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मातृभाषा में मिले प्राथमिक शिक्षा


RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक रविवार को संपन्न हुई. बैठक में जहां संगठनात्मक मामलों और संघ के शताब्दी वर्ष की योजनाओं पर चर्चा की गई, वहीं संगठन ने देश के सामने मौजूद विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श किया. इसके साथ ही ऑपरेशन सिंदूर, अमेरिका और बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और हिंदुओं पर हो रहे हमले पर भी चर्चा की गयी. बैठक में देश के अलग अलग हिस्सों से लोग आए थे. जिसमें सभी विषयों पर चर्चा हुई है. हालांकि बैठक का मुख्य उद्देश्य संघ शताब्दी वर्ष था जिसको लेकर ज्यादा चर्चा हुई.

इसके साथ ही राष्ट्रीय भाषा विवाद सहित संघ से जुड़ने, संघ को जानने में युवा वर्ग के उत्साह पर भी चर्चा की गयी. संघ के शताब्दी वर्ष जो 2 अक्टूबर से शुरू होकर पूरे साल चलेगा उस पर विस्तार से चर्चा हुई. संघ के स्थापना वर्ष को लेकर पूरे साल भर तक विभिन्न प्रदेशों में चलने वाले कार्यक्रम की भी रूपरेखा पर भी मंथन किया गया. शताब्दी वर्ष के दौरान समाज के सभी वर्गों की सहभागिता से ग्रामीण क्षेत्रों में मंडल और शहरी क्षेत्रों में बस्ती स्तर पर हिंदू सम्मेलनों का आयोजन किया जायेगा. देश भर में 58964 मंडल और 44055 बस्तियों में हिंदू सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे.

देश के विभिन्न प्रांतों की स्थिति पर चर्चा

शताब्दी वर्ष के तहत सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ विशेष संवाद कार्यक्रम देश के चाऱ प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु में आयोजित होंगे. जिसमें समाज के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया जाएगा. सोमवार को आरएसएस की ओर से एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया गया, जिसमें अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने  बैठक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि तीन दिन तक चलने वाले प्रांत प्रचारकों की बैठक में तीन तरह के मुद्दों पर चर्चा की गई. जिनमें पहला संघ कार्य विस्तार, दूसरा शताब्दी वर्ष समारोह और तीसरा देश के विभिन्न प्रांतों की स्थिति पर चर्चा की गई.

आंबेकर ने कहा कि बैठक में मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए संघ के प्रयास और उनके द्वारा समाज में की गयी सकारात्मक कार्यों पर विस्तार से चर्चा की गयी .मणिपुर में चीजें पहले से काफी ठीक हुई हैं. मणिपुर के अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में संघ द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि  इसके साथ ही भाषा विवाद पर भी चर्चा की गई. संघ का हमेशा से मानना रहा है कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषा हैं और सभी लोग पहले से अपनी भाषा में शिक्षा लेते हैं. संघ में पहले से ये बात स्थापित है.

पंच निष्ठा

शताब्दी वर्ष के निमित्त संघ ने समाज के समक्ष पंच परिवर्तन का विचार रखा है, इसके अंतर्गत संपूर्ण समाज की सहभागिता से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना लक्ष्य है. सामाजिक समरसता के तहत समाज में सद्भाव बढ़े, परिवारों की पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली बने, स्व-बोध का गौरव, कुटुंब में आत्मीयता व संस्कारों का वर्धन, नागरिक कर्तव्यों के पालन के प्रति जागरूकता बढ़े. इसके लिए संघ के स्वयंसेवक समाज की सहभागिता से आगे बढ़ेंगे.

संघ शिक्षा वर्ग पर भी बैठक में चर्चा की गई. जिसमें 40 वर्ष से नीचे के 75 वर्ग लगाए गए हैं .17690 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण लिया इसमें 8812 जगहों से शिक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था. 40 से 60 आयु वर्ग के 25 शिक्षा वर्ग लगे हैं जिसमें 4270 लोगों ने प्रशिक्षण लिया. आंबेकर ने बताया कि जीवन की प्रगति आर्थिक या एक तरफा नहीं बल्कि हॉलिस्टिक रूप से हो इसपर रणनीति बनाई गई है. इसके साथ ही समाज में सद्भाव और समरसता को बढ़ावा देने के लिए 11360 खंडो/ नगरों में समाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन होगा. इसका उद्देश्य समाज के सभी लोगों तक पहुंचना और सभी कार्यों में उनकी सहभागिता को शामिल करना है.