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बिहार में शिक्षकों के लिए नई तबादला नीति, अब नियुक्ति के 5 साल तक नहीं होगा ट्रांसफर,पूरी प्रक्रिया होगी ऑनलाइन


Bihar Teacher News: राज्य के शिक्षा विभाग ने छह लाख से अधिक शिक्षकों के लिए एक नई तबादला नियमावली का प्रारूप अंतिम रूप में तैयार कर लिया है. इस नीति के तहत, अब किसी भी शिक्षक का तबादला उनकी नियुक्ति की तिथि से कम से कम पांच वर्षों तक नहीं किया जाएगा. यह प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि शिक्षक एक ही विद्यालय में ठहरकर शिक्षा व्यवस्था को स्थिरता और निरंतरता दे सकें.

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों—जैसे गंभीर बीमारी, विद्यालय में आवश्यकता से अधिक शिक्षक या अन्य किसी स्थान पर शिक्षक की भारी कमी—में इस अवधि के भीतर तबादले की गुंजाइश रहेगी. ऐसे मामलों में प्रशासनिक अनुमति आवश्यक होगी.

ऑनलाइन होगी नई तबादला नीति

इस बार तबादले की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा रहा है. ‘ई-शिक्षा कोष’ पोर्टल के ज़रिए शिक्षक साल में दो बार, मई और नवंबर में तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे और तबादले जून तथा दिसंबर में किए जाएंगे. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि तबादले से स्कूलों की शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित न हो.

नयी नीति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दो स्तरों पर समितियों का गठन किया जा रहा है. जिला स्तर पर एक आठ सदस्यीय समिति बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे. इसमें उप विकास आयुक्त, एडीएम स्तर के अधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल होंगे.

वहीं प्रमंडल स्तर पर छह सदस्यीय समिति कार्य करेगी, जिसकी अध्यक्षता प्रमंडलीय आयुक्त करेंगे. दोनों समितियों की अनुशंसा के आधार पर ही तबादलों को अंतिम मंजूरी मिलेगी.

अब तक स्पष्ट नहीं थी शिक्षकों की तबादला नीति

अब तक बिहार में शिक्षकों के तबादले के लिए कोई स्थायी और सर्वमान्य नीति नहीं रही थी. 2006 में नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति के बाद से कई बार अस्थायी आदेशों के आधार पर तबादले हुए, लेकिन वे कभी व्यवस्था नहीं बन सके. नतीजतन, तबादला प्रक्रिया में एकरूपता और पारदर्शिता की भारी कमी बनी रही. यही कारण था कि बीते एक वर्ष में ही लगभग एक लाख शिक्षकों के तबादले बीमारी, दूरी, परस्पर सहमति और स्वेच्छा जैसे विभिन्न आधारों पर किए गए.

इस बार शिक्षा विभाग एक व्यापक, समेकित और स्थायी नीति लागू करने जा रहा है. यह नीति सभी कोटियों के शिक्षकों—चाहे वे पुराने हों या नए, प्रधान शिक्षक हों या प्रधानाध्यापक—पर समान रूप से लागू होगी. उम्मीद है कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह नीति औपचारिक रूप से प्रभाव में लाई जाएगी.

इस नये बदलाव से शिक्षा विभाग को न केवल प्रशासनिक सुगमता मिलेगी, बल्कि शिक्षकों के लिए भी यह राहतकारी होगा. शिक्षक अपने कार्यस्थल पर मानसिक रूप से स्थिर रह सकेंगे और लंबे समय तक एक ही विद्यालय में छात्रों के साथ शिक्षण प्रक्रिया को मजबूती दे सकेंगे. साथ ही, डिजिटल प्रक्रिया के कारण पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और भ्रष्टाचार या पक्षपात की गुंजाइश न के बराबर रह जाएगी.

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