प्रहलाद कुमार/Bihar Politics: पटना. महागठबंधन में वीआईपी के लिये राजद को खुद के कोटे से टिकट दिया जाना हैं. इसमें कितनी सीटें वीआईपी को मिलेगी, इसकी कोई चर्चा अब तक नहीं हुई है. हा, यह अलग बात है कि वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी ने कई कार्यक्रमों के दौरान 60 सीटों की मांग कर अपनी बात रख चुके हैं. वहीं वीआईपी के दावे से भाकपा-माले, भाकपा और माकपा ने इसे राजद का मसला करार दिया है. वामदलों के नेताओं ने कहा कि राजद और वीआईपी के बीच सीट बंटवारें में हम कहीं नहीं है. दूसरी ओर हाल के दिनों में कई नेता वीआईपी में शामिल हुए हैं.
2020 के चुनाव में प्रेस कांफ्रेंस छोड़ निकल गये थे मुकेश सहनी
पिछले चुनाव में सीट बंटवारें को लेकर इसी तरह की परिस्थिति बनी थी. महागठबंधन ने होटल मौर्या में प्रेस कांफ्रेंस में सभी शामिल दलों को कितनी सीटें मिलेगी, इसकी घोषणा हुई. वीआईपी की सीट को लेकर बाद में घोषणा की बात कहीं गयी थी. इसी बीच मुकेश सहनी प्रेस कांफ्रेंस के बीच में उठकर चले गये और कहा कि पीठ में छुरा घोपा गया है हम कभी महागठबंधन में अब शामिल नहीं होंगे. 2025 में फिर उसी तरह की परिस्थिति बनी हुई है.
वीआईपी मुखिया निषाद आरक्षण की बात पर पीएम मोदी के लिए जान भी देने की कह रहे बात
राजनीतिक उठापटक के बीच वीआईपी मुखिया मुकेश सहनी का यह बयान भी सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि केंद्र सरकार निषाद जाति को एससी में शामिल किया जाता है तो वे पीएम मोदी के लिए जान भी दे सकते है.
2020 में इन सीटों पर लड़ चुकी है वीआईपी , चार सीटों पर मिली थी जीत
2020 के चुनाव में वीआईपी को एनडीए में 11 सीटें मिली थी. भाजपा ने उसे अपने कोटे से सीटें दी थी. यह सीटें ब्रह्मपुर, बोचहा, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर की थी. इनमें चार सीटों पर वीआईपी उम्मीदवारों की जीत हुई थी.
सहनी के तीनों विधायकों ने थाम लिया था भाजपा का हाथ
2020 में चार सीट जीतने वाले विधायक मिश्रीलाल यादव, राजू सिंह, स्वर्णा सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया था. उस वक्त विधायकों स्पीकर को समर्थन पत्र सौंपा और उसके बाद भाजपा ऑफिस पहुंच गये. वहीं, बोचहां में वीआईपी के विधायक रहे मुसाफिर पासवान के निधन के बाद उपचुनाव की घोषणा हुई, जिसमें भाजपा ने बेबी कुमारी को अपना प्रत्याशी बनाया.
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