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बेटे की मौत से टूटा पिता: बाघ ने छीना जीवन का सहारा, बोले “बुढ़ापे में कौन थामेगा मेरा हाथ?”



Pilibhit News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के न्यूरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत गांव मेवातपुर में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया. गांव निवासी 35 वर्षीय किसान मुकेश कुमार की सोमवार सुबह खेत में बाघ के हमले में मौत हो गई. उनका अधखाया शव खेत में पड़ा मिला, जो माला रेंज के बनकटी जंगल से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित है.

तड़के खेत पर गए थे मुकेश, देर तक नहीं लौटे तो परिजनों ने की तलाश

मुकेश रविवार रात गन्ने के खेत में सिंचाई करने गए थे. तड़के तक जब वह घर नहीं लौटे, तो परिजनों को चिंता हुई. गांववालों के साथ खोजबीन शुरू हुई, और कुछ ही देर में खेत के भीतर उनका अधखाया शव पड़ा मिला. शरीर पर बाघ के हमले के गहरे निशान थे. यह मंजर देखकर ग्रामीण स्तब्ध रह गए.

जवान बेटे की हालत देख पिता मंगली प्रसाद बेसुध, अधिकारियों के सामने फूट-फूट कर रोए

जब शव की सूचना मुकेश के पिता मंगली प्रसाद को मिली, तो वह बदहवास हालत में मौके पर पहुंचे. जवान बेटे की हालत देख वे खुद को संभाल नहीं सके और वहीं फूट-फूटकर रो पड़े. अफसरों ने उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश की, लेकिन बेटे की मौत का सदमा इतना गहरा था कि शब्द उनके दर्द को छू भी नहीं सके. उनका कहना था, “बुढ़ापे का सहारा चला गया, अब कुछ नहीं चाहिए.”

बिखर गई मुकेश की कच्ची गृहस्थी, दो मासूमों के सिर से उठा पिता का साया

मुकेश अपने पीछे पत्नी और दो छोटे बेटे (उम्र 7 और 9 वर्ष) छोड़ गए हैं. पत्नी शिक्षामित्र के रूप में कार्यरत हैं. परिवार का खर्च और बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा मुकेश के कंधों पर था. उन्होंने बच्चों को शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में दाखिला दिलाया था, ताकि वे एक बेहतर भविष्य पा सकें. लेकिन एक पल में ही यह कच्ची गृहस्थी बिखर गई.

“लंबे संघर्ष के बाद जीवन में सुख आया था, अब सब चला गया” पीड़ित पिता की पीड़ा

मंगली प्रसाद ने बताया कि उनके दो बेटे थे योगेश और मुकेश. मुकेश छोटा था. दोनों बेटों के बड़े होने के बाद जीवन में कुछ सुकून आया था. वर्षों की मेहनत के बाद परिवार की जिंदगी पटरी पर आई थी, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया.

वन विभाग पर गंभीर आरोप: “लकड़ी बेचने के लिए तुड़वा देते हैं फेंसिंग”

मंगली प्रसाद ने वन विभाग पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जंगल से सटे इलाके में भले ही जालफेंसिंग (फेंसिंग तार) की व्यवस्था है, लेकिन वनकर्मी निजी स्वार्थ में लकड़ी कटवाने के लिए जगह-जगह से उसे तुड़वा देते हैं, जिससे जंगली जानवर खेतों तक पहुंच जाते हैं. बाघ भी उसी रास्ते से गांव में घुस आया और उनके बेटे को मार डाला.

“वन विभाग के पास नहीं हैं ठोस इंतजाम” मानव-वन्यजीव संघर्ष पर उठे सवाल

ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि वन विभाग के पास न तो कोई निगरानी तंत्र है, न गश्त, और न ही ग्रामीणों को अलर्ट करने की कोई व्यवस्था. बाघ आए दिन जंगल की सीमा लांघ कर खेतों तक पहुंच रहे हैं. यह विभागीय लापरवाही नहीं तो और क्या है?

अधिकारियों ने दिलाया मुआवजे और सुरक्षा का भरोसा, ग्रामीणों में आक्रोश

घटना की सूचना मिलते ही डीएम और वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने परिवार को सरकारी सहायता और मुआवजे का आश्वासन दिया। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए अधिक निगरानी और फेंसिंग की मरम्मत कराने का वादा किया गया. लेकिन ग्रामीणों में अब भी रोष व्याप्त है, उनका कहना है कि जब तक ठोस सुरक्षा उपाय नहीं होते, ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी.

इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर कर दिया है. केवल मुआवजे से नहीं, ठोस नीतियों और जिम्मेदार निगरानी से ही इस खतरे को टाला जा सकता है. गांव मेवातपुर के लोगों को अब डर और असुरक्षा के बीच अपनी जिंदगी गुजारनी होगी, जब तक प्रशासन जागरूक और जवाबदेह न हो.

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