Tibet Succession: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा उत्तराधिकारी को लेकर दिए गए बयान पर चीन तीखी प्रतिक्रिया दे रहा है. दलाई लामा ने हाल ही में स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी के चयन में चीन की कोई भूमिका नहीं होगी. उन्होंने यह भी कहा कि उनके निधन के बाद अगला दलाई लामा किसे बनना है, यह पूरी प्रक्रिया गादेन फोडरंग ट्रस्ट के माध्यम से संपन्न होगी, न कि किसी राजनीतिक ताकत की दखलअंदाजी से. दलाई लामा के इस बयान ने वर्षों से चली आ रही उस दुविधा को भी खत्म कर दिया है जिसमें तिब्बती समुदाय असमंजस में था कि क्या 600 साल पुरानी दलाई लामा संस्था आगे भी जारी रहेगी. उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि यह संस्था आगे भी अस्तित्व में रहेगी और उत्तराधिकारी का चुनाव पारंपरिक बौद्ध तरीकों से होगा.
चीन को यह बात नागवार गुजरी. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सख्त प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि दलाई लामा की अगली पीढ़ी का चयन चीन की पारंपरिक प्रक्रिया और धार्मिक रीति-रिवाजों के तहत ही होना चाहिए. माओ ने 18वीं शताब्दी के किंग वंश की उस नीति का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि उच्च बौद्ध पदों के लिए सम्राट की अनुमति जरूरी होती है. उन्होंने दो टूक कहा कि “उत्तराधिकारी के नाम पर चीन की मुहर लगनी अनिवार्य है.” माओ निंग ने यह भी दावा किया कि चीन धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है लेकिन धार्मिक मामलों पर राज्य की नीति और नियंत्रण भी आवश्यक है. यह बयान सीधे तौर पर दलाई लामा के उस रुख के विपरीत है जिसमें उन्होंने किसी भी सरकार, व्यक्ति या संस्था को उत्तराधिकार में दखल देने से मना किया था.
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गादेन फोडरंग ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारी समदोंग रिनपोछे ने जानकारी दी कि दलाई लामा स्वस्थ हैं और उन्होंने उत्तराधिकारी को लेकर अब तक कोई लिखित निर्देश नहीं दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है और इसके लिए तिब्बत की नागरिकता जरूरी नहीं होगी. दलाई लामा इस हफ्ते 90 साल के हो जाएंगे. उनके उत्तराधिकारी को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज़ हो रही है, और चीन तथा तिब्बती समुदाय के बीच इस विषय पर टकराव और बढ़ने की आशंका है.
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