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ग्रामीण एंटरप्रेन्योरशिप को और अधिक बढ़ावा देने की जरूरत 


Niti Aayog: नीति आयोग के ग्रामीण विकास प्रभाग ने बुधवार को ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्माताओं, उद्योग जगत , वित्तीय संस्थानों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं और जमीनी स्तर के उद्यमियों से ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाली पहलों पर विशेष ध्यान दिया गया. नीति आयोग के ग्रामीण विकास प्रभाग ने ‘ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों को मजबूत बनाने’ पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय असमानताओं को पाटने में ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया. 

नीतिगत ढांचों को सक्षम बनाने, किफायती ऋण तक पहुंच में सुधार करने और डिजिटल और बाजार पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया गया, जिसमें ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी ) जैसी पहलों का उपयोग किया जाना शामिल है.  विशेषज्ञों ने ग्रामीण उद्यमिता का समर्थन करने के लिए मिश्रित वित्त मॉडल, संस्थागत संबंध और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधियों का लाभ उठाने की वकालत की. बाजार में अपने सामानों की पहुंच और प्रभाव का विस्तार करने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और निजी क्षेत्र के संसाधनों को अनलॉक करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया. 

महिला नेतृत्व वाली पहलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत 

लैंगिक समानता और उसे भरपूर मौका मिले इस पर भी एक सत्र का आयोजन किया गया जिसमें भारत के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों की ‘लखपति दीदी’ सहित ग्रामीण महिला उद्यमियों के जमीनी स्तर पर किये गये उनके प्रयास, उसमें आने वाली रुकावटें और उनकी सफलता की कहानियों पर विस्तार से विचार कर इसे पूरे देश में व्यापकता के साथ बताने पर भी विचार किया गया. जिससे अन्य महिलाएं भी दूसरे महिलाओं की सफलता को देखकर सीख लें. महिला उद्यमिता मंच  को महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में स्वीकार किया गया. ग्रामीण उद्यमियों, विशेष रूप से महिलाओं को भारत की विकास कथा के केंद्र में रखना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया.