क्रिकेट के किस्सागो नवजोत सिंह सिद्धू ने कितना क्रिकेट खेला है? कैसा है उनका क्रिकेट करियर रिकॉर्ड, जानें
Navjot Singh Sidhu Cricket Career Records and Stats: भारतीय क्रिकेट जगत हो या राजनीति या फिर सिने जगत नवजोत सिंह सिद्धू वैसे खिलाड़ी रहे हैं, जो तीनों क्षेत्र में छाए रहे. राजनीति और टीवी की दुनिया में छाने से पहले सिद्धू क्रिकेट की दुनिया में मगन थे. अपनी कमेंट्री में क्रिकेट के इतिहास का सारा रस घोलने वाले सिद्धू ने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है. लेकिन तमाम बातों के अलावा उनके क्रिकेट करियर पर कम ही बात होती है. हालांकि कपिल शर्मा के 1990 वाले मजाक के अलावा उनकी उपलब्धियां कम नहीं हैं. आइये ठोको ताली वाले नवजोत सिंह सिद्धू के क्रिकेट करियर पर एक नजर डालते हैं.
20 अक्टूबर 1963, पटियाला, पंजाब में जन्मे भारतीय क्रिकेट के करिश्माई खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू का क्रिकेट करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा, लेकिन जब उन्होंने वापसी की, तो वह हर बार खुद को साबित करने में सफल रहे. नवजोत सिंह सिद्धू ने नवंबर 1981 में पंजाब की ओर से सर्विसेज के खिलाफ फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया. अपने डेब्यू मैच में ही अर्धशतक जड़कर उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए. घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्होंने 1983 में भारत के लिए पहली बार खेला, जब उन्होंने नॉर्थ जोन की ओर से वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक ठोका.
1983 के बाद पांच साल का इंतजार
हालांकि, वेस्टइंडीज के खिलाफ कुछ टेस्ट खेलने के बाद सिद्धू को टीम से बाहर कर दिया गया और इसके बाद उन्हें वापसी करने में पूरे पांच साल लग गए. लेकिन जब 1988 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में उन्हें दोबारा मौका मिला, तो उन्होंने जोरदार शतक के साथ वापसी की. टेस्ट में सिद्धू का सबसे बेहतरीन पल 1996-97 में वेस्टइंडीज के खिलाफ़ 201 रन था, जो 11 घंटे तक चलने वाला उनका धैर्य और स्पिनरों के खिलाफ उनकी निर्दयता असाधारण थी. पोर्ट ऑफ स्पेन में खेली गई उनकी यह पारी उनके करियर की सर्वोच्च पारी है.
टेस्ट करियर में 9 शतक और 3,202 रन
जनवरी 1999 में समाप्त हुए अपने टेस्ट करियर के दौरान सिद्धू ने 51 टेस्ट मैचों की 78 पारियों में 42.13 की औसत से 3,202 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से 9 शतक और 15 अर्धशतक निकले. अपने आक्रामक खेल के कारण उन्हें ‘सिक्सर सिद्धू’ नाम मिला. उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कुल 38 छक्के जड़े थे. उन्होंने 1993-94 में श्रीलंका के खिलाफ 124 रन की पारी में आठ छक्के लगाए, जिसमें मुरलीधरन और डॉन अनुरासिरी जैसे गेंदबाज थे. सिद्धू ने 1997-98 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पाँच पारियों में चार अर्द्धशतक लगाए. इस दौरे पर शेन वॉर्न को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से खूब धुनाई की. सिद्धू ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच 2-6 जनवरी 1999 को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था, जिसमें उन्होंने सिर्फ एक रन बनाया था. उन्होंने साल 1999 में ही बतौर क्रिकेटर क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. यही उनके करियर का सबसे आखिरी मैच भी था.
1987 वर्ल्ड कप से ODI करियर की धमाकेदार शुरुआत
सिद्धू ने 1987 क्रिकेट वर्ल्ड कप में वनडे करियर की शुरुआत की और शुरुआत से ही रिकॉर्ड बुक में जगह बना ली. उन्होंने अपने पहले चार वनडे मैचों में लगातार चार अर्धशतक लगाए. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे के खिलाफ वह ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बने. सिद्धू ने 1987 से 1998 के बीच भारत के लिए 136 वनडे मुकाबले खेले और 37.08 की औसत से 4,413 रन बनाए, जिसमें 6 शतक और 33 अर्धशतक शामिल थे.
