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अब नहीं बच पाएगी निमिषा प्रिया? यमन में तलवार की धार पर खड़ी है भारतीय नर्स की जिंदगी!


Nimisha Priya Yemen Execution: यमन में हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर स्थिति और गंभीर होती जा रही है. जिस यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में उन्हें दोषी ठहराया गया था, उसके परिजनों ने यमन की हूती सरकार से मांग की है कि बिना किसी देरी के निमिषा को फांसी दे दी जाए. तलाल के भाई अब्दुल फतह अब्दो महदी ने 3 अगस्त 2025 को एक पत्र यमन के अटॉर्नी जनरल और हूती प्रशासन के वरिष्ठ न्यायाधीश अब्दुल सलाम अल हूती को भेजा है. पत्र में लिखा गया है कि

सजा को स्थगित हुए डेढ़ महीना हो चुका है और अब तक कोई नई तारीख घोषित नहीं की गई है. हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम किसी भी तरह की मध्यस्थता या समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे. हमें सजा दिलवाने का कानूनी अधिकार है और हम चाहते हैं कि वह तुरंत लागू किया जाए.

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Nimisha Priya Yemen Execution: सुप्रीम कोर्ट ने दी थी बातचीत की इजाजत 

भारत में निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह यमन जाकर पीड़ित परिवार से क्षमा याचना कर सके और ‘ब्लड मनी’ (रक्तधन) के बदले सजा से राहत दिलाई जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सैद्धांतिक अनुमति तो दे दी थी, लेकिन भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यमन यात्रा की अनुमति नहीं दी.

विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि यमन में वर्तमान सुरक्षा हालात बेहद संवेदनशील हैं और भारत के नागरिकों के वहां जाने पर फिलहाल प्रतिबंध है. भारत का हूती प्रशासन से कोई औपचारिक राजनयिक संपर्क नहीं है और भारतीय दूतावास सना से सऊदी अरब शिफ्ट कर दिया गया है.

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कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं. वर्ष 2008 में वह यमन गई थीं और वहां एक नर्स के रूप में कार्यरत थीं. कुछ समय बाद उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की मदद से अपना क्लिनिक शुरू किया.

लेकिन जल्द ही उनके बीच तनाव बढ़ा. निमिषा के वकीलों के मुताबिक, तलाल उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था. इसी उत्पीड़न से बचने के लिए उन्होंने और उनकी एक सहयोगी ने तलाल को दवा देकर बेहोश करने की कोशिश की, जिससे उसकी मौत हो गई.

मौत की सजा और भारत की रणनीति

इस मामले में यमन की अदालत ने निमिषा को फांसी की सजा सुनाई थी. पहले 16 जुलाई 2025 को सजा दी जानी थी, लेकिन इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया था. अब पीड़ित परिवार इस सजा को जल्द लागू कराने के लिए सोशल मीडिया और कानूनी माध्यमों से दबाव बना रहा है. भारत सरकार मानवीय दृष्टिकोण और ब्लड मनी के माध्यम से मामला सुलझाने के पक्ष में है, लेकिन यमन के अंदर की राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा खतरे और हूती प्रशासन से संपर्क की कमी के कारण रास्ता बेहद कठिन हो गया है.