Malegaon Blast Case: मालेगांव विस्फोट मामले में कोर्ट ने जैसे अपना फैसला सुनाया, पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भावुक हो गईं. उन्होंने कोर्ट के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, “यह मेरी जीत नहीं है, बल्कि ये भगवे की जीत है. मुझे 17 साल तक परेशान किया गया, एक साध्वी को आतंकवादी बना दिया गया. मुझे अपमानित किया गया. इस दौरान मुझे अकेला कर दिया गया, कोई साथ नहीं दिया. कोर्ट का फैसला हिंदुत्व की जीत है. “
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बहन ने क्या कहा?
2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बहन प्रतिभा झा ने कहा, “आज सत्य की जीत हुई है, सनातन की जीत हुई है. हमें शुरू से ही इस फैसले पर भरोसा था क्योंकि हम कभी गलत नहीं थे.”
जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो कैसी थी आरोपियों की प्रतिक्रिया?
अदालत ने जैसे ही सातों आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया तो उन सभी के चेहरों पर मुस्कान छा गयी और उन्होंने राहत की सांस ली. उन्होंने न्यायाधीश और अपने वकीलों का आभार जताया.
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कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता : कोर्ट
अदालत ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता है. उसने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन अदालत सिर्फ धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकती. एनआईए के मामलों की सुनवाई के लिए यहां नियुक्त विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं.
क्या है मामला?
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गयी थी और 101 अन्य लोग घायल हो गए थे. इस मामले के आरोपियों में ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे.
मामले में कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं : कोर्ट
जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है. अदालत ने कहा, ‘‘मात्र संदेह वास्तविक सबूत की जगह नहीं ले सकता.’’ साथ ही, उसने यह भी कहा कि किसी भी सबूत के अभाव में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए. अदालत ने कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते.
विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, ये भी साबित नहीं हुआ
अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया था. उसने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम से हुआ था.