ODI और लिस्ट ए क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन फिर कमेंट्री में शानदार शुरुआत
एकदिवसीय क्रिकेट में 1989 में पाकिस्तान (शारजाह) और 1993 में इंग्लैंड (ग्वालियर) के खिलाफ उनके शतक शामिल हैं. वहीं, अपने लिस्ट ए करियर में उन्होंने कुल 205 मैच खेले और 41.77 की औसत से 7,186 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 55 अर्धशतक शामिल हैं. उनकी बल्लेबाजी शैली दो रूपों में सटीक थी, स्पिन गेंदबाजी पर उग्र आक्रमण और तेज गेंदबाजों के खिलाफ मजबूत डिफेंस. शेन वॉर्न ने 2022 में सिद्धु को वर्ल्ड का सर्वश्रेष्ठ स्पिनर विरोधी खिलाड़ी बताया. 1999 में संन्यास लेने के बाद सिद्धु ने 2001 में निंबस क्रिकेट कमेंट्री के माध्यम से करियर शुरू किया. हाजिरजवाबी की शैली में कमेंट्री करने, शेर-ओ-शायरी और अनोखे ‘सिधुइज्म’ के लिए प्रसिद्ध हुए.
गेंदबाजी रही निल बटे सन्नाटा
आपको बता दें कि सिद्धू ने अपने इंटरनेशनल करियर में केवल 10 गेंदें फेंकी. टेस्ट क्रिकेट में 1 ओवर और वनडे क्रिकेट में केवल 4 गेंद. वहीं फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 104 गेंदें डाली और लिस्ट ए मैचों में 10 गेंद. बल्लेबाजी में छक्के उड़ाने वाले सिद्धू गेंदबाजी में कमजोर रहे. हालांकि कमेंट्री के दौरान उनकी परख किसी से कम नहीं होती.
व्यक्तिगत जीवन भी रहा चर्चा में
58 वर्षीय नवजोत सिंह सिद्धू का क्रिकेट करियर भले ही शुरुआती दौर में संघर्षों से भरा रहा हो, लेकिन उन्होंने हर बार चुनौतियों को पार करते हुए खुद को साबित किया. आज भी वह भारतीय क्रिकेट के उन चुनिंदा बल्लेबाजों में गिने जाते हैं, जिन्होंने सीमित मौकों में भी बड़ी छाप छोड़ी. टेलीविजन पर भी सिद्धु की पहचान बनी. उन्होंने लाफ्टर चैलेंज, कॉमेडी नाइट्स विद कपिल, द ग्रेट इंडियन कपिल शो की जजिंग और रियलिटी शो बिग बॉस में भी हिस्सा लिया. राजनीति में 2004 में बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा चुने गये. सिद्धु का व्यक्तिगत जीवन भी चर्चा में रहा.
2022 में उन्हें एक वृद्ध की मौत के मामले में 1 साल की सजा दी गई, हालांकि अच्छे स्वभाव के कारण वे 10 महीने ही जेल में रहे. हालांकि कुछ समय तक लाइमलाइट से दूर रहने के बाद वे फिर से कमेंट्री बॉक्स में वापस आ चुके हैं. 44-45 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक सिद्धू का सफर बेहद विविधतापूर्ण रहा. एक आक्रामक सलामी बल्लेबाज, लंबे मैचों में दमदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी, कमेंटेटर जिसकी शायरियाँ और विश्लेषण यादगार बने, टीवी व्यक्तित्व जो मनोरंजन जगत को रंगीन बनाए और अंततः राजनीति में सक्रिय नेता अपने सिद्धुइज्म और शतरंज जैसे व्यक्तित्व के साथ अब भी बोल्ड अंदाज में भारतीय क्रिकेट‑लोकप्रिय संस्कृति में अपना नाम बनाए हुए हैं.
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