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राज्य में आधी आबादी से पूरा वोट लेने की तैयारी में JDU


कृष्ण कुमार/पटना: राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में आधी आबादी से पूरा वोट लेने की तैयारी में जदयू जुटा हुआ है. फिलहाल राज्य में करीब सात करोड़ 64 लाख मतदाता हैं. इसमें से महिला मतदाताओं की संख्या करीब तीन करोड़ 60 लाख है. इन सभी मतदाताओं तक जदयू अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. इसे लेकर नीतीश सरकार के कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण के लिये विकास संबंधी कामकाज की जानकारी की याद महिला मतदाताओं को दिलाने की कार्ययोजना पर काम हो रहा है. इसके लिए एआइ तकनीक पर वीडियो बनाकर उसमें सभी कामकाज के मुख्य अंश को शामिल किया जा सकता है. इसके साथ ही एआइ तकनीक से ही कार्टून बनाकर भी महिला मतदाताओं तक संदेश पहुंचायी जा सकती है. 

कंटेंट पर काम कर रही पार्टी की मीडिया 

सूत्रों के अनुसार पार्टी की मीडिया टीम इन दिनों सभी तरह के कंटेंट पर काम कर रही है. इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नीतीश सरकार की उपलब्धियों और खासकर महिला सशक्तिकरण की उपलब्धियों को लगातार शेयर किया जा रहा है. इन सभी उपलब्धियों के बारे में पार्टी के कई नेता इसे जदयू का हक बताते रहे हैं. पार्टी नेताओं ने कई अवसरों पर कहा है कि नीतीश सरकार में जितना काम अब तक महिलाओं के विकास के लिए किया गया, उतना काम किसी सरकार में नहीं हुआ. 

महिलाओं के लिए नौकरी से लेकर स्वरोजगार तक की सुविधा

नीतीश सरकार में महिलाओं के लिए नौकरी से लेकर स्वरोजगार तक की सुविधा दी गयी. पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था शुरू की. वर्ष 2006 में विश्व बैंक से कर्ज लेकर राज्य में स्वयं सहायता समूह का गठन किया और उसे ‘जीविका’ नाम दिया. इस स्वयं सहायता समूह की संख्या 10 लाख 63 हजार से भी अधिक हो गयी है जिसमें ‘जीविका दीदियों की संख्या एक करोड़ 35 लाख से ज्यादा हो गयी है. 

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शुरू हुई कई योजनाए 

वहीं वर्ष 2007 में नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की शुरुआत की गयी. वहीं पुलिस की नौकरी में वर्ष 2013 से 35 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 से महिलाओं को सरकारी नौकरियों में भी 35 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत कर दी. वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना शुरू की गयी. इसके तहत 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है. इसमें 50 फीसदी गैर-वापसी योग्य अनुदान के रूप में और शेष 50 फीसदी ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दिया जाता है.