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पार्टनर से बात करते वक्त कर रहे ये 3 गलतियां? जल्द सुधारें, वरना रिश्ता खतरे में पड़ सकता है


Relationship tips: अगर आपको भी लगता है कि आपका पार्टनर आपकी बात नहीं समझता, तो हो सकता है कि असली वजह आपकी 3 छोटी-छोटी लेकिन बड़ी कम्युनिकेशन मिस्टेक्स हों. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि रिश्तों में दूरी अक्सर सही से बात न रखने और सही समय न चुनने से आती है. जानिए वो तीन अहम बातें जो आपको अभी बदलनी चाहिए, ताकि रिश्ता टूटने से बचाया जा सके.

Relationship tips: कई बार हम अपने पार्टनर से ये शिकायत करते हैं कि “वो मेरी बात समझता नहीं है” या मेरा पार्टनर मुझे समझ ही नहीं पाता है.” लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपका बात कहने का तरीका ही शायद ऐसा हो कि सामने वाला सही से समझ ही न पाता हो? एक्सपर्ट्स के अनुसार, “असली समस्या ‘समझने’ की नहीं, बल्कि ‘सही से बात रखने’ और ‘सुनने’ की होती है.” आइए जानते हैं उन 3 जरूरी पहलुओं के बारे में जो आपको खुद में देखने चाहिए, अगर बार-बार ऐसा हो रहा है कि आपका पार्टनर आपको नहीं समझता.

क्या आप अपनी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से बयां कर पा रहे हैं?

कई लोग सोचते हैं कि सामने वाला उनके इशारे या चेहरे के भावों से ही सब समझ लेगा, लेकिन ऐसा अक्सर नहीं होता. रिश्ते में बातों को “क्लियर, सिंपल और डिटेल में” कहना जरूरी होता है, वरना पार्टनर कंफ्यूज हो जाता है. उदाहरण के लिए, “मुझे अच्छा नहीं लग रहा” कहने से बेहतर है कि मैं आज थक गया हूं और थोड़ा अकेला महसूस कर रहा हूं. साइकोलॉजिकल रिसर्च भी कहती है कि जितना स्पष्ट हम बोलते हैं, उतनी ही अच्छी समझ सामने वाला विकसित कर पाता है.

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क्या आप खुद भी सुनने के लिए तैयार हैं?

आपको पहले खुद सोचना होगा कि क्या आप पार्टनर की बातों को ध्यान से सुनते हैं, या सिर्फ जवाब देने के लिए सुनते हैं रिलेशनशिप्स में “एक्सप्रेस” करने से ज्यादा जरूरी “रिसीव” करना होता है. जब आप सुनने की आदत बनाते हैं, तो सामने वाला भी आपकी बातें ज्यादा गंभीरता से लेने लगता है. एक गाइडिंग थ्योरी के मुताबिक, जो पार्टनर अच्छे लिसनर होते हैं, उनके रिश्ते ज्यादा समय तक संतुलन में रहते हैं.

क्या आप सही समय पर बात करते हैं?

अक्सर लोग गुस्से, थकावट या तनाव के समय अपनी बड़ी बातें कहने लगते हैं, जिससे बात का असर उल्टा हो जाता है. एक शोध के अनुसार, जब इंसान भावनात्मक रूप से थका हो, तो उसकी समझने की क्षमता 30-40% तक घट जाती है. इसलिए जब कोई मुद्दा उठाना हो, तो यह जरूर देखें कि पार्टनर उस वक्त मानसिक रूप से उपलब्ध है या नहीं. समय अगर सही हो, तो बात कम शब्दों में भी समझ आ जाती है.

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