EBM News Hindi
Leading News Portal in Hindi

इन 4 चीजों को त्यागने में न करें संकोच वरना जीवन में बने रहेंगे दुख और अशांति


Chanakya Niti: कई बार जीवन में कुछ रिश्ते, आदतें या स्थितियां ऐसी होती हैं जो लगातार हमारी ऊर्जा को नष्ट करती हैं और हमें मानसिक रूप से कमजोर बनाती हैं. लेकिन भावनात्मक जुड़ाव या समाज के डर से हम उन्हें छोड़ नहीं पाते.

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में स्पष्ट कहा है कि चार ऐसी चीजें हैं जिनका त्याग करने में हमें एक पल की भी देरी नहीं करनी चाहिए, वरना जीवन में केवल कष्ट ही हाथ लगेंगे.

Chanakya Niti in Hindi: सुकून से जिंदगी बितानी है तो फॉलो करें चाणक्य के ये मंत्र

चाणक्य कहते हैं –
“धर्म में यदि दया न हो तो उसे त्याग देना चाहिए, विद्याहीन गुरु को छोड़ देना चाहिए, क्रोधी पत्नी का साथ नहीं रखना चाहिए और स्नेहहीन बंधु से संबंध नहीं रखना चाहिए.”

1. धर्म जिसमें दया न हो

कोई भी धर्म तभी तक सार्थक है जब उसमें दया, करुणा और मानवीय मूल्यों का समावेश हो. अगर धर्म के नाम पर हिंसा, भेदभाव या द्वेष फैलाया जाए तो वह धर्म नहीं, एक ढोंग बन जाता है. ऐसे धर्म का पालन केवल सामाजिक क्लेश और मानसिक अशांति लाता है.

दया रहित धर्म केवल भय और अधर्म को जन्म देता है.- आचार्य चाणक्य

2. विद्या रहित गुरु

गुरु वह होता है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए. लेकिन अगर स्वयं गुरु ही अज्ञान में डूबा है तो वह शिष्य को क्या मार्गदर्शन देगा? ऐसे गुरु का संग जीवन को भ्रमित कर सकता है.

ज्ञानहीन गुरु गलत दिशा में ले जा सकता है.- आचार्य चाणक्य

3. क्रोधी पत्नी

वैवाहिक जीवन शांति, समझदारी और सहयोग पर टिका होता है. लेकिन अगर पत्नी अत्यधिक क्रोधी है, बात-बात पर झगड़ती है और घर का माहौल बिगाड़ती है, तो वह पूरे परिवार की सुख-शांति को नष्ट कर देती है.

निरंतर क्रोध से संबंध और मानसिक स्वास्थ्य दोनों बिगड़ते हैं.- आचार्य चाणक्य

4. स्नेहहीन बंधु

रिश्तों में स्नेह ही वो डोर है जो लोगों को जोड़े रखती है. अगर कोई बंधु (भाई, बहन, या रिश्तेदार) केवल स्वार्थवश संबंध रखे और प्रेम न दिखाए, तो ऐसे रिश्ते बोझ बन जाते हैं.

स्नेहहीन संबंध मन में निराशा और कटुता लाते हैं. -आचार्य चाणक्य

इन चार बातों को लेकर चाणक्य का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है – जब जीवन में कोई व्यक्ति, संबंध या सोच आपकी प्रगति और मानसिक शांति में बाधा बने, तो उसका त्याग करना ही श्रेष्ठ होता है. त्याग भी एक प्रकार की बहादुरी है, और वही जीवन में सच्चा संतुलन लाता है.

Also Read: Chanakya Niti: पति की आयु कम करती हैं पत्नी की ये 2 आदतें

Also Read: Chanakya Niti: इंसान के सबसे करीबी रिश्तेदार होते है ये 6 लोग

Also Read: Chanakya Niti: दुनिया में इससे बढ़कर कोई सुख नहीं- आचार्य चाणक्य से जानें क्या है वो चीज

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.