Bihar News: आज के आधुनिक युग में हर घर में आवागमन के लिए मोटरसाइकिल या फिर कार मौजूद रहती है. लेकिन, बिहार में एक ऐसा गांव है जहां के ज्यादातर घरों में आवागमन के लिए नाव मौजूद रहती है. वह गांव भागलपुर के सबौर प्रखंड में स्थित रजंदीपुर है. यह गांव ऐसा है, जहां के ज्यादातर घरों में नाव होती है. दरअसल, मानसून में भयंकर बारिश के कारण रजंदीपुर गांव टापू में तब्दील हो जाता है. गांव के चारो तरफ पानी रहने के कारण लोगों के आने-जाने के लिए एकमात्र सहारा नाव रह जाता है.

बारिश के दिनों में स्थिति भयावह
जानकारी के मुताबिक, भागलपुर के रजंदीपुर गांव में भारी बारिश के कारण स्थिति भयावह हो जाती है. मुख्य सड़कें डूब जाती है. जिसके कारण अस्पताल जाना हो या फिर स्कूल एकमात्र सहारा नाव ही रह जाता है. गांव के लोग पूरी तरह से नाव पर आश्रित हो जाते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी को बाहर निकलने में परेशानी होती है. कहा जाता है कि यह गांव गंगा नदी की मुख्य धारा से सटी हुई है. जिसके कारण भारी बारिश के बाद इस गांव के चारो तरफ पानी भर जाता है.

टीन या फिर डेंगी नाव का सहारा
घर से निकलने के लिए लोग टीन या फिर डेंगी नाव की मदद लेते हैं. लोगों के मुताबिक, हर साल ऐसी ही स्थिति गांव में होती है. जिसके कारण टीन की नाव या फिर डेंगी नाव बनाई जाती है. नाव बनाने में खर्च की बात की जाए तो, टीन की नाव के लिए 7 से 8 हजार रुपये तक की लागत आती है. जबकि डेंगी नाव के लिए करीब 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लोग साइकिल या फिर मोटरसाइकिल नहीं खरीदते बल्कि नाव ही बनाते हैं क्योंकि बारिश के दिनों के लिए वे ही उपयोगी होते हैं. एक मात्र सहारा नाव ही होता है.

गंगा का जलस्तर गिरने पर मिलती है राहत
हालांकि, गंगा नदी का जलस्तर घटने के बाद लोगों को राहत जरूर मिलती है. लेकिन, फिलहाल बिहार के कई जिलों में झमाझम बारिश का दौर जारी है. जिसके कारण गंगा, गंडक, कोसी, सोन, बागमती के साथ राज्य की कई नदियां उफनाई हुई है. कई इलाकों में पानी घुसने के कारण स्थिति भयावह बन जा रही है. लोगों को उनका खुद का घर छोड़ने का खतरा सता रहा है.

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