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‘भाजपा सरकार चला रही है या फुलेरा की पंचायत?’, पुरानी गाड़ियों के फैसले पर पूर्व सीएम आतिशी का तीखा पलटवार


दिल्ली सरकार अपने एक निर्देश को लेकर विवादों में आ गई। हालत यह हो गई कि निर्देश जारी किए जाने के कुछ ही घंटे बाद इसे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। दरअसल, कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सरकार ने पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल पंप पर तेल न देने के निर्देश का सख्ती से पालन करने के लिए कहा था। इससे लोगों में नाराजगी देखने को मिली और इस पर रोक लगाने के लिए कह दिया गया। अब दिल्ली की पूर्व सीएम और आप नेता आतिशी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है।

‘सरकार चला रही या फुलेरा की पंचायत’

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने इस पर कहा कि दिल्ली में भाजपा सरकार चला रही है या फुलेरा की पंचायत? एक दिन वे निर्णय लेते हैं, अगले दिन वे खुद कहते हैं कि निर्णय ठीक नहीं है। तीसरे दिन वे पत्र लिखते हैं। यदि वह निर्णय ठीक नहीं है तो आपने इसे क्यों लिया? और यदि आपने इसे लिया तो आप इसे वापस क्यों नहीं ले रहे हैं? आप यह पत्र का खेल क्यों खेल रहे हैं?

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‘दिल्ली में 4 इंजन वाली सरकार’

आतिशी ने कहा कि दिल्ली में भाजपा की 4 इंजन वाली सरकार है। अगर वे चाहते, तो तुरंत निर्णय वापस ले सकते थे लेकिन उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया क्योंकि भाजपा की कार निर्माताओं, कार स्क्रैपर्स, कार विक्रेताओं के साथ मिलीभगत है। और हमने भाजपा से एक सवाल पूछा था, जिसका जवाब नहीं मिला कि भाजपा को पिछले 5 सालों में कार बनाने और बेचने वालों से कितना चंदा मिला है? 10 साल बाद वाहनों को हटाना पूरी तरह से बेतुका, अतार्किक और निराधार निर्णय है।

सौरभ भारद्वाज ने क्या कहा?

वहीं, दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि मैं मनमाने फैसले के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दिल्ली के लोगों को बधाई देता हूं। इस जन आक्रोश के कारण ही भाजपा को अपना ‘तुगलकी फरमान’ वापस लेना पड़ा। प्रतिबंध से एक लाख से अधिक वाहन प्रभावित होंगे, जिनमें 10 साल (डीजल) और 15 साल (पेट्रोल) से पुरानी कारें शामिल हैं, जिससे 60,000 से अधिक परिवार परेशान होंगे। यह कदम अमीरों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था, जबकि मध्यम और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों को नुकसान उठाना पड़ता।

दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि हमने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को बताया है कि जो ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं, वे मजबूत प्रणाली नहीं हैं और उनके साथ अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। तकनीकी गड़बड़ियाँ, सेंसर का काम न करना और स्पीकर का खराब होना—ये सारी चुनौतियाँ हैं। इसे अभी एनसीआर डेटा के साथ इंटीग्रेट नहीं किया गया है। यह एचएसआरपी प्लेट की पहचान करने में सक्षम नहीं है। निर्देश संख्या 89 के क्रियान्वयन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए, जब तक कि स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) प्रणाली पूरे एनसीआर में लागू नहीं हो जाती।