम रेलवे है. हर रोज करोड़ों लोग रेलवे से यात्रा करते हैं. ऐसे में रेलवे के लिए यात्री सुरक्षा एक अहम मुद्दा रहा है. आम लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर रेलवे यात्री सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देता है. रेलवे की ओर से सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम का परिणाम है कि हालिया वर्षों में रेल हादसों की संख्या में व्यापक पैमाने पर कमी आयी है. 

राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी. रेल मंत्रालय के अनुसार यात्री सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों का नतीजा है कि वर्ष 2024-15 में जहां 135 रेल हादसे हुए, वह संख्या घटकर वर्ष 2024-25 में 31 हो गयी. वर्ष 2004-14 के दौरान कुल 1711 रेल हादसे हुए. आंकड़ों के अनुसार इस दौरान हर साल 171 ट्रेन हादसे हुए जो वर्ष 2024-25 में कम होकर 31 हो गया. यही नहीं वर्ष 2025-26 में जून तक ट्रेन हादसों की संख्या घटकर तीन हो गयी. 

सुरक्षा और संरक्षा पर 1.16 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च

हाल के वर्षों में यात्री सुरक्षा बेहतर होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014-15 में प्रति दस लाख किलोमीटर पर ट्रेन हादसा 0.11 था जो वर्ष 2024-25 में कम होकर 0.03 हो गया. इस दौरान ट्रेन हादसों की संख्या में 73 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. रेल सुरक्षा को बेहतर करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए. वर्ष 2013-14 में रोलिंग स्टॉक के रखरखाव पर 14796 करोड़ रुपये खर्च किया गया, जो वर्ष 2025-26 में बढ़कर 30666 करोड़ रुपये हो गया. इसके अलावा ट्रैक के रखरखाव, पुलों के देखभाल, सिगनलिंग के काम और अन्य कामों पर भी इस अवधि के दौरान खर्च में काफी अधिक वृद्धि हुई. वर्ष 2013-14 में रेलवे सुरक्षा संबंधी उपायों पर 39463 करोड़ रुपये खर्च हुआ जो वर्ष 2015-26 में बढ़कर 1.16 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. 

सुरक्षा को बेहतर करने के लिए तकनीक का प्रयोग

रेलवे की ओर से ट्रेन हादसे रोकने के लिए केंद्रीकृत सिग्नल इंटरलॉकिंग सिस्टम देश के 6635 स्टेशन पर मुहैया कराया चुका है. ट्रेनों के बीच टक्कर रोकने के लिए कवच सिस्टम लगाने का काम तेज गति से किया जा रहा है. सभी लोकोमोटिव को विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस से लैस करने, जीपीएस आधारित फॉग सेफ्टी डिवाइस, नयी रेल लाइन बिछाने में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है. वर्ष 2013-14 के दौरान सिर्फ 57540 किलोमीटर पर उच्च गुणवत्ता वाले ट्रैक का उपयोग हुआ जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 1.43 लाख किलोमीटर हो गया. इस दौरान रेल पटरियों में टूट आने के मामले में 88 फीसदी की कमी आयी. साथ ही एलएचबी कोच के निर्माण में 18 गुणा की वृद्धि दर्ज की गयी.

मानव रहित क्रासिंग अब शून्य 

रेल ओवर ब्रिज के निर्माण में तीन गुणा की वृद्धि हुई. मानव रहित रेलवे क्रासिंग अब शून्य हो गया है. नये रेलवे लाइन में दोगुना से अधिक बिछाने का काम किया गया. ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल को सशक्त बनाने का काम किया गया. साथ ही ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगाने के काम को गति दी गयी. रेलवे सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक के अधिक से अधिक इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

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